बिना मान्यता चल रहा वेटनरी कॉलेज, अधर में छात्रों की डिग्री

गाँव कनेक्शन | Sep 16, 2016, 16:05 IST
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मेरठ। कृषि विश्वविद्यालय के वेटनरी कॉलेज से लाखों रुपये लगा पढ़ाई करने वाले सैकड़ों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है। बिना मान्यता के कॉलेज ने कोर्स तो शुरू करा दिया लेकिन डॉक्टरी की नौकरी तो दूर इन्हें इंटर्नशिप की जगह तक नहीं मिल रही है।

कॉलेज की मान्यता और अपने साथ हुए धोखे को लेकर छात्र लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्र संदीप कहते हैं, ''घर वालों ने हमारी डिग्री के लिए पिछले चार सालों में दस लाख रूपये तक खर्च कर दिए है। अब पता चल रहा है इस कोर्स की मान्यता नहीं है। ऐसे में हम कहां जाएं।"

दिल्ली-देहरादून राष्ट्रीय राजमार्ग पर मेरठ जिला मुख्यालय से उत्तर दिशा की ओर लगभग 12 किलोमीटर पर स्थित सरदार वल्लभ भाई कृषि विश्वविद्यालय में चार वर्षों में लाखों रूपये खर्च करने के बाद भी पशु चिकित्सक बन देश की तरक्की में योगदान देने का सपना संजोने वाले वेटनरी कॉलेज के दो दर्जन छात्रों के भविष्य पर अनिश्चता की तलवार लटक गयी है। अब उनकी डिग्री को ही प्रदेश शासन ने मान्यता देने से यह कहते हुए मना कर दिया है की मेरठ के कृषि विश्वविद्यालय में चल रहे वेटनरी कॉलेज को मानक पूरे न होने के कारण मान्यता ही नहीं है।

वेटनरी कॉलेज में अपने भविष्य को लेकर परेशान छात्र शैलेश कुमार कहते हैं, ''हम सभी लोग प्रदेश के अलग अलग दूर दराज़ के जिलो से आये हैं, डिग्री कोर्स पूरा होने के बाद अब हम लोगों को इंटर्नशिप करनी है जिस के लिए हम लोग पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश वेटनरी कौंसिल लखनऊ में अपना पंजीकरण कराने गए थे जहां पर हमें यह कहते हुए लौटा दिया गया की हमारे बैच 2011-2012 को मान्यता ही नहीं है।"

शैलेश आगे बताते हैं, ''जहां से लौट कर जब हम ने अपनी परेशानी कुलपति और रजिस्ट्रार को बताई तो वो भी अभी तक समाधान नहीं कर पाये है।"

विश्वविद्यालय से रजिस्ट्रार का एक पत्र लेकर कॉलेज के डीन प्रोफेसर वाईपी सिंह वेटनरी कौंसिल ऑफ इण्डिया दिल्ली गए थे, जहां पर सचिव डॉ आर के गुप्ता ने यह कह कर चलता कर दिया की मामला उत्तर प्रदेश वेटनरी कौंसिल लखनऊ का है उन्हें कोई अप्पत्ति नहीं है पहले वहां से मान्यता ज़रूरी है। प्रोफेसर वाईपी सिंह इस बारे में बताते हैं, ''वर्ष 2008 में तत्कालीन कुलपति एम पी यादव द्वारा कुल 122 पोस्ट शासन से स्वीकृत करा कर कॉलेज निर्माण शुरू कर मान्यता लेने के लिए प्रयास शुरू किये, लेकिन मानक पूरे न होने के कारण अस्थाई मान्यता मिल गयी और कॉलेज का उद्घाटन करवा डाला गया।"

वाई पी सिंह आगे बताते हैं, ''कुलपति एमपी यादव के जाने के बाद कुलपति बन कर आये एके बक्शी ने 161 पोस्ट को घटा कर 87 कर दिया और नियुक्ति मात्र 23 हुई।

एके बक्शी ने वर्ष 2011-2012 में पहले बैच में 35 छात्रों को बिना मान्यता के ही कॉलेज में दाखिला दे दिया उनमें 12 छात्र फेल हो गए जो अब चौथे वर्ष के छात्र हैं जबकि 23 छात्रों की डिग्री पूरी हो चुकी है। वर्ष 2011 के बाद भी 2012-2013 सत्र के लिए भी दाखिले किये गए, जबकि सत्र 2013-2014 के बीच दाखिले नहीं हुए। बक्शी के जाने के बाद कुलपति बन कर आए मौजूदा कुलपति डॉ. एचएस गौड़ ने भी छात्रों के भविष्य की चिंता किये बिना शैक्षिक सत्र 2014-2015 में एक बार फिर नए बैच के छात्रों के दाखिले कर दिए है।"

कुलपति डॉ. एचएस गौड़ से जब बात की गयी तो उन्होंने कहा कि समस्या तो है लेकिन बहुत जल्द समाधान निकाल लिया जायेगा। उन से जब कॉलेज को मान्यता कब तक मिल जाएगी पूछा गया तो वो इसे शासन और राजभवन पर टाल गए।

रिपोर्टिंग - सुनील तनेजा

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