G20 दक्षिण अफ्रीका: जलवायु फाइनेंस और क्लीन ऊर्जा पर भारत की निर्णायक भूमिका
Seema Javed | Nov 25, 2025, 19:13 IST
दक्षिण अफ्रीका में हुए G20 समिट ने ग्लोबल साउथ की आवाज़ को पहले से कहीं ज़्यादा ताक़त दी और इस बदलाव के केंद्र में भारत रहा। जलवायु फाइनेंस, रिन्यूएबल एनर्जी, क्रिटिकल मिनरल्स और फूड सिक्योरिटी जैसे मुद्दों पर भारत की प्राथमिकताओं को स्पष्ट समर्थन मिला।
दक्षिण अफ्रीका में 22–23 नवंबर को सम्पन्न हुआ G20 लीडर्स समिट ऐसे समय में हुआ जब दुनिया भू-राजनीतिक तनाव, आर्थिक असमानता और धीमी होती वृद्धि से जूझ रही है। इस जटिल माहौल में पहले ही दिन बिना किसी आपत्ति के लीडर्स’ डिक्लेरेशन का अपनाया जाना बड़ी उपलब्धि माना गया-खासतौर पर इसलिए क्योंकि अमेरिका इस बैठक में मौजूद नहीं था। इसके बावजूद अफ्रीका और ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं को जिस स्पष्टता से जगह मिली, उसे वैश्विक कूटनीति की बड़ी जीत कहा जा रहा है।
डिक्लेरेशन का मूल संदेश साफ़ था-साझा चुनौतियों का समाधान केवल मज़बूत सहयोग से ही संभव है। इसमें जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए फाइनेंस व्यवस्था में बड़े सुधार, कर्ज़ ढांचे को पुनर्गठित करने और जलवायु फाइनेंस को “बिलियन्स से ट्रिलियन्स” तक बढ़ाने की आवश्यकता पर विशेष ज़ोर दिया गया।
भारत के लिए क्यों अहम है यह समिट?
भारत पिछले कुछ वर्षों से क्लीन एनर्जी, जस्ट ट्रांज़िशन, क्रिटिकल मिनरल्स, फूड सिक्योरिटी और जलवायु वित्त जैसे मुद्दों को लगातार वैश्विक एजेंडे में अग्रिम पंक्ति में ला रहा है। इस बार का G20 परिणाम इन सभी प्राथमिकताओं के अनुरूप रहा।
डिक्लेरेशन में यह स्पष्ट दोहराया गया कि दुनिया को 2030 तक
रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता तीन गुना
एनर्जी एफिशिएंसी दोगुनी करनी होगी।
यह वही लक्ष्य हैं जिन पर भारत अपनी G20 प्रेसिडेंसी के दौरान बार-बार वकालत करता रहा है।
दूसरे सेशन में प्रधानमंत्री मोदी ने क्रिटिकल मिनरल्स के भविष्य और उनके पुनःउपयोग पर विस्तृत दृष्टिकोण रखा। उन्होंने कहा कि
रीसायकलिंग,
अर्बन माइनिंग,
सेकंड-लाइफ बैटरी मॉडल
आने वाले दशक में टिकाऊ विकास का आधार बनेंगे।
इन मिनरल्स पर बना फ्रेमवर्क विकासशील देशों के लिए विशेष रूप से उपयोगी माना जा रहा है।
भारत ने याद दिलाया कि जलवायु संकट सीधे भोजन सुरक्षा को प्रभावित करता है। पानी, भूमि और तापमान में बदलाव का असर सबसे पहले खेती और फसल पर दिखता है।
भारत ने अपने प्रस्तुत किए गए डेकिन प्रिंसिपल्स को दोहराते हुए कहा कि ग्लोबल फूड सिस्टम को जलवायु-लचीला बनाए बिना भविष्य सुरक्षित नहीं होगा।
ग्लोबल साउथ की आवाज़: इस बार पहले से ज़्यादा बुलंद
अफ्रीकी नेताओं की पहल ALDRI ने भी डिक्लेरेशन की सराहना की। उन्होंने कहा कि मौजूदा कर्ज़ संरचना ने विकासशील देशों की रीढ़ तोड़ दी है। अगर इसी व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो ये देश स्वास्थ्य, शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास पर निवेश ही नहीं कर पाएंगे।
भारत ने इस चर्चा में निर्णायक भूमिका निभाई। भारत ने साफ़ कहा—भूमि, प्रकृति और संसाधनों के दोहन पर आधारित पुराना विकास मॉडल अब टिकाऊ नहीं है। विकास की परिभाषा को प्रकृति के संतुलन के साथ पुनर्गठित करना होगा।
विशेषज्ञों की नज़र में भारत की भूमिका
राजदूत (डॉ.) मोहन कुमार ने कहा, “अमेरिका के न आने से G20 कमजोर नहीं हुआ। उल्टा यह साबित हुआ कि दुनिया का बड़ा हिस्सा अब भी बहुपक्षवाद को महत्वपूर्ण मानता है। भारत ने ग्लोबल साउथ की आवाज़ को सही जगह दिलाई।”
“डिक्लेरेशन साफ़ बताता है कि ग्रीन इंडस्ट्रियलाइजेशन ही भविष्य है। क्रिटिकल मिनरल्स पर जो फ्रेमवर्क बना है, वह विकासशील देशों के लिए बहुत अहम कदम है। साथ ही जलवायु और व्यापार का बदलता संबंध आगे नई चुनौतियाँ भी लाएगा, ”वहीं तृषांत देव, प्रोग्राम मैनेजर, CSE ने कहा।
भारत की Bilateral Outreach-संबंधों में नई ऊर्जा
कुल मिलाकर भारत अब सिर्फ़ चर्चा का हिस्सा नहीं, दिशा तय करने वाला देश है
दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में हुआ यह G20 समिट एक महत्त्वपूर्ण संकेत देता है-दुनिया अब एक नए दौर में प्रवेश कर रही है, जहां ग्लोबल साउथ की आवाज़ न केवल सुनी जाती है, बल्कि वैश्विक एजेंडा तय करती है।
भारत ने इस आवाज़ को एक नई दृढ़ता दी है। आज भारत जलवायु महत्वाकांक्षा, विकास मॉडल और कूटनीति, इन तीनों को साथ लेकर दुनिया को एक व्यवहारिक और संतुलित मार्ग दिखा रहा है।
डिक्लेरेशन का मूल संदेश साफ़ था-साझा चुनौतियों का समाधान केवल मज़बूत सहयोग से ही संभव है। इसमें जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए फाइनेंस व्यवस्था में बड़े सुधार, कर्ज़ ढांचे को पुनर्गठित करने और जलवायु फाइनेंस को “बिलियन्स से ट्रिलियन्स” तक बढ़ाने की आवश्यकता पर विशेष ज़ोर दिया गया।
भारत के लिए क्यों अहम है यह समिट?
भारत पिछले कुछ वर्षों से क्लीन एनर्जी, जस्ट ट्रांज़िशन, क्रिटिकल मिनरल्स, फूड सिक्योरिटी और जलवायु वित्त जैसे मुद्दों को लगातार वैश्विक एजेंडे में अग्रिम पंक्ति में ला रहा है। इस बार का G20 परिणाम इन सभी प्राथमिकताओं के अनुरूप रहा।
- क्लीन एनर्जी और जस्ट ट्रांज़िशन को मज़बूती
डिक्लेरेशन में यह स्पष्ट दोहराया गया कि दुनिया को 2030 तक
रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता तीन गुना
एनर्जी एफिशिएंसी दोगुनी करनी होगी।
यह वही लक्ष्य हैं जिन पर भारत अपनी G20 प्रेसिडेंसी के दौरान बार-बार वकालत करता रहा है।
- क्रिटिकल मिनरल्स: भारत की रणनीतिक बातों को अहमियत
दूसरे सेशन में प्रधानमंत्री मोदी ने क्रिटिकल मिनरल्स के भविष्य और उनके पुनःउपयोग पर विस्तृत दृष्टिकोण रखा। उन्होंने कहा कि
रीसायकलिंग,
अर्बन माइनिंग,
सेकंड-लाइफ बैटरी मॉडल
आने वाले दशक में टिकाऊ विकास का आधार बनेंगे।
इन मिनरल्स पर बना फ्रेमवर्क विकासशील देशों के लिए विशेष रूप से उपयोगी माना जा रहा है।
- फूड सिक्योरिटी: भारत का डेकिन प्रिंसिपल फिर केंद्र में
भारत ने याद दिलाया कि जलवायु संकट सीधे भोजन सुरक्षा को प्रभावित करता है। पानी, भूमि और तापमान में बदलाव का असर सबसे पहले खेती और फसल पर दिखता है।
भारत ने अपने प्रस्तुत किए गए डेकिन प्रिंसिपल्स को दोहराते हुए कहा कि ग्लोबल फूड सिस्टम को जलवायु-लचीला बनाए बिना भविष्य सुरक्षित नहीं होगा।
ग्लोबल साउथ की आवाज़: इस बार पहले से ज़्यादा बुलंद
अफ्रीकी नेताओं की पहल ALDRI ने भी डिक्लेरेशन की सराहना की। उन्होंने कहा कि मौजूदा कर्ज़ संरचना ने विकासशील देशों की रीढ़ तोड़ दी है। अगर इसी व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो ये देश स्वास्थ्य, शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास पर निवेश ही नहीं कर पाएंगे।
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भारत ने इस चर्चा में निर्णायक भूमिका निभाई। भारत ने साफ़ कहा—भूमि, प्रकृति और संसाधनों के दोहन पर आधारित पुराना विकास मॉडल अब टिकाऊ नहीं है। विकास की परिभाषा को प्रकृति के संतुलन के साथ पुनर्गठित करना होगा।
विशेषज्ञों की नज़र में भारत की भूमिका
राजदूत (डॉ.) मोहन कुमार ने कहा, “अमेरिका के न आने से G20 कमजोर नहीं हुआ। उल्टा यह साबित हुआ कि दुनिया का बड़ा हिस्सा अब भी बहुपक्षवाद को महत्वपूर्ण मानता है। भारत ने ग्लोबल साउथ की आवाज़ को सही जगह दिलाई।”
“डिक्लेरेशन साफ़ बताता है कि ग्रीन इंडस्ट्रियलाइजेशन ही भविष्य है। क्रिटिकल मिनरल्स पर जो फ्रेमवर्क बना है, वह विकासशील देशों के लिए बहुत अहम कदम है। साथ ही जलवायु और व्यापार का बदलता संबंध आगे नई चुनौतियाँ भी लाएगा, ”वहीं तृषांत देव, प्रोग्राम मैनेजर, CSE ने कहा।
भारत की Bilateral Outreach-संबंधों में नई ऊर्जा
- G20 के दौरान भारत ने कई देशों के साथ महत्वपूर्ण समझौते और नई पहलें कीं:
- इटली - आतंकवाद की फंडिंग रोकने पर नया सहयोग
- कनाडा - व्यापार वार्ता फिर शुरू
- साउथ अफ्रीका - मिनरल सहयोग और ग्लोबल साउथ की आवाज़ को साथ मिलकर मजबूत करने पर सहमति
- यह द्विपक्षीय संपर्क भारत के भू-राजनीतिक प्रभाव को और सुदृढ़ करते हैं।
कुल मिलाकर भारत अब सिर्फ़ चर्चा का हिस्सा नहीं, दिशा तय करने वाला देश है
दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में हुआ यह G20 समिट एक महत्त्वपूर्ण संकेत देता है-दुनिया अब एक नए दौर में प्रवेश कर रही है, जहां ग्लोबल साउथ की आवाज़ न केवल सुनी जाती है, बल्कि वैश्विक एजेंडा तय करती है।
भारत ने इस आवाज़ को एक नई दृढ़ता दी है। आज भारत जलवायु महत्वाकांक्षा, विकास मॉडल और कूटनीति, इन तीनों को साथ लेकर दुनिया को एक व्यवहारिक और संतुलित मार्ग दिखा रहा है।