भारतीय बासमती चावल को ईयू का झटका, पाकिस्तान जा सकता है 1700 करोड़ रुपए का कारोबार

Sanjay Srivastava | Jul 06, 2017, 14:56 IST
India
नई दिल्ली (भाषा)। चावल निर्यातकों के संगठन एआईआरईए ने आज कहा कि यूरोपीय आयोग के ठोस नियमों से भारत का बासमती निर्यात बुरी तरह प्रभावित हो सकता है और जहां करीब 1,700 करोड़ रुपए का कारोबार पाकिस्तान के पास जा सकता है। एआईआरईए ने यह बात ऐसे समय कही है जबकि बासमती के मानकों का समला सुलझाने के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के यूरोपीय संघ (ईयू) जाने वाला है।

यूरोपीय आयोग ने हाल में जो नियम जारी किए है उसके तहत अगले साल से बासमती चावल में फंफूदीनाशक, रसायन ट्रायसिक्लाजोल की अधिकतम स्वीकृत सीमा अवशिष्ट सीमा (एमआरएल) घटा कर 0.01 मिग्रा प्रति किलो कर दी गई है, ऐसा सभी देशों के लिए किया गया है।

एआईआरईए के अध्यक्ष विजय सेतिया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ' यूरोपीय संघ ने ट्रायसिक्लाजोल के मुद्दे पर भारतीय बासमती के आयात पर पाबंदी लगा दी है।' उन्होंने कहा कि बासमती चावल में फंफूदीनाशक इस रसायन के अवशिष्ट के अनुपात को अचानक शून्य के स्तर पर लाना संभव नहीं है।

भारत सरकार के दल का इस मुद्दे पर बात करने के लिए 12 जुलाई को ब्रुसेल्स, बेल्जियम का दौरा करने का कार्यक्रम निर्धारित है। बासमती चावल की दो सुगंधित किस्में पीबी वन और 1401 का अधिकतम निर्यात यूरोपीय संघ को किया जाता है। इन किस्मों के मामले में इस रसायन की 0.03 मिग्रा प्रति किलो की अधिकतम अवशिष्ट सीमा (एमआरएल) के साथ भारत का माल वहां स्वीकार्य था।

क्‍या है ट्राईसीक्लाज़ोल :- ट्राईसीक्लाज़ोल एक फंगीसाइड है जिसे व्यापक रूप से एक बीमारी से निपटने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसे विस्फोट के रूप में जाना जाता है जो धान की फसल को प्रभावित करते हैं। भारतीय एग्री – क्‍लाइमेंट चेंजेज में, ट्राईसीक्लाज़ोल, ब्लास्ट से चावल की फसल को बचाने के लिए सबसे किसान- अनुकूल और लागत प्रभावी समाधान है। इसका उपयोग पूरी दुनिया में 30 से अधिक साल से किया जा रहा है, अब तक कोई भी स्वास्थ्य संबंधी घटना दिखाई नहीं दी है।


विजय सेतिया ने कहा कि रसायन का स्तर कम करने के लिए कम से कम दो फसल का समय चाहिए। उन्होंने संबंधित रसायन के बारे में कहा कि ऐसा कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है कि इसका मानव स्वास्थ्य पर नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस बीच किसानों को फंफूदीनाशक रसायन का विवेकपूर्ण रूप से इस्तेमाल करने की सीख दी जा रही है।

बासमती चावल के निर्यातक कोहिनूर फूड्स के संयुक्त प्रबंध निदेशक गुरनाम अरोडा ने कहा कि यूरोपीय संघ के समक्ष यह मुद्दा नहीं उठाया गया तो ' 'हमारा करीब 1,700 करोड़ रुपए का व्यवसाय पाकिस्तान के पास चला जाएगा।' '

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सुगंधित चावल के 'सुपर ' किस्म का निर्यात करता है तथा वह अपने फसल पर ट्रायसीक्लाजोल का इस्तेमाल नहीं करता तथा वह जनवरी 2018 से अधिक निर्यात करने के अवसरों की ओर देख रहा है।

उद्योग जगत के आंकडों के अनुसार भारत ने वर्ष 2016-17 में यूरोपीय संघ को 1,744 करोड़ रुपए के मूल्य के 3.5 लाख टन बासमती का निर्यात किया। देश के सालाना कुल 40 लाख टन के बासमती निर्यात में यूरोपीय संघ का हिस्सा लगभग 10 प्रतिशत है।


अरोडा ने कहा कि यूरोपीय संघ के स्पेन और इटली भी अपने धान की फसल पर ट्रायसीक्लाजोल का इस्तेमाल करते हैं। नए मानदंड ने उन्हें भी प्रभावित किया है। एसोसिएशन ने वाणिज्य एवं कृषि मंत्रालयों को अपना प्रतिवेदन दिया है तथा इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हस्तक्षेप की मांग की है।

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