69000 शिक्षक भर्ती मामले में शिक्षामित्रों को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने 37339 पदों की भर्ती पर लगाई रोक

गाँव कनेक्शन | Jun 09, 2020, 12:41 IST
शेष बचे हुए 31,661 पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी रहेगी। हालांकि 3 जून के एक आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच ने भर्ती प्रक्रिया पर पहले से ही स्टे लगाया है।
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69000 शिक्षक भर्ती मामले में शिक्षामित्रों को बड़ी राहत मिली है। शिक्षामित्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 69000 सीटों में से 37339 पदों की भर्ती पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए यूपी सरकार को 37339 पदों को होल्ड पर रखने का आदेश दिया। इस मामले में अगली सुनवाई अब 14 जुलाई 2020 को होगी।

इससे पहले पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से 40-45 प्रतिशत कटऑफ पर उत्तीर्ण हुए शिक्षामित्रों का डाटा मांगा था। वहीं शिक्षामित्रों का कहना था कि लिखित परीक्षा में कुल 45357 शिक्षामित्रों ने फॉर्म डाला था, जिसमें से 8018 शिक्षामित्र सरकार द्वारा निर्धारित 60-65 प्रतिशत के कटऑफ के साथ पास हुए। लेकिन इसका कोई डाटा नहीं कि कितने शिक्षामित्र 40-45 के कटऑफ पर पास होते। इसलिए 69000 पदों में से 37339 पदों को रिजर्व करके सहायक शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया पूरी की जाए या फिर पूरी भर्ती प्रक्रिया पर ही स्टे लगा दिया जाए।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 37339 पदों को होल्ड करने का निर्देश उत्तर प्रदेश सरकार को दिया। हालांकि शेष बचे हुए 31,661 पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी रहेगी। इससे पहले 3 जून को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने भर्ती प्रक्रिया पर स्टे लगा दिया था। उस वक्त अधिकतर सफल अभ्यर्थी काउंसलिंग के लिए अपने जिलों के बेसिक शिक्षा विभाग के कार्यालय पर पहुंचे थे।

हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के इस आदेश के खिलाफ डबल बेंच में अपील की थी। इस मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है और बुधवार को फैसला आना है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब हाईकोर्ट की डबल बेंच अगर भर्ती प्रक्रिया से अपनी रोक हटा भी लेती है, तब भी 12 जुलाई तक 37339 पदों को भर्ती पर रोक लगी रहेगी।

भर्ती को रोकने के लिए हो रही राजनीति: शिक्षा मंत्री

वहीं सूबे के बेसिक शिक्षा विभाग के मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी ने विपक्षी दलों पर भर्ती प्रक्रिया में बांधा पहुंचाने का आरोप लगाया। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक दल नहीं चाहते कि यह भर्ती प्रक्रिया पूरी हो। वे योगी सरकार को बदनाम करना चाहते हैं इसलिए उनके इशारे पर कुछ अभ्यर्थी और शिक्षामित्र कोर्ट की शरण में जा रहे हैं और पूरी भर्ती को ही रद्द करने की मांग कर रहे हैं। गौरतलब है कि इस भर्ती प्रक्रिया को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश का व्यापमं घोटाला बताया है, वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने भर्ती को रद्द करने की मांग की है।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार इस भर्ती को पूरा कराने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और कोर्ट से स्टे हटने के बाद जल्द से जल्द भर्ती प्रक्रिया चालू की जाएगी। भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की लगातार आ रही शिकायतों पर उन्होंने कहा कि मई में शिक्षक भर्ती में लेन-देन की शिकायत आई थी। उस शिकायत पर कार्रवाई करते हुए सरकार ने केएल पटेल समेत 11 लोगो को गिरफ्तार किया।

गिरफ्तारी के बाद प्रयागराज के एक परीक्षा केंद्र पर धांधली का खुलासा हुआ, अब उस परीक्षा केंद्र को डिबार घोषित किया जाएगा और प्रबंधक और प्रधानाचार्य के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होगी। उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच राज्य सरकार ने एसटीएफ को सौंपी है, ताकि भ्रष्टाचार करने वाला कोई भी दोषी छूट ना जाए।

सामान्य श्रेणी के एक अभ्यर्थी के ओबीसी वर्ग में चयन होने के सवाल पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि अभी संबंधित अभ्यर्थी की कॉउंसिलिंग नहीं हुई थी, दस्तावेजों की जांच के लिए ही कॉउंसलिंग कराई जाती है। कॉउंसलिंग में जांच के बाद उक्त अभ्यर्थी पर भी उचित निर्णय होता।

वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों के पदों पर नियुक्ति रोके जाने के आदेश पर सतीश द्विवेदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अभी यूपी सरकार का पक्ष नहीं सुना गया है। सरकार का पक्ष सुनने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट अपना अंतिम फैसला देगी।

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