क्रिकेट पर चढ़ा जलवायु संकट का पारा: अब सिर्फ खेल नहीं, सेहत का सवाल
Seema Javed | Jul 22, 2025, 10:56 IST
आपका पसंदीदा खेल क्रिकेट जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहा है। नई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट ‘हिट फॉर सिक्स’ बताती है कि 2025 के IPL जैसे टूर्नामेंटों में हीटवेव और उमस ने खिलाड़ियों की सेहत पर गंभीर असर डाला। मुंबई, दिल्ली, तिरुवनंतपुरम जैसे शहरों में बढ़ते "खतरनाक गर्मी" वाले दिनों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। रिपोर्ट खेल संगठनों को सचेत करती है-जलवायु संकट अब खेल मैदान तक पहुंच गया है।
भारत जैसे देशों में क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, एक जुनून है। लेकिन यह जुनून अब एक नए संकट की चपेट में है - जलवायु परिवर्तन। 'हिट फॉर सिक्स' नामक एक नई वैश्विक रिपोर्ट ने यह खुलासा किया है कि कैसे बढ़ती गर्मी, उमस और मौसम की चरम परिस्थितियां न सिर्फ क्रिकेट मैचों को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि खिलाड़ियों की सेहत पर भी गंभीर असर डाल रही हैं।
इस रिपोर्ट में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2025 के मौसम डेटा का गहन विश्लेषण किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, आईपीएल के 65 मैचों में से 36% ऐसे मौसम में खेले गए जिनमें "अत्यधिक सावधानी" बरतने की सलाह दी गई थी। वहीं 12% मैचों के दौरान तापमान और आर्द्रता इतने खतरनाक स्तर पर थे कि हीट स्ट्रोक का गंभीर खतरा बना रहा।
जलवायु संकट की चपेट में क्रिकेट
जलवायु परिवर्तन का क्रिकेट पर प्रभाव सिर्फ तापमान तक सीमित नहीं है। अत्यधिक गर्मी के कारण खिलाड़ी थकान, चक्कर, डिहाइड्रेशन और उल्टी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर एश्टन टर्नर और वेस्टइंडीज के डैरेन गंगा जैसे खिलाड़ियों ने माना कि अब मैदान में उतरना उतना सहज नहीं रहा, जितना एक दशक पहले था।
अत्यधिक गर्मी के दुनिया भर में सुर्खियों में रहने और प्रमुख खेलों में इसके खलल डालने की खबरों के बीच यह तथ्य सामने आए हैं। विंबलडन का पहला दिन इस टूर्नामेंट के इतिहास का अब तक के सबसे गर्म पहले दिन के रूप में रिकॉर्ड किया गया। वहीं, अमेरिका में क्लब वर्ल्ड कप के मुकाबले तपती गर्मी में खेले गए। संयुक्त राष्ट्र की डब्ल्यू एम ओ वेदर एजेंसी का कहना है कि वर्ष 2025 अब तक के सबसे गर्म तीन सालों में जगह बनाने जा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह स्थिति जीवाश्म ईंधन, जैसे कि कोयला, गैस और तेल को जलाने की वजह से पैदा हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया कि मुंबई जैसे शहरों में 1970 के बाद से "खतरनाक गर्मी" वाले दिनों में 125% की बढ़ोतरी हुई है। तिरुवनंतपुरम में तो 2024 में ऐसे 100 से ज्यादा दिन दर्ज किए गए जब बाहर निकलना तक सेहत के लिए घातक था। यह सिर्फ खिलाड़ियों का नहीं, दर्शकों, अंपायरों और ग्राउंड स्टाफ तक का मामला है।
भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, कैरेबियाई देश और ब्रिटेन विभिन्न प्रकार की चरम जलवायु स्थितियों का सामना कर रहे हैं। इससे पेशेवर और जमीनी स्तर पर खेलों पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। क्रिकेट सितारों और विभिन्न स्तरों के वर्तमान तथा पूर्व क्रिकेटर 'हिट फॉर सिक्स' को बताते हैं कि उनके प्यारे खेल पर जलवायु परिवर्तन का कितना खतरनाक असर पड़ रहा है।
वेस्टइंडीज के लिए 48 टेस्ट मैच खेल चुके पूर्व कप्तान डैरेन गंगा ने कहा, " इसमें मुझे कोई शक नहीं है कि आज क्रिकेट एक कड़ी परीक्षा का सामना कर रहा है। अलग-अलग फॉरमैट, टीवी डील्स या मल्टी स्क्रीन के युग में दर्शकों को आकर्षित करने की फिक्र भूल जाइए। यह चुनौती तो अस्तित्व से जुड़ी है और तेजी से बदलते माहौल के रूप में हमारे सामने आ रही है। मैंने भीषण गर्मी में क्रिकेट खेला है और मुझे उस समय होने वाली उल्टी, चक्कर आने और हीट स्ट्रोक के कारण होने वाला खिंचाव अच्छी तरह याद है। मैंने चरम और अप्रत्याशित मौसम की वजह से पैदा हुई बेचैनी, निराशा और अनिश्चितता को देखा है। आने वाली पीढियों के खिलाड़ियों, प्रशंसकों और क्लबों के लिए हालात और भी बदतर होने का अंदेशा है।"
ग्राउंड लेवल पर बदलते हालात
दिल्ली की टॉस क्रिकेट अकादमी के कोच राघव शर्मा के अनुसार, "अब हमें खिलाड़ियों को गर्मी से बचाने के लिए ट्रेनिंग टाइम सुबह 6 बजे या शाम को शिफ्ट करना पड़ता है। बच्चों के लिए जूनियर लेवल पर गर्मी की मार झेलना बेहद कठिन हो गया है।"
नोएडा के मोहम्मद कैफ, जो अब एक कोच की भूमिका में हैं, कहते हैं, “पसीने से भीगा शरीर, जलती हुई पिच और उबलता हुआ आउटफील्ड — ये सब अब सामान्य स्थिति बन चुकी है। बच्चों के माता-पिता भी डरते हैं कि कहीं खेल सेहत पर भारी न पड़ जाए।”
क्रिकेट से आगे की चुनौती
यह संकट केवल खिलाड़ियों की बात नहीं है। रिपोर्ट में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण स्टेडियमों की देखभाल, सिंचाई, बिजली खपत और फैंस की सुरक्षा जैसे मुद्दे भी जटिल होते जा रहे हैं। पिच सूखने से गेंदबाज़ों को नुकसान होता है, और अत्यधिक गर्मी से गेंद का स्विंग या स्पिन पैटर्न भी प्रभावित होता है।
ऑस्ट्रेलिया के लिए 56 टेस्ट और 35 एकदिवसीय मैच खेल चुके पूर्व बल्लेबाज साइमन कैटिच ने कहा, "जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को लेकर गंभीर चिंता उत्पन्न हो रही है। पिछले कुछ दिनों में सिडनी में हमने अत्यधिक गर्मी के कई दौर देखें जिनकी वजह से आग लगने की घटनाएं भी हुईं। वर्ष 2019 में ऐसी घटनाओं में 34 लोगों की मौत हुई और 3000 से ज्यादा इमारतें नष्ट हो गईं। हमने वर्ष 2021 में अत्यधिक बारिश की वजह से आई बाढ़ को भी देखा और मार्च 2025 के अंत में एक्स ट्रॉपिकल साइक्लोन अल्फ्रेड से हुई तबाही को भी देखा।"
उन्होंने कहा, "जलवायु परिवर्तन के प्रभाव जूनियर स्तर के क्रिकेट से ही महसूस होने लगते हैं। अनेक मुकाबले अत्यधिक बारिश की वजह से रद्द कर दिए गए। इस साल जनवरी के शुरू में हुआ सिडनी टेस्ट भी भारी बारिश के कारण प्रभावित हुआ। वर्षा की वजह से वक्त बर्बाद होने के चलते टेस्ट मैच के नतीजे पर भी प्रभाव पड़ा। मुझ पर व्यक्तिगत रूप से भी असर पड़ा क्योंकि 2024-25 के क्रिकेट सीजन में मेरे बेटे के जूनियर क्रिकेट मुकाबले खराब मौसम की वजह से कम से कम चार बार रद्द किए गए।"
समाधान और संभावनाएं
'हिट फॉर सिक्स' रिपोर्ट यह भी कहती है कि खेल जगत जलवायु परिवर्तन से निपटने में अहम भूमिका निभा सकता है। खेल संगठनों को चाहिए कि वे मैचों का समय बदलें, खिलाड़ियों को हाइड्रेशन ब्रेक दें, और कार्बन फुटप्रिंट कम करने के लिए स्थायी इनफ्रास्ट्रक्चर अपनाएं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के जलवायु सलाहकार सेल्विन हार्ट ने क्रिकेट को चेतावनी देते हुए कहा, “यह तेज़ और खतरनाक बाउंसर है। अगर इस संकट को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह खेल के अस्तित्व को ही चुनौती दे सकता है।”
क्रिकेट अब सिर्फ बल्ले और गेंद का खेल नहीं रहा — यह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ चेतावनी की घंटी बन चुका है। अगर इसे बचाना है, तो हमें सिर्फ बाउंड्री नहीं, बल्कि सीमाओं के पार सोचना होगा। खिलाड़ियों से लेकर प्रशासकों तक, सबको मिलकर अब वह 'टेस्ट' पास करना होगा जो मैदान के बाहर शुरू होता है।
इस रिपोर्ट में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2025 के मौसम डेटा का गहन विश्लेषण किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, आईपीएल के 65 मैचों में से 36% ऐसे मौसम में खेले गए जिनमें "अत्यधिक सावधानी" बरतने की सलाह दी गई थी। वहीं 12% मैचों के दौरान तापमान और आर्द्रता इतने खतरनाक स्तर पर थे कि हीट स्ट्रोक का गंभीर खतरा बना रहा।
जलवायु संकट की चपेट में क्रिकेट
जलवायु परिवर्तन का क्रिकेट पर प्रभाव सिर्फ तापमान तक सीमित नहीं है। अत्यधिक गर्मी के कारण खिलाड़ी थकान, चक्कर, डिहाइड्रेशन और उल्टी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर एश्टन टर्नर और वेस्टइंडीज के डैरेन गंगा जैसे खिलाड़ियों ने माना कि अब मैदान में उतरना उतना सहज नहीं रहा, जितना एक दशक पहले था।
अत्यधिक गर्मी के दुनिया भर में सुर्खियों में रहने और प्रमुख खेलों में इसके खलल डालने की खबरों के बीच यह तथ्य सामने आए हैं। विंबलडन का पहला दिन इस टूर्नामेंट के इतिहास का अब तक के सबसे गर्म पहले दिन के रूप में रिकॉर्ड किया गया। वहीं, अमेरिका में क्लब वर्ल्ड कप के मुकाबले तपती गर्मी में खेले गए। संयुक्त राष्ट्र की डब्ल्यू एम ओ वेदर एजेंसी का कहना है कि वर्ष 2025 अब तक के सबसे गर्म तीन सालों में जगह बनाने जा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह स्थिति जीवाश्म ईंधन, जैसे कि कोयला, गैस और तेल को जलाने की वजह से पैदा हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया कि मुंबई जैसे शहरों में 1970 के बाद से "खतरनाक गर्मी" वाले दिनों में 125% की बढ़ोतरी हुई है। तिरुवनंतपुरम में तो 2024 में ऐसे 100 से ज्यादा दिन दर्ज किए गए जब बाहर निकलना तक सेहत के लिए घातक था। यह सिर्फ खिलाड़ियों का नहीं, दर्शकों, अंपायरों और ग्राउंड स्टाफ तक का मामला है।
भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, कैरेबियाई देश और ब्रिटेन विभिन्न प्रकार की चरम जलवायु स्थितियों का सामना कर रहे हैं। इससे पेशेवर और जमीनी स्तर पर खेलों पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। क्रिकेट सितारों और विभिन्न स्तरों के वर्तमान तथा पूर्व क्रिकेटर 'हिट फॉर सिक्स' को बताते हैं कि उनके प्यारे खेल पर जलवायु परिवर्तन का कितना खतरनाक असर पड़ रहा है।
वेस्टइंडीज के लिए 48 टेस्ट मैच खेल चुके पूर्व कप्तान डैरेन गंगा ने कहा, " इसमें मुझे कोई शक नहीं है कि आज क्रिकेट एक कड़ी परीक्षा का सामना कर रहा है। अलग-अलग फॉरमैट, टीवी डील्स या मल्टी स्क्रीन के युग में दर्शकों को आकर्षित करने की फिक्र भूल जाइए। यह चुनौती तो अस्तित्व से जुड़ी है और तेजी से बदलते माहौल के रूप में हमारे सामने आ रही है। मैंने भीषण गर्मी में क्रिकेट खेला है और मुझे उस समय होने वाली उल्टी, चक्कर आने और हीट स्ट्रोक के कारण होने वाला खिंचाव अच्छी तरह याद है। मैंने चरम और अप्रत्याशित मौसम की वजह से पैदा हुई बेचैनी, निराशा और अनिश्चितता को देखा है। आने वाली पीढियों के खिलाड़ियों, प्रशंसकों और क्लबों के लिए हालात और भी बदतर होने का अंदेशा है।"
ग्राउंड लेवल पर बदलते हालात
दिल्ली की टॉस क्रिकेट अकादमी के कोच राघव शर्मा के अनुसार, "अब हमें खिलाड़ियों को गर्मी से बचाने के लिए ट्रेनिंग टाइम सुबह 6 बजे या शाम को शिफ्ट करना पड़ता है। बच्चों के लिए जूनियर लेवल पर गर्मी की मार झेलना बेहद कठिन हो गया है।"
hit for six climate change cricket ipl (2)
क्रिकेट से आगे की चुनौती
यह संकट केवल खिलाड़ियों की बात नहीं है। रिपोर्ट में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण स्टेडियमों की देखभाल, सिंचाई, बिजली खपत और फैंस की सुरक्षा जैसे मुद्दे भी जटिल होते जा रहे हैं। पिच सूखने से गेंदबाज़ों को नुकसान होता है, और अत्यधिक गर्मी से गेंद का स्विंग या स्पिन पैटर्न भी प्रभावित होता है।
ऑस्ट्रेलिया के लिए 56 टेस्ट और 35 एकदिवसीय मैच खेल चुके पूर्व बल्लेबाज साइमन कैटिच ने कहा, "जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को लेकर गंभीर चिंता उत्पन्न हो रही है। पिछले कुछ दिनों में सिडनी में हमने अत्यधिक गर्मी के कई दौर देखें जिनकी वजह से आग लगने की घटनाएं भी हुईं। वर्ष 2019 में ऐसी घटनाओं में 34 लोगों की मौत हुई और 3000 से ज्यादा इमारतें नष्ट हो गईं। हमने वर्ष 2021 में अत्यधिक बारिश की वजह से आई बाढ़ को भी देखा और मार्च 2025 के अंत में एक्स ट्रॉपिकल साइक्लोन अल्फ्रेड से हुई तबाही को भी देखा।"
उन्होंने कहा, "जलवायु परिवर्तन के प्रभाव जूनियर स्तर के क्रिकेट से ही महसूस होने लगते हैं। अनेक मुकाबले अत्यधिक बारिश की वजह से रद्द कर दिए गए। इस साल जनवरी के शुरू में हुआ सिडनी टेस्ट भी भारी बारिश के कारण प्रभावित हुआ। वर्षा की वजह से वक्त बर्बाद होने के चलते टेस्ट मैच के नतीजे पर भी प्रभाव पड़ा। मुझ पर व्यक्तिगत रूप से भी असर पड़ा क्योंकि 2024-25 के क्रिकेट सीजन में मेरे बेटे के जूनियर क्रिकेट मुकाबले खराब मौसम की वजह से कम से कम चार बार रद्द किए गए।"
समाधान और संभावनाएं
'हिट फॉर सिक्स' रिपोर्ट यह भी कहती है कि खेल जगत जलवायु परिवर्तन से निपटने में अहम भूमिका निभा सकता है। खेल संगठनों को चाहिए कि वे मैचों का समय बदलें, खिलाड़ियों को हाइड्रेशन ब्रेक दें, और कार्बन फुटप्रिंट कम करने के लिए स्थायी इनफ्रास्ट्रक्चर अपनाएं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के जलवायु सलाहकार सेल्विन हार्ट ने क्रिकेट को चेतावनी देते हुए कहा, “यह तेज़ और खतरनाक बाउंसर है। अगर इस संकट को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह खेल के अस्तित्व को ही चुनौती दे सकता है।”
क्रिकेट अब सिर्फ बल्ले और गेंद का खेल नहीं रहा — यह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ चेतावनी की घंटी बन चुका है। अगर इसे बचाना है, तो हमें सिर्फ बाउंड्री नहीं, बल्कि सीमाओं के पार सोचना होगा। खिलाड़ियों से लेकर प्रशासकों तक, सबको मिलकर अब वह 'टेस्ट' पास करना होगा जो मैदान के बाहर शुरू होता है।