69000 शिक्षक भर्ती मामले में फर्जीवाड़े का पर्दाफाश करने वाले प्रयागराज एसएसपी के ट्रांसफर पर क्यों उठ रहे हैं सवाल?
प्रतियोगी छात्रों ने सवाल किया है कि शिक्षक भर्ती मामले में अनियमितता को उजागर करने और नकल माफियाओं को गिरफ्तार करने वाले सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज का का तबादला क्यों किया गया? वहीं सरकारी सूत्रों का कहना है कि अनिरूद्ध पंकज ने अपने पिता की बीमारी की वजह से स्वैच्छिक अभी कहीं तैनाती नहीं ली है।
Daya Sagar 16 Jun 2020 8:23 AM GMT
उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती मामले में फर्जीवाड़े का पर्दाफाश करने वाले प्रयागराज के एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज का ट्रांसफर हो गया है। उन्हें अभी कहीं नए जगह नियुक्ति नहीं मिली है और उन्हें प्रतीक्षारत रखा गया है। उनके साथ प्रदेश के कुल 14 आईपीएस अधिकारियों का तबादला हुआ, जिसमें 12 एसपी और दो एसएसपी शामिल हैं।
गौर करने वाली बात यह है कि बाकी के 14 अधिकारियों में से 13 को नई जगहों पर पोस्टिंग मिल गई, लेकिन सत्यार्थ अनिरूद्ध पंकज को नहीं मिली। इसके बाद यह कयास लगने शुरू हो गए हैं कि उन्हें 69000 शिक्षक भर्ती मामले में फर्जीवाड़े का पर्दाफाश करने का 'फल' मिला है। दरअसल इस मामले में प्रयागराज पुलिस ने हाल ही में 6 संदिग्ध आरोपियों को साढ़े सात लाख रुपये के साथ पकड़ा था। इसके अलावा नकल माफिया कृष्ण लाल पटेल समेत तमाम सॉल्वर और नकल माफिया आरोपी गिरफ्तार किए गए। इस पूरे ऑपरेशन का नेतृत्व एसएसपी प्रयागराज सत्यार्थ अनिरूद्ध पंकज ने ही किया था। हालांकि सरकारी सूत्रों का कहना है कि अनिरूद्ध पंकज ने अपने पिता की बीमारी की वजह से स्वैच्छिक अभी कहीं तैनाती नहीं ली है।
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों और छात्रों ने यूपी सरकार की इस कार्रवाई पर अपना विरोध जताया है। प्रतियोगी छात्रों का मानना है कि शिक्षक भर्ती मामले में अनियमितता को उजागर करने और नकल माफियाओं के गिरफ्तार करने के कारण ही एसएसपी पर यह कार्रवाई हुई है। दरअसल इस भर्ती घोटाले में एक नाम स्थानीय बीजेपी नेता चंद्रमा सिंह यादव का भी आया है, जिसे स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने 15 जून को वांटेड भी घोषित किया। चंद्रमा सिंह यादव वर्तमान में बीजेपी किसान मोर्चे में प्रदेश की कार्यसमिति के सदस्य हैं। वह इससे पहले प्रयागराज बीजेपी की महानगर इकाई के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। इसके अलावा वह वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री और प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह के प्रतिनिधि भी रह चुके हैं।
एक प्रतियोगी छात्र ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि प्रदेश की बीजेपी सरकार ने बीजेपी नेता का नाम आने के बाद ही एसएसपी पर यह कार्रवाई की है। चंद्रमा सिंह यादव और उनके गिरोह का नाम 8 जनवरी, 2020 को टीईटी का पेपर लीक होने के बाद भी सामने आया था। तब उन्हें और उनके गिरोह को 180 मोबाइल फोन और 220 प्री एक्टिवेटेड सिम के साथ गिरफ्तार भी किया गया था। हाल ही में चंद्रमा सिंह जमानत पर जेल से रिहा हुए। शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़े में नाम आने के बाद से वह फरार है, इसलिए एसटीएफ ने उन्हें वांछित अपराधी (वांटेड) घोषित किया है।
वहीं कई प्रतियोगी छात्रों और प्रयागराज से जुड़े लोग सोशल मीडिया पर #प्रयागराज_एसएसपी_हटाये_क्यों_गए ट्रेंड कराकर यूपी सरकार से सवाल पूछ रहे हैं कि इतना बेहतर काम करने के बावजूद उन्हें आखिर क्यों हटाया गया? सौरभ नाम के एक स्थानीय वकील ने लिखा है, "शिक्षक भर्ती घोटाले में प्रयागराज के एसएसपी पूरी ईमानदारी से कड़ी से कड़ी जोड़कर इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने ही वाले थे लेकिन रास्ते में राजनीतिक अड़चने कांटा बनकर खड़ी हो गई। इसकी गुत्थी कहीं और ही का रास्ता दिखा रही थीं।"
#शिक्षक_भर्ती_घोटाला में प्रयागराज के एसएसपी ने अपनी पूरी ईमानदारी से कड़ी से कड़ी जोड़कर इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने ही वाले थे लेकिन रास्ते में राजनीतिक अड़चने कांटा बनकर खड़ी हो गई।इसकी गुत्थी कहीं और ही का रास्ता दिखा रही थी।#प्रयागराज #प्रयागराज_एसएसपी_हटाये_क्यों_गए @UPGovt pic.twitter.com/KgHxLc95oX
— Saurabh {नेहरू की चाल} (@ASaurabh2015) June 16, 2020
वहीं विनीत सिंह नाम के प्रयागराज के एक स्थानीय युवा ने लिखा है, "सरकार किसी की हो ईमानदारी की कीमत चुकानी ही पड़ती है। एक अधिकारी जो जनता की छोटी से छोटी शिकायत का संज्ञान लेता था, जिसने 69k शिक्षक भर्ती में घोटाले का पर्दाफाश किया, उसे ईनाम के रूप में ट्रांसफर के साथ प्रतीक्षारत सूची में डाल दिया जाता है।"
दरअसल सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज की छवि एक ईमानदार पुलिस अधिकारी के साथ-साथ सबकी सुनने वाले अधिकारी के रूप में भी रही है। कहा जाता है कि वह हर एक ट्वीट को बेहद संजीदगी से पढ़कर उसका जवाब देते हैं और संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों को निर्देश देकर उचित कार्रवाई भी करते हैं।
सरकार किसी की हो ईमानदारी की कीमत चुकानी ही पड़ती है।
— Vineet Singh (@08vineet) June 16, 2020
एक अधिकारी जो जनता की छोटी से छोटी शिकायत का संज्ञान लेता था , जिसने 69k शिक्षक भर्ती में घोटाले का पर्दाफाश किया, उसे इनाम के रूप में ट्रांसफर के साथ प्रतिक्षारत सूची में डाल दिया जाता है@dgpup
miss u #सत्यार्थअनिरुद्धपंकज pic.twitter.com/iTGGGTn5Ma
हालांकि शासन के सूत्रों का कहना है कि सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने व्यक्तिगत कारणों से खुद ही छुट्टी मांगी है, इसलिए उन्हें प्रयागराज के एसएसपी पद से पदमुक्त कर कोई पदभार नहीं दिया गया है। सूत्रों के अनुसार उनके पिता बहुत ही बुजुर्ग हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। वहीं अब उनके और उनके गनर के कोरोना पॉजिटिव होने की भी खबर आई है।
सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने विदाई लेते वक्त एस एस पी प्रयागराज के ट्वीटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा, "पद पर रहते हुए प्रयागराज की जनता ने जो प्यार और भरोसा दिया उसका मैं सदैव आभारी रहूँगा। आपका यह भरोसा पुलिस पर सदैव बना रहे यही कामना है। प्रयागराजवासियों को अशेष शुभकामनायें।"
एस एस पी प्रयागराज पद पर रहते हुए प्रयागराज की जनता ने जो प्यार और भरोसा दिया उसका मैं सदैव आभारी रहूँगा। आपका यह भरोसा पुलिस पर सदैव बना रहे यही कामना है। प्रयागराजवासियों को अशेष शुभकामनायें।💐💐💐💐💐
— SSP PRAYAGRAJ (@PrayagrajSsp) June 15, 2020
--सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज
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