देश भर में भारी बारिश, किसानों को कहीं फायदा कहीं नुकसान

गाँव कनेक्शन | Sep 26, 2019, 13:45 IST
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राजधानी दिल्ली सहित देश भर के कई हिस्सों में भारी बारिश हो रही है। सितंबर के आखिरी में हो रही इस भारी बारिश के अपने फायदे तो हैं लेकिन नुकसान भी कम नहीं हैं। इस बारिश से जहां धान की फसल को फायदा हो रहा है, वहीं तिलहन, दलहन, फल और सब्जियों की फसल को खासा नुकसान पहुंच रहा है। किसान भी इससे परेशान दिख रहे हैं।

महाराष्ट्र के नासिक के प्याज और टमाटर बोने वाले किसान राशिद अली ने गांव कनेक्शन को बताया "टमाटर के फसल के वक्त कई राउंड की बारिश हो चुकी है, जिससे आधे से अधिक फसल का नुकसान हो चुका है। बारिश की तेज बूंदों से टमाटर दागदार हो रहा है और पत्तियों को भी नुकसान पहुंच रहा है। वहीं प्याज की फसल सड़ने लगी है।" राशिद अली कहते हैं कि उन्होंने 1997 के बाद सितंबर के महीने में इतनी तेज बारिश देखी है। वह इस बारिश को टमाटर के लिए 'ज़हर' कहते हैं।

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उचित भंडारण के अभाव में सड़ता प्याज

वहीं उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के धान किसानों के लिए यह बारिश काफी अमृत के समान है। गोरखपुर, उत्तर प्रदेश के किसान अजय मिश्रा कहते हैं, "यह सिर्फ पानी नहीं बल्कि किसानों के लिए अमृत बरस रहा है। इससे धान बोने वाले किसानों को सिंचाई के लिए अलग से प्रबंध नहीं करना होगा।" अजय ने बताया कि सितंबर के बीच में जब बारिश नहीं हो रही थी तो क्षेत्र के किसानों के माथे पर बल आ गए थे और वे सिंचाई के वैकल्पिक साधनों की तरफ देखने लगे थे।

भारत के मौसम विभाग के मुताबिक सितंबर के आखिरी में हुई लगातार बारिश अरब सागर में उठे चक्रवाती तूफान 'हिका' के कारण हो रही है। इसका असर देश के कई राज्यों में देखने को मिल रहा है और भारी बारिश हो रही है। मौसम विभाग ने अक्टूबर के पहले सप्ताह तक देश के अधिकतर हिस्सों में लगातार बारिश का पूर्वानुमान लगाया है।

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देश के उत्तरी और पूर्वोत्तर भारत को छोड़कर अधिकांश हिस्से में भारी बारिश हो रही है।

जहां भारी बारिश और खेतों में पानी लगने से धान किसानों को फायदा हो रहा है, वहीं गन्ना किसानों को इससे नुकसान हो रहा है। सीतापुर के गन्ना किसान बबलू मिश्रा की लाखों की गन्ने की फसल भारी बारिश और तेज हवाओं के कारण बर्बाद हो गई। गन्ने की गिरी हुई फसल को दिखाते हुए कहते हैं, "खेतों में पानी भरने और तेज हवाओं के साथ भारी बारिश से गन्ने की खड़ी की खड़ी फसल गिर गई और लाखों का नुकसान हो गया।"

वहीं मराठवाड़ा के किसानों के लिए यह बारिश ऊंट के मुंह में जीरे के जैसा है। लातूर, मराठवाड़ा के किसान संदीप बदगिरे गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं कि इस बारिश से उनके क्षेत्र में खरीफ की फसल को तो फायदा नहीं हुआ लेकिन ज्वार और चना जैसे रबी की फसलों को जरुर लाभ मिलेगा।

उन्होंने बताया, "इस मानसून में यह पहली बार है जब मराठवाड़ा में लगातार चार दिन तक बारिश हुई है। पूरे मानसून सीजन के दौरान कुल जमा चार दिन भी बारिश नहीं हुई जिसके कारण खरीफ की पूरी फसल बर्बाद हो गई। कई किसानों ने तो सिंचाई साधनों की अपर्याप्तता के कारण खरीफ की फसलों की बुआई ही नहीं की।"

मध्य प्रदेश के हरदा में सोयाबीन की खेती करने किसान दिनेश पाटिल तो लगातार हो रही बारिश से इतने परेशान हो चुके हैं कि आत्महत्या करने की सोचने लगे हैं। कहते हैं, "मेरे सामने अब फांसी लगाने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। छोटा किसान हूं और कर्ज लेकर 45 एकड़ की खेत में सोयाबीन लगाया था। लेकिन बारिश से पूरी फसल चौपट हो गई है। कर्ज भरने में वर्षों लग जाएंगे। बच्चे कैसे खाएंगे, कैसे पढ़ेंगे, आगे की खेती कैसे करूंगा, कुछ भी समझ नहीं आ रहा।"

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खेतों में भरा पानी फसलों को बर्बाद कर रहा है

मध्य प्रदेश के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बारिश के कारण अब तक लगभग 60 लाख एकड़ की फसल बर्बाद हो चुकी है। इससे 22 लाख किसानों के लगभग 9 हजार 600 करोड़ रुपए की फसल बर्बाद हुई है। अंतिम आंकड़ें आने अभी बाकी हैं।

वहीं उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के ललितपुर में दलहन की फसल बोने वाले किसान परेशान हैं। यहां उड़द की फसल बोयी जाती हैं। अत्यधिक बारिश से फसल बर्बाद हो गई हैं। दाल की बालियां खेतों में सडने के साथ टूट कर खेतों में गिरने लगी हैं। किसानों का कहना है कि उनके 80 प्रतिशत से अधिक खेती का नुकसान हुआ हैं और वे प्रशासन से मुआवजे की गुहार लगा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के किसान अरुण मिश्रा भी परेशान हैं। वह उड़द दाल की खेती करते हैं। कहते हैं, "यह फूलों के लगने का समय है जबकि लगातार हो रही बारिश से फूल नहीं लग पा रहे हैं। इससे हम किसानों को बहुत नुकसान होगा। आशा के अनुरुप फसल नहीं हो पाएगी।" पिछले लगभग 2 हफ्तों से लगातार रुक-रुक के हो रही बारिश से अरुण की 'अगेती धान' की फसल भी बर्बाद हो गई, जो कि वह आलू की फसल लेने के लिए बोते हैं।

बाराबंकी के ही संतराम मौर्या सब्जियों की खेती करते हैं। वह कहते हैं, "इस वक्त जो लताओं वाली सब्जियां थी वह पूरी तौर से बर्बाद हो चुकी है। लगातार बरसात होने के कारण उनके पौधे सड़ने लगे हैं। मैंने इस वक्त फूलगोभी, पत्ता गोभी, शिमला मिर्च और टमाटर की नर्सरी तैयार थी लेकिन लगातार बरसात होने के कारण खेतों में रोपाई का भी मौका नहीं मिला। जिन किसानों ने खेतों में पौधे की रोपाई कर दी थी उनकी फसल बर्बाद हो गई।"

उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग में तैनात कृषि विशेषज्ञ ए. के. मिश्रा बताते हैं, "इस वक्त की बारिश लेट वेरायटी की धान की फसल के लिए तो फायदेमंद है लेकिन ज्यादातर किसानों को अब इस बरसात से नुकसान ही होगा। लगातार बारिश होने से 'बीपीएच कीट' धान में लगने लगते हैं और फसल के पास गंदगी का प्रकोप भी बढ़ता जाता है। इस बारिश से हरी सब्जियों, दलहन और तिलहन की भी उपज प्रभावित होगी।"

शहरों में बारिश की आफत




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पुणे के एक हाईवे पर जलजमाव का दृश्य, एनडीआरएफ की टीम राहत कार्यों में जुटी है




जहां ग्रामीण भारत में यह बारिश फसलों की तबाही लेकर आया है, वहीं शहरी भारत में इससे आफत आई हुई है। महाराष्ट्र के पुणे में बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। मूसलाधार बारिश की वजह से सड़कों से लेकर घरों में बारिश का पानी भर गया है। पुणे के सहकार नगर में दीवार गिरने से 6 लोगों की मौत हो गई। वहीं पुणे के खेड़-शिवपुर गांव में दरगाह पर सो रहे पांच लोग भारी बारिश में बह गए।

पुणे के शहरी और अंदरुनी इलाकों में राहत कार्यों के लिए एनडीआरएफ की तैनाती की गई है। जलभराव में फंसे 10 हजार से अधिक लोगों को अब तक बाहर निकाला गया है। डीएम नवल किशोर राम ने सभी स्कूलों और कॉलेजों में छुट्टी का ऐलान किया है।

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र, प्रयागराज, वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर, प्रतापगढ़, बस्तीा, कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, संतकबीर नगर और सिद्धार्थनगर में भारी बारिश हो रही है। राजधानी लखनऊ में लगातार हो रही बारिश के कारण जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने भी स्कूलों और कॉलेजों में 27 सितंबर के दिन छुट्टी की घोषणा की है।

वहीं बिहार के पटना, गया, भोजपुर, नालंदा, नवादा, बेगूसराय, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार में अलग-अलग स्थानों पर बारिश हो रही है। जबकि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित राज्य के 12 जिलों में मौसम विभाग ने भारी बारिश की चेतावनी जारी करते हुए येलो एलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग ने अक्टूबर के पहले सप्ताह तक देश के एक बड़े हिस्से में लगातार बारिश का पूर्वानुमान लगाया है।



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इस मानसून सीजन में अभी तक सामान्य से 6 फीसदी अधिक बारिश हुई है।



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