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राज्यसभा में जम्मू कश्मीर राज्य पुनर्गठन बिल पास, मंगलवार को लोकसभा में वोटिंग

गाँव कनेक्शन | Aug 05, 2019, 14:06 IST
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जम्मू कश्मीर राज्य पुनर्गठन बिल सोमवार को राज्यसभा में पास हो गया। इस बिल के पक्ष में 125 जबकि विपक्ष में सिर्फ 61 वोट पड़ें। अब इस बिल पर मंगलवार को लोकसभा में चर्चा और वोटिंग होगी। लोकसभा में भी बिल पारित होने के बाद यह कानून बन जाएगा और जम्मू कश्मीर राज्य के पुनर्गठन को संवैधानिक मंजूरी मिल जाएगी।

इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में जम्मू कश्मीर राज्य को दो हिस्सों जम्मू कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित करने का प्रस्ताव रखा था। इसके साथ ही राज्यसभा ने जम्मू कश्मीर में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में दस फीसदी आरक्षण देने संबंधी जम्मू कश्मीर आरक्षण (द्वितीय संशोधन) बिल, 2019 को भी मंजूरी दी ।

बिल पर बोलते हुए देश के गृह मंत्री अमित शाह ने भरोसा दिलाया कि राज्य में स्थिति सामान्य हो जाने पर राज्य को पुनः पूर्ण राज्य का दर्जा वापस मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर को केन्द्र शासित क्षेत्र बनाने का कदम स्थायी नही है और स्थिति समान्य होने पर राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा।

उधर विपक्ष ने राज्य का दर्जा लिए जाने के कदम का काफी विरोध किया। पूर्व गृह मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाने के कदम को एक बार समर्थन भी किया जा सकता है लेकिन पूर्ण राज्य का दर्जा हटाने को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। चिदंबरम ने कहा, सरकार राज्यों को अपनी जागीर और उपनिवेश बना रहे हैं। चिदंबरम ने सरकार को आगाह किया कि इस कदम के जरिये सरकार राज्य का दर्जा खत्म करने का जो निर्णय ले रही है, कल को अन्य सरकारें भी इस तरह का कदम उठाकर किसी अन्य राज्य या राज्य के किसी हिस्से को केन्द्र शासित क्षेत्र घोषित कर देगी।

वहीं राज्यसभा में विपक्ष के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जम्मू कश्मीर में राज्यपाल नहीं उपराज्यपाल हो, ऐसा सोचा भी नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि आजादी के समय इस राज्य का प्रधानमंत्री हुआ करता था लेकिन अब इसे उपराज्यपाल तक सीमित कर दिया गया। जम्मू कश्मीर के लिए इससे बुरा कुछ सोचा भी नहीं जा सकता। राज्यसभा के कुछ सदस्यों ने अनुच्छेद 370 हटने के बाद राज्य के कोसोवो बनने की आशंकाएं जताई लेकिन गृह मंत्री ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा कि कश्मीर कभी कोसोवो नहीं बनेगा।

बिल पर चर्चा करते हुए बीजेडी के प्रशांत नंदा ने कहा कि भारत के बाकी राज्यों के लोग पूछते हैं कि जब देश जम्मू कश्मीर के लिए इतना करता है तो फिर वहां हमारी सेना के लोगों के साथ इतना खराब बर्ताव क्यों किया जाता है? उन्होंने सरकार के कदम का समर्थन करते हुए कहा कि इससे हमारा सिर कटा नहीं, बल्कि गर्व से सिर ऊंचा उठ गया है।

सीपीआई सांसद के के रागेश ने सरकार को आगाह किया कि उसके इस कदम से देश के एक राज्य में फलस्तीन जैसी स्थिति बन सकती है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि जब वह यह दावा कर रही है कि यह कदम लोगों को विश्वास में लेकर किया गया है तो वहां धारा 144 क्यों लागू की गयी है? बीजेपी के सीएम रमेश ने जहां सरकार के इस कदम को ऐतिहासिक बताया वहीं आईएमयूएल के अब्दुल वहाब ने कहा कि कश्मीर में विभन्नि संस्कृतियां मिलकर सदियों से एकसाथ रह रही हैं।

आरपीआई (ए) के रामदास अठावले ने सरकार के इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि इससे देश और मजबूत होगा। कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए इसे इतिहास पर धब्बा, संघीय ढांचे पर प्रहार और संघ की रूह पर धब्बा करार दिया। उन्होंने कहा, हमने कश्मीर को जीता और आपने कश्मीर को गंवा दिया। सिब्बल ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ बीजेपी संविधान की बुनियाद को खत्म करने जा रही है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चर्चा में भाग लेते हुए इसे ऐतिहासिक कदम करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह निर्णय व्यापक विचार विमर्श के बाद किया है। निर्मला ने कहा कि अनुच्छेद 370 को खत्म करने का रूख बीजेपी का जनसंघ के समय से रहा है। उन्होंने कहा कि यह शुरू से हमारे चुनावी घोषणापत्र का अंग रहा है।

उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू कश्मीर की महिलाओं, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों के साथ भेदभाव हो रहा था और उन्हें वे सुविधाएं और अधिकार नहीं मिल पा रहे थे जो भारत के अन्य नागरिकों को मिलते हैं। निर्मला ने कहा कि लद्दाख के लोग काफी समय से केन्द्र शासित क्षेत्र के दर्जे की मांग कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के कारण जम्मू कश्मीर में निवेश नहीं हो पा रहा है।

केरल कांग्रेस के जोस मणि ने सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि यह काम लोगों को विश्वास में लिए बिना किया जा रहा है, वहीं कांग्रेस के विवेक तन्खा ने सरकार से पूछा कि क्या उसके इस कदम से कश्मीर के पंडित वापस लौट पाएंगे। केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कश्मीर में आज भी शांति कायम है और राज्य के अधिकतर लोग केन्द्र के इस कदम के साथ है। उन्होंने दावा किया कि अनुच्छेद 370 के कारण कश्मीर के लोगों के साथ अन्याय हो रहा था।

जावड़ेकर ने कहा कि वह मानव संसाधन विकास मंत्री रह चुके हैं और वह इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि जिस प्रकार देश के बाकी शिक्षकों को प्रशक्षिण मिल रहा है वह जम्मू कश्मीर के शिक्षकों को नहीं मिल पाता है। उन्होंने कहा कि राज्य के छात्रों को केन्द्र की विभिन्न छात्रवृत्तियों का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है।

जम्मू कश्मीर से बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस दिन को ऐतिहासिक दिन के रूप में याद किया जायेगा और अनुच्छेद 370 की एक ऐतिहासिक भूल को आज दुरुस्त किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के बारे में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु का कहना था कि यह एक तात्कालिक उपाय है और समय के साथ घिसते घिसते यह घिस जायेगा। उन्होंने कहा कि भाजपा एक तरह से कांग्रेस के ही अधूरे काम को पूरा कर रही है। सिंह ने कहा कि प्रदेश के लिए आज खुशी का दिन है और अब प्रदेश की जनता को देश की विकास यात्रा और प्रगति की राह से वंचित नहीं रखा जा सकता।

सीपीआई के बिनॉय बिस्वम ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इस विधेयक को एक षड्यंत्र की तरह से लाया गया है। उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में भय का माहौल है और बीजेपी एक नेता, एक पार्टी, एक विचारधारा की अपनी सोच को पूरे देश पर थोपने का प्रयास कर रही है।

एनसीपी की वन्दना चव्हाण ने कहा कि सरकार की कश्मीर घाटी में शांति बहाली की कोशिशें सराहनीय हैं। लेकिन जिस जल्दबाजी में इस विधेयक को लाया गया है वह हतप्रभ करने वाला हैं। उन्होंने कहा कि विधेयक को लाने से पहले प्रदेश के चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ कम से कम विचार विमर्श करना चाहिये था। इसलिए उनकी पार्टी मतदान में हिस्सा नहीं लेगी।



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