एंबुलेस चलाने वाली कंपनी ने कहा- 1 अगस्त तक जो कर्मचारी ज्वाइन नहीं करेंगे, बर्खास्ती का लेटर उनके घर पहुंचा जाएगा, नई भर्तियां शुरु

गाँव कनेक्शन | Jul 30, 2021, 15:14 IST
उत्तर प्रदेश में एंबुलेंस के हड़ताल के पांचवें दिन प्रदेश भर में ड्राइवर प्रदर्शन करते रहे, जबकि कंपनी ने सभी को ज्वाइन न करने पर बर्खास्त करने की चेतावनी दी है।
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 23 जुलाई से जारी एंबुलेंस विवाद अब तक सुलझ नहीं पाया है। एंबुलेंस चलाने वाली कंपनी जीवीके EMRI ने एक सर्कुलर जारी करते हुए कहा है, "बहुत सारे कर्मचारी वापस ड्यूटी पर आ गए हैं, लेकिन जो कर्मचारी एक अगस्त तक ड्यूटी नहीं ज्वाइन करते हैं उनकी सेवा समाप्ति मानकर बर्खास्ती का लेटर उनके घर भेज दिया जाएगा।"

उत्तर प्रदेश में 102,108 और एंबुलेंस का विवाद 23 जुलाई से चल रहा है। 26 जुलाई से हजारों एंबुलेंस कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर थे, चक्का जाम किया था। 25 जुलाई को यूपी सरकार ने एंबुलेंस सेवाओं पर एस्मा एक्ट लागू कर दिया। एंबुलेंस संगठन के 11 पदाधिकारियों पर रिपोर्ट दर्ज की गई और 570 से ज्यादा कर्मचारियों पर एस्मा लगाया गया था। इस बीच मरीजों को हो रही दिक्कतों को देखते हुए हड़ताली एंबुलेंस कर्मचारियों से चाभियां लेकर नए ड्राइवरों को सौंप दी गई हैं। हड़ताली कर्मचारियों का आरोप है कि ज्यादातर नए ड्राइवर अप्रशिक्षित हैं,उससे मरीजों को नुकसान हो सकता है। कंपनी हमारे साथ अन्याय कर रही है।

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इसी बीच जीवीके ईएमआरी कंपनी ने नई भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया है। नई भर्तियां 31 जुलाई को सुबह 10 बजे से 4 बजे तक होंगी।

यूपी में 102 और 108 एंबुलेंस सेवा संचालित करने वाली कंपनी जीवीके EMRI ने हड़ताल के पांचवें दिन 30 जुलाई को एक लेटर जारी करते हुए कहा कि सरकार के एस्मा लगाने के बाद कुछ कर्मचारी हड़ताल पर बने हुए हैं। जीवीके ईएमआरआई संस्था ने दिनांक 29 जुलाई 2021 को शाम 5 बजे तक ये अवसर दिया था कि वो अपने नियत स्थान पर उपस्थिति दर्ज कराए, जिसे पुन 10 बजे तक बढ़ाया गया था। इस दौरान बहुत सारे कर्मचारियों ने ड्यूटी शुरु कर दी है। इस सर्कुलर के माध्यम से उन सभी कर्मचारियों को जिनकी बर्खास्ती नहीं हुई है उन्हें 1 अगस्त का अंतिम अवसर दिया जाता है। कि इस लेटर के साथ शपथ पत्र देकर ड्यूटी ज्वाइन करें। वो अगर 1 अगस्त तक ड्यूटी ज्वाइन नहीं करते हैं तो उनकी सेवा समाप्ति मान ली जाएगी और बर्खास्ती का लेटर उनके घर भेज दिया जाएगा।"

इस बारे में बात करने पर जीवनदायिनी 108,102 और एएलएस एंबुलेंस संघ, यूपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी शरद यादव ने गांव कनेक्शन से कहा, " कंपनी ये अल्टीमेटम पिछले तीन दिनों से दे रही है। लेकिन आज भी इको पार्क में हजारों कर्मचारी आए थे। हमारा कोई समझौता नहीं हुआ है। हमने कोई पहाड़ नहीं मांग लिया था, महंगाई में थोड़ी सी सैलरी बढ़ाने और एएलएस कर्मचारियों की समायोजित करने की बात थी। लेकिन कोई नहीं हमारा आंदोलन जारी रहेगा।"

उन्होंने आगे कहा, "कंपनी या सरकार की तरफ से बातचीत की कोई पहल नहीं हुई है। पुलिस दबिश दे रही है लेकिन हम लोग जमानत नहीं कराएंगे। अपनी जायज मांगे मांग रहे हैं कोई अपराधी थोड़े हैं।"

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उत्तर प्रदेश में तीन तरह की एंबुलेंस सेवा संचालित हैं, जिनमें 108, 102 और एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस (ALS)शामिल हैं। एंबुलेंस कर्मचारियों के मुताबिक प्रदेश में 19000 से ज्यादा कर्मचारी हैं जो ठेका कंपनी (सर्विस प्रोवाइडर) के जरिए काम करते हैं। कर्मचारियों का आरोप इस महंगाई में सैलरी बढ़ने के बजाए नई कंपनी तकनीकी कर्मचारी को 12734 की जगह 10700 रुपए देना चाहती है। एंबुलेंस ड्राइवर को करीब 12200 रुपए सैलरी मिलती है।

अभी तक तीनों तरह की एंबुलेंस का संचालन जीवीके EMRI (Emergency Management and Research Institute) कंपनी द्वारा था, अब एएलएस का टेंडर (संचालन) जिगित्सा हेल्थ केयर को मिला है। कर्मचारियों का आरोप है कि यूपी में एंबुलेंस संचालन (एलएस) का ठेका लेने वाली नई कंपनी पुराने कर्मचारियों को नौकरी से हटा रही है। जो नौकरी करना चाहते हैं, उन्हें पहले की अपेक्षा कम सैलरी दे रही है और काम के घंटे भी बढ़ा रही है। इसके साथ ही ट्रेनिंग के नाम पर 20 हजार रुपए का ड्राफ्ट मांग रही है,जबकि वो 8-9 साल से यही काम कर रहे हैं।

जौनपुर में एंबुलेंस पायलट संघ में जिला संगठन मंत्री राम भजन यादव ने कहा, "कंपनी जो कहना चाहती है कहती रहे, आज भी ईको मैदान में 10 हजार से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल में शामिल थे। हमें सरकार से उम्मीद है वो हमारा हक दिलाएगी।"

26 जुलाई से शुरू हुए इस आंदोलन (up ambulance strike) पांच दिन में कई घटनाक्रम हुए हैं। 2 दिन तक आंदोलनकारियों ने एंबुलेंस का चक्का जामकर समेत जिलों में प्रदर्शन किया, तीसरे और चौथे दिन में प्रशासन सख्ती कर लगभग एंबुलेंस वापस ले ली हैं। एंबुलेंस कर्मचारियों के संगठन के प्रदेश स्तर के 11 पदाधिकारियों पर महामारी एक्ट समेत कई धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है। 570 से ज्यादा कर्मचारियों पर एस्मा लगाया जा चुका है। इस दौरान कई जिलों में एंबुलेंस न मिलने से मरीज परेशान हुए हैं। हालांकि हड़ताली कर्मचारियों का कहना है उन्होंने आपात सेवाएं कभी नहीं बंद की जनमानस के लिए कुछ एंबुलेंस जारी रही थीं।

हालांकि ज़िकिट्ज़ा हेल्थ केयर ने गाँव कनेक्शन को बताया कि उत्तर प्रदेश में हड़ताल पर रहने वाले एम्बुलेंस कर्मचारियों द्वारा उठाई जा रही ज्यादातर मांगें नियमित करने के संबंध में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और राज्य सरकार की ओर निर्देशित हैं।

"जेडएचएल की तरफ से एकमात्र मांग राज्य में एएलएस एम्बुलेंस कर्मचारियों की भर्ती के संबंध में है, जिसके लिए हमने भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने के लिए एम्बुलेंस यूनियनों को कई नोटिस भेजे हैं। इसके अलावा, पिछले सर्विस प्रोवाइडर द्वारा नियुक्त अनुभवी एएलएस एम्बुलेंस कर्मचारियों को भर्ती प्रक्रिया में वरीयता दी गई थी, "कंपनी ने एक बयान में कहा।

"Ziqitza Healthcare Limited को प्रदेश में केवल 250 एएलएस एम्बुलेंस के संचालन के लिए टेंडर दिया गया है। प्रदेश में 108 एंबुलेंस के संचालन के लिए कंपनी जिम्मेदार नहीं है और हड़ताल 108 व 102 एंबुलेंस से भी की जा रही है। इसलिए, संघ द्वारा उठाई गई शिकायतों को राज्य में 108 और 102 एम्बुलेंस के संचालन के लिए जिम्मेदार एजेंसी की ओर भी निर्देशित किया जाता है, जो कि ZHL नहीं है, "आगे बयान में कहा गया है।

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जीवीके ने नई भर्तियां भी शुरू कर दी हैं। Also Read: यूपी एंबुलेंस हड़ताल: "हम तो कोरोना वॉरियर्स थे, पुरस्कार तो दूर नौकरी छीनी जा रही"

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