0

बिचौलियों का नहीं लेते सहारा, खुद शहर जाकर बेचते हैं दूध

Diti Bajpai | Oct 11, 2018, 10:03 IST
आमतौर पर माना जाता हैं कि अधिक पशु होंगे तो अधिक लाभ होगा, लेकिन हम आपको ऐसे पशुपालकों की सफलता की कहानी बताने जा रहे है, जिन्होंने कम पशुओं से पशुपालन व्यवसाय को शुरू किया और पशुओं का उचित प्रंबधन, नियमित टीकाकरण, डीवार्मिंग कराकर कम पशुओं से अच्छा उत्पादन ले रहे है और मुनाफा कमा रहे है। यह किसान हेस्टर संस्था से जुड़े हुए हैं।
#milk product
बनारस। जहां किसान दूध के रेट को लेकर परेशान है वहीं सुभाष पाठक ने इस परेशानी का अच्छा हल निकाला हुआ है। बिना बिचौलियों का सहारा लिए खुद शहर जाकर घरों में अच्छे दामों पर दूध को बेचकर मुनाफा कमा रहे है।

बनारस जिले के सेवापुरी ब्लॅाक के करधना गाँव के सुभाष पिछले कई वर्षों से डेयरी व्यवसाय से जुड़े हुए है। इनकी डेयरी में 250 पशु (गाय, भैंस) है, जिनमें 130 पशुओं से एक दिन में एक हजार लीटर दूध को उत्पादन होता है। सुभाष बताते हैं, "पहले पूरा दूध अमूल और पराग को बेचते थे लेकिन उसमें दूध के अच्छे रेट नहीं मिलते थे अब कुछ ही दूध अमूल और पराग को देते है। बाकी शहर में कुछ घर है उनमें देते है। शहर में बेचने पर 7 रूपए ज्यादा मिलते है।"

सुभाष को जहां अमूल और पराग को दूध देने में 25 से 27 रूपए मिलते है वहीं शहर में दूध बेचने पर 35 रूपए का फायदा होता है। इससे डेयरी उनकी जो लागत लगती है वो भी निकल आती है। अपने डेयरी फार्म के बारे में सुभाष बताते हैं, पशुओं को सुविधा देने के लिए लाइट, पंखें लगे हुए है अगर बिजली नहीं होती है तो जनरेटर से चलता है। इनकी देखरेख के लिए10 कर्मचारी भी है जो पूरा दिन लगे रहते है। शुरू में जब मैंने इस व्यवसाय को शुरू किया तब छह पशु थे आज इन्हीं पर पूरा करोबार चल रहा है।"



पिछले 20 वर्षों से भारत दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इस व्यवसाय से करीब 7 करोड़ डेयरी किसान जुड़े हुए हैं। अगर उत्तर प्रदेश में दूध कारोबार की बात करें तो प्रदेश में करीब एक करोड़ आठ लाख दुधारु पशु हैं जिनसे प्रतिदिन प्रतिदिन 7.71 लाख लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। जो देश के दूध उत्पादन का करीब 18 फीसदी है।

"अगर कोई किसान डेयरी व्यवसाय शुरू कर रहा है तो वो शहरों में खुद बेच सकता है इससे वह घाटे में नहीं रहेगा। हम लोग रोज सुबह पिकअप और ऑटो से शहरों में दूध भिजवाते है और खुद भी जाते है।" सुभाष ने बताया, "जितना भी गोबर इकट्ठा होता है उसको खेत में खाद के रूप में इस्तेमाल करते है। इससे हरा चारा भी अच्छा होता है।" सुभाष के पास 40 बीघा खेत है, जिसमें धान, गेहूं के अलावा पशुओं के लिए हरे चारे को बोते है ताकि दूध की गुणवत्ता अच्छी बनी रहे।

सुभाष अपने पशुओं को समय से पेट में कीड़ें की दवा, टीकाकरण और साफ-सफाई को ध्यान रखते है ताकि अपने पशुओं को स्वस्थ रख सके और लोगों तक अच्छी गुणवत्ता का दूध दे सके।



Tags:
  • milk product
  • milk production
  • Milk producer
  • Livestock
  • dairy farming
  • dairy product

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.