बच्चों के कंधों पर नहीं है किताबों का बोझ, बॉम्बे हाई कोर्ट ने याचिका खारिज की
गाँव कनेक्शन | Jul 09, 2019, 08:18 IST
लखनऊ। बॉम्बे हाई कोर्ट ने बच्चों के स्कूली बस्ते के वजन को कम करने की याचिका को खारिज कर दिया है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि उसे नहीं लगता कि बच्चे अपने कंधों पर अनावश्यक भारी बस्ते ले जाते हैं। वक्त के साथ किताबें भी पतली होती गईं हैं।
कोर्ट ने कहा कि स्कूली बस्तों का भार की मात्रा निश्चित करने के लिए नए दिशा निर्देश देने की जरूरत नहीं है। "हमारे जमाने में, हमारी किताबें प्राय: वजनी होती थीं। आजकल किताबें पतली हो गई हैं।" मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजजोग और न्यायमूर्ति एनएम जामदार ने सुनवाई करते हुए कहा।
दो जजों की इस पीठ ने कहा कि हमारी किताबों में दिखाया जाता था कि केवल औरतें ही घर का काम करती हैं जबकि आज की किताबें दिखाती हैं कि पुरूष भी फर्श पर झाड़ू लगा सकते हैं। पीठ ने कहा, हमारी किताबें बहुत वजनी होती थीं लेकिन हमें पीठ की कोई समस्या नहीं हुई। इसलिए किताबों की बोझ की बात करना हमें बेमानी लगती है।
कोर्ट ने कहा कि स्कूली बस्तों का भार की मात्रा निश्चित करने के लिए नए दिशा निर्देश देने की जरूरत नहीं है। "हमारे जमाने में, हमारी किताबें प्राय: वजनी होती थीं। आजकल किताबें पतली हो गई हैं।" मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजजोग और न्यायमूर्ति एनएम जामदार ने सुनवाई करते हुए कहा।
दो जजों की इस पीठ ने कहा कि हमारी किताबों में दिखाया जाता था कि केवल औरतें ही घर का काम करती हैं जबकि आज की किताबें दिखाती हैं कि पुरूष भी फर्श पर झाड़ू लगा सकते हैं। पीठ ने कहा, हमारी किताबें बहुत वजनी होती थीं लेकिन हमें पीठ की कोई समस्या नहीं हुई। इसलिए किताबों की बोझ की बात करना हमें बेमानी लगती है।