सूकर पालन से यह किसान कमा रहा लाखों, जानिए कैसे
Diti Bajpai | Oct 16, 2018, 09:56 IST
आप लोगों को लगता होगा कि ज्यादा पशु तो ज्यादा लाभ होगा, लेकिन हम आपको ऐसे पशुपालकों की सफलता की कहानी बताने जा रहे है, जिन्होंने कम पशुओं से पशुपालन व्यवसाय को शुरू किया और आज उससे लाखों की कमाई कर रहे है।
आज़मगढ़। सूर्य कुमार सिंह जब सूकर फार्म की शुरूआत की थी तब उनके पास सिर्फ 37 सूकर थे लेकिन मेहनत, लगन और सूकरों का उचित प्रंबधन करके आज उनके पास करीब 350 सूकर है, जिसको अच्छे दामों में बेचकर आज वो लाखों की कमाई कर रहे है।
"हमने डेढ़ एकड़ में फार्म को बनाया है। नर, मादा और बच्चों के रखने के 30 कमरे बनवाए है। शुरू में कम पशु रखें ताकि समझ आ सके कि उनपर कितना खर्चा आ रहा है कितनी लागत निकलेगी।" सूर्य कुमार सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताया। सूर्य आज़मगढ़ जिले से करीब 5 किमी दूर चंदेश्वर गाँव में दो वर्षों से सूकर पालन कर रहे है। अपने फार्म में सुविधाओं के बारे में सूर्य बताते हैं, "सूकरों को बीमारी न हो इसके लिए सुबह शाम कमरों की साफ-सफाई करते है। पशुओं को खिलाने के लिए जई, बरसीम मक्का फार्म के पास बोया हुआ है। उसके साथ ही समय से टीकाकरण भी कराते है। फार्म के आस-पास पेड भी लगा रखे है।"
यह भी पढ़ें-कम पशुओं की डेयरी है आसान और फायेदमंद, जानिए कैसे
सूकर पालन से कम कीमत और कम समय में अधिक मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है। 19वीं पशुगणना 2012 के मुताबिक देश में सूकरों की संख्या 10.29 मिलियन है और इससे करोड़ों परिवारों की आय जुड़ी हुई है।
"देसी सूकरों की बजाय अच्छी नस्ल के सूकरों को पालना चाहिए। हमारे पास यॉर्कशायर प्रजाति के सूकर है जिसको बनारस के सूकर प्रजनन केंद्र से लिया है।" सूर्य कुमार ने बताया। किसानों की आय बढ़ाने और सूकर पालन को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार भी मदद कर रही है। उत्तर प्रदेश के सात जिलों में सूकर प्रजनन केंद्र बनाए गए हैं जहां से किसान सूकरों की अच्छी नस्ल प्राप्त कर सकते है।
सूकर पालन से होने वाले मुनाफे के बारे में सूर्य बताते हैं, "छह महीने में यह एक कुंतल के हो जाते है, जिसकी बाजार में कीमत दस हज़ार रूपए है। इससे सलाना लाखों की कमाई हो जाती है। गोरखपुर, अम्बेडनगर समेत कई जिलों में सूकरों को बेचते है। सूकर पालन में देखभाल ज्यादा करनी होती है वरना इनको बीमारी हो सकती है।" सूर्य कुमार मेहनत और लगन से इस व्यवसाय को भविष्य में आगे बढ़ाना चाहते है।
"हमने डेढ़ एकड़ में फार्म को बनाया है। नर, मादा और बच्चों के रखने के 30 कमरे बनवाए है। शुरू में कम पशु रखें ताकि समझ आ सके कि उनपर कितना खर्चा आ रहा है कितनी लागत निकलेगी।" सूर्य कुमार सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताया। सूर्य आज़मगढ़ जिले से करीब 5 किमी दूर चंदेश्वर गाँव में दो वर्षों से सूकर पालन कर रहे है। अपने फार्म में सुविधाओं के बारे में सूर्य बताते हैं, "सूकरों को बीमारी न हो इसके लिए सुबह शाम कमरों की साफ-सफाई करते है। पशुओं को खिलाने के लिए जई, बरसीम मक्का फार्म के पास बोया हुआ है। उसके साथ ही समय से टीकाकरण भी कराते है। फार्म के आस-पास पेड भी लगा रखे है।"
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सूकर पालन से कम कीमत और कम समय में अधिक मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है। 19वीं पशुगणना 2012 के मुताबिक देश में सूकरों की संख्या 10.29 मिलियन है और इससे करोड़ों परिवारों की आय जुड़ी हुई है।
"देसी सूकरों की बजाय अच्छी नस्ल के सूकरों को पालना चाहिए। हमारे पास यॉर्कशायर प्रजाति के सूकर है जिसको बनारस के सूकर प्रजनन केंद्र से लिया है।" सूर्य कुमार ने बताया। किसानों की आय बढ़ाने और सूकर पालन को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार भी मदद कर रही है। उत्तर प्रदेश के सात जिलों में सूकर प्रजनन केंद्र बनाए गए हैं जहां से किसान सूकरों की अच्छी नस्ल प्राप्त कर सकते है।
सूकर पालन से होने वाले मुनाफे के बारे में सूर्य बताते हैं, "छह महीने में यह एक कुंतल के हो जाते है, जिसकी बाजार में कीमत दस हज़ार रूपए है। इससे सलाना लाखों की कमाई हो जाती है। गोरखपुर, अम्बेडनगर समेत कई जिलों में सूकरों को बेचते है। सूकर पालन में देखभाल ज्यादा करनी होती है वरना इनको बीमारी हो सकती है।" सूर्य कुमार मेहनत और लगन से इस व्यवसाय को भविष्य में आगे बढ़ाना चाहते है।