अब बिचौलियों की नहीं गलेगी दाल

Ashwani Nigam | Dec 24, 2016, 11:42 IST
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लखनऊ। दक्षिण भारत में तुअर यानी अरहर की दाल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम पर खरीदे जाने की खबरों से यूपी के किसान डर गए थे लेकिन केंद्र सरकार ने इसका रास्ता निकाला है। उसने यूपी की बड़ी दाल मण्डियों में केंद्र स्थापित कर किसान से दाल एमएसपी पर खरीदने का प्रबंध कर दिया है।

यूपी की मुख्य दलहन मण्डियों में सरकारी एजेंसी नाफेड द्वारा छह दलहन खरीद केन्द्रों की शुरुआत की गई है। ये सेंटर हैं ललितपुर, झांसी, चिरगांव, वजीरगंज, बिल्सी और चंदौसी। इन केंद्रों पर खरीद एमएसपी यानी उड़द के लिए 5500 रुपए प्रति कुंतल, मूंग के लिए 5,225 रुपए प्रति कुंतल, तुअर दाल के लिए 5,050 रुपए प्रति कुंतल पर होगी।

यूपी के केंद्रों के बारे में नाफेड के नार्थ जोन के ब्रांच मैनेजर रंजय कुमार ने बताया, ‘’किसानों को दालों का उचित मूल्य मिले और आने वाले समय में दालों के दाम भी नियंत्रित रहे इसके लिए नाफेड के माध्यम से किसानों से दलहन खरीदी जा रही है। उत्तर प्रदेश में ललितपुर, झांसी, चिरगांव, वजीरगंज, बिल्सी और चंदौसी में सेंटर की शुरुआत हो चुकी है।”

देश में पहली बार किसानों के लिए एमएसपी पर दलहन फसलों की बिक्री सुनिश्चित करवाई गई है, जहां भी एमएसपी से कम पर दाल खरीद हाेगी वहां सरकारी संस्था हस्तक्षेप करेगी।
राधा मोहन सिंह, कृषि मंत्री

औने-पौने दाम में बिचौलिए खरीदते हैं दाल

सरकार अपने क्रय केन्द्रों पर धान और गेहूं की तरह दालों की खरीद नहीं करती है जिसका फायदा बिचौलिए उठाते हैं और किसानों से औने-पौने दामों में दाल खरीद लेते हैं। फिर जब बाजार में दालों की आवक कम होती है तो दालों के दाम अनियंत्रित हो जाते हैं और महंगी दालों को बेचा जाता है। ऐसे में किसान अपनी दाल सरकारी रेट पर बेच सकें इसके लिए दहलन उत्पादन केन्द्र खोला गया है। जरूरत पड़ने पर दाल खरीद केन्द्रों को जिलों में भी खोला जाएगा।

प्रदेश के किसान इन केंद्रों पर जाकर फरवरी तक अपनी दलहन की बिक्री कर सकते हैं। देश में दालों की वार्षिक खपत 189 लाख टन है, जबकि उत्पादन लगभग 130 से लेकर 148 लाख टन ही होता है। मध्य प्रदेश देश का सबसे ज्यादा दलहन उत्पादन करने वाला राज्य है। उत्तर प्रदेश का नंबर उसके बाद दूसरे पायदान पर आता है। एमपी में देश के कुल दलहन उत्पादन की 24 प्रतिशत दाल तो वहीं उत्तर प्रदेश में 16 प्रतिशत दालों को उत्पादन होता है।

साल 2015 में दाल का मूल्य 200 प्रति किलो पार करने के बाद आलोचना झेल रही मोदी सरकार ने तय किया था कि गेहूं और धान की तरह दाल का भी बफर स्टॉक बनाया जाएगा और इसकी किसानों से सीधे खरीद की जाएगी। सरकार ने दालों का समर्थन मूल्य भी बढ़ा दिया था। साल 2016 में ही सरकार ने 20 लाख टन दाल का बफर स्टॉक बनाने का फैसला किया था और इसकी खरीद की जिम्मेदारी नाफेड को दी गई थी। खरीफ यानी गर्मी में बोई गई अरहर देशभर में बाज़ार में बिक्री के लिए आने लगी है। ऐसे में खबरें आईं कि दक्षिण भारत के बढ़िया तुअर उत्पादन वाले कर्नाटक जैसे राज्यों में बाज़ारों में किसान एमएसपी से कम दरों पर दाल बेच रहे हैं। इस खबर के बाद तुरंत हरकत में आई केंद्र सरकार के निर्देश के बाद नाफेड संस्था दालों की खरीद के लिए देश भर में सक्रिय हो गई है। देशभर में दालों की की खरीद के लिए 200 सेंटर बनाए गए हैं।

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