पुण्यतिथि विशेष : बॉलीवुड का वो अभिनेता जो डायलॉग में 'प्राण' फूंक देता था, पढ़िए 20 दमदार डायलॉग

Vineet BajpaiVineet Bajpai   12 July 2019 9:30 AM GMT

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पुण्यतिथि विशेष : बॉलीवुड का वो अभिनेता जो डायलॉग में प्राण फूंक देता था, पढ़िए 20 दमदार डायलॉगअभिनेता प्राण की आज पुण्यतिथि है।

लखनऊ। हिंदी फिल्म जगत का वो नायाब अभिनेता जिसकी शेर सी आँखें और आवाज़ ऐसी जो कलेजे को चीर कर रख देती थी, जी हां कुछ ऐसे ही थे अभिनेता 'प्राण'। हिंदी सिनेमा पर कई दशकों तक अपने अभिनय से राज करने वाले प्राण का हर कोई कायल है। आज उनकी पुण्यतिथि है।

प्राण का जन्म 12 फरवरी 1920 को पुरानी दिल्ली में हुआ था। करीब 350 से अधिक फिल्मों में अभिनय के अलग-अलग रंग बिखेरने वाले प्राण को हिन्दी सिनेमा में उनके योगदान के लिए 2001 में भारत सरकार के पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया था।

प्राण के 20 मशहूर डायलॉग

अपनी बेहतरीन अदाकारी से हिंदी सिनेमा पर जबरदस्त छाप छोड़ने वाले प्राण ने अपनी फिल्मों में एक से एक डायलॉग बोले। फिल्म 'उपकार' का उनका डायलॉग - 'भारत तू दुनिया की छोड़ पहले अपनी सोच। राम ने हर युग में जन्म लिया है लेकिन लक्षमण जैसा भाई दोबारा पैदा नहीं हुआ।'

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फिल्म 'उपकार'

'राशन पर भाषण बहुत है, भाषण पर कोई राशन नहीं। सिर्फ ये जब भी बोलता हूं ज्यादा ही बोलता हूं, समझे...!'

फिल्म 'उपकार'

'लाशें जो खरीदा करते हैं, वो कौन बड़ा व्यापारी है... आसमान पे उड़नेवाले मिट्टी में मिल जाएगा।'

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फिल्म 'शहीद'

'ओय भगतसिंह, ये भारत माता की होंदी है..... मैंने इतने खून कित्ते भगतसिंह...'।

फिल्म 'कश्मीर की कली'

'शताले-शताले मेरा भी समय आएगा...'

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फिल्म 'जिस देश में गंगा रहता है'

'सरदार मैं फिर कहता हूं ये पुलिस का आदमी है।'

फिल्म 'अराउंड दि वर्ल्ड'

'टोक्यो में रहते हो पर टोकने की आदत नहीं गई।'

फिल्म 'जंजीर'

शेर खान काले का धंधा करता है...लेकिन ईमानदारी से।

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फिल्म 'शराबी'

आज की दुनिया में अगर जिंदा रहना है तो दुनिया के बटन अपने हाथ में रखने पड़ते हैं।

फिल्म 'शीश महल'

मैं भी पुराना चिड़ी मार हूं, पर कतरने अच्छी तरह से जानता हूं।

फिल्म 'कालिया'

कैदी नंबर 602। सर झुकाकर बात करो। मैं तुम्हें बता दूं कि जो तुम दूसरी जेल में करते रहे हो, वह मेरी जेल में न हो, क्योंकि मेरी जेल से संगीन से संगीन अपराधी निकले हैं तो ऊपरवाले के दरबार में एक ही दरख्वास्त लगाते हैं कि वह दोबारा जेल जाए तो जाए, पर जेलर रघुबीर सिंह की जेल में न आए।

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फिल्म 'उपकार'

और कर ले उपकार। मैंने कहा था पहले अपनी सोच। गाँववाले तुझे जूतियों से मारेंगे और गिनेंगे तक नहीं।

फिल्म 'ज़ंजीर'

इस इलाके में नए आए हो बरखुरदार, वर्ना यहां शेर खान को कौन नहीं जानता!

फिल्म 'उपकार'

ये पाप की नगरी है यहां कंस और दुर्योद्धन का ठिकाना है।

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फिल्म 'उपकार'

ज़िंदगी में चढ़ते की पूजा मत करना, डूबते की भी सोचना।

फिल्म 'कश्मीर की कली'

ये फूलो के शाथ-शाथ दिल कबशे बेचना शुरू कर दिया है।

फिल्म 'आन बान'

शेर और बकरी जिस घाट पर एक साथ पानी पीते हों वो घाट न हमने देखा है और न देखना चाहते हैं।

फिल्म 'अमर अकबर एंथनी'

पहचाना इस इकन्नी को यह वही इकन्नी है जिसे बरसों पहले उछालकर तुमने मेरा मज़ाक उड़ाया था। रॉबर्ट सेठ तुम्हारे ही सोने से तुम्हारे ही आदमियों को ख़रीद कर आज मैं तुम्हारी जगह पहुंच गया हूं और तुम मेरे क़दमों में।

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फिल्म 'क्रोधी'

समझते हो कि सब समझता हूं इससे बढ़कर इंसान की नासमझी और क्या हो सकती है।

फिल्म 'सनम बेवफ़ा'

शायद तू यह भूल गया कि इस ज़मीन पर फ़तह ख़ां अकेला पैदा नहीं हुआ है, उसके साथ उसकी बला की ज़िद भी पैदा हुई है। कहीं मेरी ज़िद किसी ज़िद पर आ गई तो अपनी बेटी के रास्ते में पड़े हुए बेशुमार कांटों को तो मैं अपने दामन में समेट लूंगा लेकिन तेरे रास्ते दहकते हुए अंगारों से भर दूंगा।

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फिल्म 'सनम बेवफ़ा'

आवाज़ तो तेरी एक दिन मैं नीची करूंगा, शेर की तरह गरजने वाला बिल्ली की ज़बान बोलेगा।

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