पिछले 97 वर्षों से मध्य प्रदेश के इस गाँव में नहीं बढ़ी जनसंख्या

Pushpendra Vaidya | Nov 20, 2019, 11:09 IST
#madhya pradesh
बैतूल (मध्य प्रदेश)। जनसंख्या वृद्धि इस समय दुनिया के सामने सबसे बड़ी समस्या है। इसको रोकने के लिए कई सारे देश एक से बढ़कर एक जतन कर रहे है। वहीं मध्य प्रदेश का एक गाँव ऐसा भी है जिसने जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करके दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की है। पिछले 97 सालों से इस गाँव की जनसंख्या 1700 के आसपास ही है। खासकर बेटों की चाहत रखने वालों के लिए भी ये गाँव एक मिसाल है। यहां दर्जनों परिवारों ने दो बेटियां होने बाद भी परिवार नियोजन को अपनाया है।

16 अप्रैल 1922 को कस्तूरबा गांधी बैतूल जिले के आठनेर ब्लॉक के धनोरा गाँव में आई थी। यहाँं उन्होंने ग्रामीणों को खुशहाल जीवन के लिए छोटा परिवार सुखी परिवार का नारा दिया था। कस्तूरबा गांधी की इस बात को पत्थर की लकीर मानकर जनसंख्या को स्थिर रखने का उपाय शुरू किया। 1960 में स्वास्थ्य विभाग के परिवार कल्याण के तहत परिवार नियोजन का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी सतत जारी है।

स्थानीय निवासी एस.के माहोबया कहते हैं, "साल 1922 में कांग्रेस ने गांव में बैठक की थी। कई अधिकारी इस बैठक में शामिल हुए थे। जिनमें कस्तूरबा गांधी भी शामिल थी।

यह ग्रामीणों के प्रयासों का ही नतीजा है कि धनोरा गाँव में पिछले 97 सालों से जनसंख्या स्थिर बनी हुई है। साल 1922 में धनोरा गांव की जनसंख्या 1700 थी और यह आज भी उतनी है।। कस्तूरबा गांधी के आने के बाद ग्रामीणों में जबरदस्त जागरूकता आई। लगभग हर परिवार ने एक या दो बच्चों पर परिवार नियोजन करवाया। ग्रामीणों के इस साझा प्रयास से धीरे-धीरे गाँव की जनसँख्या स्थिर होने लगी।

स्वास्थ्य कार्यकर्ता जगदीश सिंह परिहार कहते हैं, "ग्रामीणों को कुछ भी मजबूर करने की आवश्यकता नहीं थी। वे परिवार नियोजन की अवधारणा और लाभ के बारे में बहुत जागरूक हैं। धनोरा एक छोटा-सा गांव है,लेकिन यह गाँव न केवल देश के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए भी परिवार नियोजन का एक मॉडल है।
गाँव के लोगों ने बेटे की चाहत में परिवार बढ़ाने की कुरीति को भी खत्म कर दिया। ग्रामीणों ने एक या दो बेटियों के जन्म के बाद भी परिवार नियोजन को अपना लिया। इस गाँव में ऐसे दर्जनों परिवार है जहाँ सिर्फ एक या दो बेटियां है। गाँव वाले परिवार नियोजन से काफी खुश है और वह इसे देशहित में अपना योगदान समझते हैं। दो बच्चों के बाद परिवार नियोजन अपनाने के कारण यहाँ का लिंगानुपात भी बाकी जगहों से काफी बेहतर है। वहीं बेटी-बेटे में फर्क जैसी मानसिकता यहां देखने नहीं मिलती।

ग्राम धनोरा के आसपास ऐसे कई गाँव हैं जहाँ की जनसंख्या 50 पहले धनोरा से आधी थी, लेकिन अब वहां की जनसँख्या 4 से 5 गुना बढ़ चुकी है। जबकि धनोरा गांव की जनसंख्या अब भी 1700 से कम बनी हुई है। गाँव के स्वास्थ्य कार्यकर्ता बताते हैं कि उन्हें कभी ग्रामीणों को परिवार नियोजन करने के लिए बाध्य नहीं करना पड़ा।

आज पूरी दुनिया के सामने धनोरा गाँव एक मिसाल है। प्रशासन खुद इस गाँव को देश के लिए एक प्रेरणा मानता है। हालाँकि बावजूद इसके इस गाँव को जनसँख्या नियंत्रण के लिए कोई सम्मान या पुरस्कार नहीं मिला। ऐसे लोग जो कहते हैं कि जनसंख्या नियंत्रण और बेटियों के जन्म को लेकर गांवों में जागरूकता की कमी है, उन्हें एक बार धनोरा गाँव जरुर आना चाहिए। अब सरकार कुछ कहे या न कहे, लेकिन यह गांव अपने आप में परिवार नियोजन का ब्रांड एम्बेसडर है।



Tags:
  • madhya pradesh
  • Population
  • video
  • story

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.