यूपी में डेयरी व मुर्गीपालन के क्षेत्र में व्यवसाय बढ़ाने में जुटी कंपनियां

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में डेयरी व कुक्कुट पालन उद्योगों के लिए बढ़ती संभावनाओं के चलते इन क्षेत्रों में काम करने वाली अन्य राज्यों की कई बड़ी कंपनियां प्रदेश में अपने व्यापार को तेजी देने में लगी हैं।

इसकी बानगी लखनऊ में चल रहे कृषि मेले में भी देखने को मिल रही है। मेले में आई कृषि व संबंधित क्षेत्रों से जुड़ी 50 से ज्यादा कंपनियों में से ज्यादातर डेयरी व कुक्कुट से जुड़ी हैं।

”हम उत्तर प्रदेश में अपने व्यवसाय को तेजी देने की कोशिश कर रहे हैं, यहां की सरकार ने कुक्कुट पालन की कई स्कीम चलाई हैं, जिससे यहां बाज़ार में मौके बहुत पैदा हो गए हैं, सारी कंपनियां भाग रही हैं इधर ही” कुक्कुट पालन फार्म व इस क्षेत्र से संबंधित सभी तकनीकी उपकरण बनाने वाली कंपनी ‘शिवा पॉल्ट्री इक्विपमेंट’ के अधिकारी राजीव सिंगला ने बताया।

उत्तर प्रदेश पशुपालन विभाग के अनुसार राज्य प्रति वर्ष 100 करोड़ अण्डे उत्पादित करता है, जबकि खपत लगभग 400 करोड़ से ज्यादा अण्डों की है। उत्पादन और खपत के इस अंतर को समाप्त करने के लिए उत्तर प्रदेश ने अगले पांच वर्षों में अण्डा उत्पादन को 350 करोड़ प्रति वर्ष तक पहुंचाने के उद्देश्य से कुक्कुट पालन नीति लागू की है। इस नीति के तहत बड़े स्तर पर कुक्कुट पालन फार्म शुरू करने पर उत्पादकों को एक करोड़ तक का ब्याज मुक्त लोन सरकार उपलब्ध कराएगी।

राजीव अपनी कंपनी के सबसे उन्नत ‘ऑटोमेटिक फीडर तकनीक’ का प्रदर्शन कृषि मेले में प्रमुखता से कर रहे हैं। इस तकनीक के ज़रिए हज़ारों मुर्गियों को एक साथ खाना दिया जा सकता है। इस महंगी तकनीक खरीददारों के विषय में वे कहते हैं, ”उत्तर प्रदेश में अब बहुत बड़े फार्म बनने लगे हैं, जो इस तकनीक को हमसे खरीद रहे हैं।”

इस तीन दिवसीय कृषि मेले का उद्घाटन दस अक्टूबर को उ.प्र. पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव डॉ रजनीश गुप्ता द्वारा किया गया। डॉ गुप्ता ने भी प्रदेश में डेयरी व कुक्कुट पालन के क्षेत्र में बढ़ते अवसरों की जानकारी दी। उत्तर प्रदेश में दुग्ध उत्पादन तेजी से बढ़ाने के लिए चलाई जा रही महात्वाकांक्षी कामधेनु डेयरी योजना के साथ-साथ डॉ गुप्ता ने कुक्कुट पालन नीति के उद्देश्य सभी के साथ साझा किए।

उत्तर प्रदेश में कामधेनु डेयरी योजना के तहत सबसे ज्यादा डेयरी फॉर्म चालू करवाने का दावा करने वाली कंपनी ‘सुमंगलम डेयरी फार्म सोल्यूशन इंडिया’ के अधिकारी वीरेन्द्र कुमार बताते हैं, ”कामधेनु योजना ने सारा परिदृश्य बदल दिया है, जिसके बाद कई सारे नए डेयरी फार्म पिछले दो सालों में राज्य में खुले हैं, पहले हम यूपी के बाहर ज्यादा व्यापार करते थे, अब यूपी में करते हैं”। कंपनी पिछले दो वर्षों में 100 गायों वाले 27-28 कामधेनु फार्म शुरू करवा चुकी है, जिसमें फार्म की बनावट से लेकर दूध निकालने और रखने के उन्नत उपकरण तक हर सुविधा कंपनी उपलब्ध कराती है।

उत्तर प्रदेश सालाना दो करोड़ 40 लाख मीट्रिक टन दुग्ध उत्पादन करता है जिसे आने वाले वर्षों में बढ़ाने के लिए, प्रदेश सरकार ने कामधेनु योजना की शुरुआत की थी।

”हम पिछले चार सालों से यह कृषि मेला आयोजित करवा रहे हैं और अनुभव यही है कि ज्यादा से ज्यादा डेयरी या मुर्गीपालन पर काम करने वाली कंपनियां हमारे साथ जुडऩा चाहती हैं, प्रदेश में कई योजनाओं की वजह से ये बदलाव आया है। हमारा यह चौथा आयोजन है, शुरू से लेकर अब तक हम से जुड़ी इन क्षेत्रों की कंपनियों की संख्या बढ़ी है”, आयोजक संस्था की-टू-ग्रीन के मेला प्रबंधन टीम के सदस्य इरशाद ने कहा।

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