सूखे के बाद अब बाढ़ बर्बाद कर रही किसानों की फसल

दिवेंद्र सिंह | Sep 16, 2016, 16:27 IST
India
लखनऊ। अम्बिका प्रसाद पटेल की पांच बीघे परवल और 20 बीघे धान की फसल को नेपाल से छोड़े गए पानी से आई बाढ़ ने बर्बाद कर दिया है।

सिद्धार्थनगर के शोहरतगढ़ ब्लॉक के बभनी बाजार गाँव के रहने वाले अम्बिका प्रसाद पटेल (60 वर्ष) जैसे किसानों की इन दिनों गाँवों में कोई कमी नहीं है। प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में यही हाल बना हुआ है। कई जिलों में नदियों हजारों एकड़ खेत या तो अपने साथ बहा ले गई या पूरी तरह से बालू से ढक गया है।

भारी बारिश के बाद बांधों से पानी छोड़ा जा रहा है, जिसके बाद घाघरा, शारदा, सुमली की तराई में बसे इलाकों के खेत पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं। सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय से लगभग 26 किमी. दूर शोहरतगढ़ तहसील के बभनी बाजार, नौडिहवा, बालानगर, भुतहवा जैसे सैकड़ों गाँवों में हर वर्ष बाण गंगा और बूढ़ी राप्ती नदियों में आई बाढ़ यहां की खेती को बर्बाद कर देती है।

अम्बिका प्रसाद पटेल कहते हैं, “हर साल बाढ़ में हमारी मेहनत बर्बाद हो जाती है, परवल की फसल पूरी तरह से तैयार हो गयी थी, हजारों रुपए खर्च हुए थे। पिछले हफ्ते से बारिश हो रही थी, एक दो दिन में नदी में पानी बढ़ गया।”

अभी पिछले हफ्ते ही सिद्धार्थनगर के मुख्य विकास अधिकारी एचपी पाण्डेय ने बाणगंगा और बूढ़ी राप्ती नदी के तट पर बसे गाँव नौडिहवा, बालानागर एवं भुतहवा दौरा कर नदी द्वारा हो रही कटान का निरीक्षण किया। पिछले हफ्ते नदी कटान करते-करते गाँव से मात्र 10 मीटर की दूरी पर बह रही थी। जिसने अब खेती को अपनी जद में ले लिया है। सिद्धार्थनगर के मुख्य विकास अधिकारी एचपी पाण्डेय ने फोन पर बताया कि हमने बाढ़ से निपटने की पूरी तैयारी कर ली है, मगर इन दोनों नदियों में नेपाल में हुई तेज बारिश से पानी भर जाता है।

इसलिए किसानों को कुछ तकलीफों का सामना जरूर करना पड़ रहा है। बाढ़ से गाँव के गाँव बह गए हैं। सीतापुर जिले के रामपुर मथुरा ब्लॉक के कई गाँवों में भी खेत नदी में कट गए हैं। पूर्व प्रधान दीपक तिवारी (38 वर्ष) का परिवार कभी आर्थिक रूप से मजबूत लोगों में गिना जाता था। सैकड़ों बीघे जमीन भी थी, लेकिन वो फिलहाल बेरोजगार हैं। रोजगार तलाशने के साथ वो बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए आवाज भी उठाते रहे हैं। रामपुर मथुरा गाँव के दीपक तिवारी (38 वर्ष) बताते हैं, “घाघरा गांजर के लिए अभिशाप की तरह है, हजारों लोगों की रोजी-रोटी इसमें चली गई है। जब लोगों की जमीनें कट गई हैं तो उनके घर और रोजगार का इंतजाम होना चाहिए।”

वह बताते हैं, “अंगरौरा, पंडितपुरवा, सिकरीडीह, लिलईपुर समेत कई गाँव बाढ़ के चपेट में आ गए हैं। किसानों ने धान की रोपाई भी कर दी थी, लेकिन बाढ़ में सब बह गए। यहां पर लगभग 1100 बीघा खेत नदी में मिल गए है।” वो आगे बताते हैं, “अभी कटान जारी है, हमारे ही परिवार की साढ़े तीन सौ बीघा खेत नदी में कट गया।” बीते शनिवार को हुई मूसलाधार बारिश के बाद लखीमपुर में बनवसा बैराज से 1.87 क्यूसेक, गिरिजापुरी से 1.34 क्यूसेक और शारदा बैराज सवा लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। घाघरा का पानी लखीमपुर, सीतापुर, बाराबंकी और गोंडा जिले के कई गाँवों में भर गया है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

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