अब खाने के लिए सांसदों को देना होगा तीन गुना पैसा

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नई दिल्ली। लोकसभा व राज्यसभा के सांसदों को नए वर्ष में संसद की कैंटीन में खाने के लिए अब तीन गुना पैसा खर्च करना पड़ेगा। एक जनवरी 2016 से संसद की कैंटीन में मिलने वाले खाने पर सब्सिडी नहीं मिलेगी। संसद की कैंटीन को एक वर्ष में लगभग 14 करोड़ की सब्सिडी दी जाती है।

लोकसभा सचिवालय ने गुरुवार को यह आदेश जारी किया गया है। संसद की कैंटीन अब नो प्रॉफिट-नो लॉस के आधार पर काम करेगी। नए आदेश में शाकाहारी थाली की कीमत जो अभी तक 18 रुपए थी वह अब 30 रुपए में मिलेगी वहीं मांसाहारी थाली की दाम 33 रुपए से 60 रुपए हो गया है।

संसद की कैंटीन के खाने की कम कीमतों पर कई बार मीडिया में चर्चा हुई है। इस पर गंभीरता से ध्यान देते हुए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने संसद की खाद्य समिति को इस मुद्दे पर एक्शन लेने को कहा। समिति की रिपोर्ट मिलने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ने कैंटीन को नो प्रॉफिट-नो लॉस के आधार पर काम करने पर सहमति जताई। कीमतों में यह बदलाव करीब छह साल के बाद किया गया है।

यह बढ़ी कीमतें सांसदों, लोकसभा एवं राज्यसभा के अधिकारियों, मीडिया कर्मियों, सुरक्षाकर्मियों और साथ ही आगंतुकों के लिए लागू होंगी।

संसद की कैंटीन में व्यंजनों की संख्या भी घटा दी गई है। जहां पहले 125 से 130 व्यंजन रोज पकाए जाते थे अब प्रतिदिन 25 व्यंजन बनाए जाएंगे। कैंटीन में चाय और कॉफी बनाने वाली मशीनें लगाई जाएंगी। संसद भवन परिसर में करीब आधा दर्जन कैंटीनों का संचालन उत्तर रेलवे करता है।

लोकसभा सचिवालय में चलने वाली कैंटीन में खाने की कम कीमतों को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल ने एक आरटीआई पिछले वर्ष दाखिल की थी। इसके जवाब में लोकसभा सचिवालय ने बताया, सब्सिडी का खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है। आंकड़ों पर अगर नजर रखें तो वर्ष 2009-10 में यह 10.46 करोड़ रुपए था जो वर्ष 2012-13 में बढ़कर 12.52 करोड़ हो गया वहीं वर्ष 2013-14 यह रकम 14.09 करोड़ पहुंच गया।

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