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छुट्टा गोवंश को पालने के लिए किसानों को हर तीन महीने में मिलेगी राशि

गाँव कनेक्शन | Aug 06, 2019, 12:10 IST
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लखनऊ। छुट्टा जानवरों की समस्या से निजात दिलाने के लिए योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। 'माननीय मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना' के तहत बेसहारा गोवंशीय पशुओं को पालने के इच्छुक किसानों, पशुपालकों और अन्य इच्छुक व्यक्तियों को राशि देने का प्रावधान किया गया है।



भारत में खासकर उत्तर प्रदेश में छुट्टा गोवंश बड़ी समस्या बने हुए हैं। इस समस्या से किसानों को निजात दिलाने के लिए योगी सरकार लगातार प्रयास कर रही है। राज्य सरकार के प्रवक्ता ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने यहां बताया कि मुख्यमंत्री योगी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में 'माननीय मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना' को मंजूरी दे दी गयी है।

उन्होंने यह बताया कि इस योजना के पहले चरण में एक लाख गोवंशीय पशुओं को पालन—पोषण के इच्छुक लोगों को दिया जाएगा। उन्हें रोजाना 30 रुपये प्रति पशु के हिसाब से भुगतान किया जाएगा। इस पर 109.50 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।

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यूपी में राज्य सरकार द्वारा अवैध बूचड़खानों पर प्रतिबंध के बाद पिछले 3-4 वर्षों में ये समस्याऔर बढ़ गई। फसल बचाने के लिए किसानों की रातें खेतों में बीत रहीं, तो सड़क पर वाहन चालकों के लिए ये पशु समस्या बने हुए हैं। हंगामा बढ़ने पर योगी आदित्यनाथ की सरकार ने राज्य में ब्लॉक और न्याय पंचायत स्तर पर गोवंश आश्रय खोलने का निर्णय लिया। लेकिन कुछ ही गोशालाओं में इनकी स्थिति ठीक देखने को मिली। इसलिए यूपी सरकार ने बेसहारा पशुओं की देख-रेख करने के लिए प्रति दिन के हिसाब से ३० रुपए देने की योजना बनाई।

पशुपालन विभाग द्वारा किए गए सर्वे के मुताबिक 31 जनवरी वर्ष 2019 तक पूरे प्रदेश में निराश्रित पशुओं (छुट्टा पशुओं) की संख्या सात लाख 33 हज़ार 606 है। श्रीकांत शर्मा ने बैठक में यह भी कहा कि यह भुगतान हर तीन माह पर किया जाएगा। भविष्य में इसे प्रतिमाह किया जाएगा।

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जिलाधिकारी और मुख्य पशु चिकित्साधिकारी पर यह देखने की जिम्मेदारी होगी कि इस योजना का लाभ उठा रहा व्यक्ति पशुओं का ठीक से ख्याल रख रहा है या नहीं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2012 की पशु गणना के मुताबिक प्रदेश में 205.66 लाख गोवंशीय पशु हैं। अनुमान के मुताबिक उनमें से 10—12 लाख जानवर बेसहारा हैं। राज्य में 523 पंजीकृत गोशालाएं हैं, जिन्हें सरकार से अनुदान मिलता है।

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