Lok Sabha Election Results 2019: पूर्व प्रधानमंत्री समेत 12 सीएम भी नहीं बचा सके अपनी कुर्सी

Mithilesh Dhar | May 24, 2019, 09:56 IST
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लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम आ चुके हैं। 23 मई का दिन किसी के लिए गम तो किसी के लिए खुशियां लेकर आया। एनडीए की प्रचंड जीत में बड़े-बड़े दिग्गज, स्टार चुनाव तो हारे ही, कभी अपने प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने वाले कई पूर्व मुख्यमंत्री अपनी सीट तक नहीं बचा पाए। 17वीं लोकसभा चुनाव के नतीजों में 12 पूर्व मुख्यमंत्री चुनाव हार गये हैं।

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत, मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, अरुणाचल के पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण और सुशील शिंदे चुनाव हार गए। इसके अलावा, जेडीएस नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी देवगौड़ा नहीं जीत पाए।

शीला दीक्षित

15 साल तक दिल्ली की सत्ता संभालने वाली शीला दीक्षित भाजपा के मौजूदा सांसद मनोज तिवारी से चुनाव हार गई हैं।

गुरुवार को जारी हुए परिणाम में मनोज तिवारी को 787799 वोट मिले जबकि शीला दीक्षित को 421697 मत ही मिले। इस तरह उन्हें तीन लाख से ज्यादा वोटों से हार झेलनी पड़ी।

दिल्ली में जब कांग्रेस की सरकार गई तो उन्हें बाद में केरल का राज्यपाल भी बनाया गया।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा

सोनीपत को हरियाणा का सबसे हॉट सीट कहा जाता था। मैदान में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा थे, उनकी लड़ाई भाजपा प्रत्याशी रमेश कौशिक से थी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा मार्च 2005 से अक्टूबर 2014 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हैं।

2014 के हरियाणा विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद 19 अक्टूबर 2014 को उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था, और 2019 लोकसभा चुनाव में उन्हें एक बार फिर करारी हार झेलनी पड़ी। रमेंश कौशिक ने उन्हें 164864 मतों से हरा दिया है। रमेश कौशिक को कुल 587664 वोट मिले जबकि भूपेंद्र हुड्डा 422800 वोट ही हासिल कर पाए।

हरीश रावत

वर्ष 2014 में विजय बहुगुणा के इस्तीफा देने के बाद हरीश रावत मुख्यमंत्री बने थे। भले ही वे ज्यादा दिनों तक इस कुर्सी को संभाल न पाए हो लेकिन उत्तराखंड में उनका राजनीतिक कद बहुत ऊंचा रहा है। लेकिन वे भी भाजपा की लहर से पार नहीं पा सके।

भाजपा के प्रत्याशी अजय भट्ट ने उन्हें 3 लाख 39 हजार 96 वोटों से हरा दिया। अजय को कुल 772195 मत मिले जबकि उनके मुकाबले हरीश रावत को 433099 मत ही मिले।

जीतनराम मांझी

जीतनराम मांझी अपनी पुरानी पार्टी से पार नहीं पा सके और उन्हें जनता दल यूनाईटेड के प्रत्याशी से हार गये। जदयू के विजय मांझी ने हम पार्टी के अध्यक्ष 1.5 लाख से अधिक वोटों से हरा दिया है। विजय मांझी को 462360 वोट मिले। जीतन राम मांझी को 310565 वोट मिले।

रिजर्व सीट होने की वजह से पिछले 20 सालों से इस सीट पर मांझियों का दबदबा रहा है। लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 11 अप्रैल को इस सीट पर मतदान हुआ था।

बाबूलाल मरांडी

भाजपा की जहर से झारखंड भी अछूता नहीं रह पाया। पूर्व मुख्यमंत्री झारखंड विकास मोर्चा के प्रत्याशी बाबू लाल मरांडी भाजपा की प्रत्याशी अन्नपूर्णा देवी ने 455600 वोटों से हरा दिया है।

अन्नपूर्णा को 753016 वोट और मरांडी को 297416 वोट मिले। मरांडी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री भी रहे थे। भाजपा छोड़कर उन्होंने अपनी अलग से पार्टी बनाई लेकिन उनकी पार्टी का प्रदर्शन बहुत बुरा रहा है।

शिबू सोरेन

झारखंड के एक और पूर्व मुख्यमंत्री की इस लोकसभा चुनाव में हार हुई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन को भाजपा प्रत्याशी ने सुनील सोरेन ने दुमका लोकसभा सीट से 47590 मतों से हरा दिया है। शिबु को 437333 वोट और सुनील को 484923 मिले।

शिबू सोरेन 2005 में पहली बार 10 दिनों के लिए सीएम बने थे। उसके बाद वे दोबारा 2008 में भी मुख्यमंत्री बने।

एचडी देवगौड़ा

पूर्व प्रधानमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी देवगौड़ा (जनता दल सेकुलर) को भाजपा के जीएस बासवाराज ने हरा दिया है। देवगौड़ा को 582788 वोट और बासवाराज को 596127 वोट मिले। एचडी देवगौड़ा इससे पहले हासन सीट से पांच बार सांसद रहे हैं। इसके अलावा देश के 11वें प्रधानमंत्री और कर्नाटक के 14वें मुख्यमंत्री थे। 1996-97 में प्रधानमंत्री के रूप में काम किया, 1994-96 में मुख्यमंत्री बने।

वीरप्पा मोइली

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एम वीरप्पा मोइली को भाजपा उम्मीदवार बीएन बाचे गौड़ा ने चिकबल्लापुर सीट पर 1,82,110 मतों के अंतर से हरा दिया है। गौड़ा को 7,45,912 जबकि मोइली को 5,63,802 वोट मिले। पूर्व केंद्रीय मंत्री मोइली राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस-जद(से) गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार थे। गौड़ा 2014 के लोकसभा चुनाव में मोइली से करीब 9,500 मतों के अंतर से हारे थे। मोइली 1992 से 1994 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे थे।

अशोक चव्हाण

महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा की जोड़ी इस बार भी अन्य पार्टियों पर भारी रही। इसी कड़ी में प्रदेश के कांग्रेस के प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री अशोक च्वहाण नांदेड़ संसदीय क्षेत्र से अपनी सीट नहीं बचा सके और भाजपा के प्रताप चिखलिकर से 50000 से ज्यादा मतों से हार गये। वे 2008 से 2010 के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।

सुशील कुमार शिंदे



सुशील शिंदे भाजपा प्रत्याशी जय सिद्धेश्वर एस महास्वामीजी से 158608 वोटों से हार गए हैं। दिग्गज कांग्रेसी शिंदे सोलापुर चुनाव लड़े और 2,38,176 वोट हासिल किए। वह भाजपा के महास्वामी जयसिद्धेश्वर शिवाचार्य से हार गए, जिन्हें 3,49,372 वोट मिले। शिंदे जनवरी 2003 से अक्टूबर 2004 के बीच महाराष्ट्र के सीएम थे।

दिग्विजय सिंह

भोपाल लोकसभा सीट पर दिग्विजय सिंह को प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने हराया। प्रज्ञा को 866482 और दिग्विजय को 501660 मत मिले। दिग्विजय मध्य प्रदेश से दो बार सीएम रहे। वे 1993 से 2003 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।

नबाम तुकी



अरुणालल प्रदेश भी मोदी की लहर से बच नहीं पाया। भाजपा ने अरुणाचल प्रदेश की दोनों सीटों पर एक बार फिर कब्जा जमा लिया। भाजपा प्रत्याशी और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी को 1,66,259 मतों से हरा दिया। 2014 में रिजिजू ने 41,738 वोट से जीत दर्ज की थी। तुकी में पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे।

मुकुल संगमा

मेघालय के तुरा से नेशनल पीपुल्स पार्टी की अगाथा संगमा ने मुकुल को हराया। उन्हें 303895 और मुकुल को 240123 वोट मिले। तुरा लोकसभा चुनाव में कुल 3 उम्मीदवार मैदान में थे। मुकुल 2010 में मेघालय के 11वें मुख्यमंत्री बने थे।

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