चाकू-कैंची जैसे औजारों में धार लगाने वाले कारीगरों के सामने आजीविका का संकट
Purushotam Thakur | Aug 16, 2019, 13:55 IST
धमतरी(छत्तीसगढ़)। एक समय था जब चाकू, हंसिया, कैंची जैसे औजारों में धार लगाने वाले घर-घर आते और आवाज लगाते 'चाकू-हंसियां में धार लगवा लो' लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इन लोगों के सामने रोजगार का संकट आ गया है।
छत्तीसगढ़ के धमतरी में हर हफ्ते लगने वाले इतवारी बाजार में आसपास के कई गाँवों के कारीगर आते हैं और औजारों में धार लगाते हैं। इसके साथ ही औजार भी बेचते हैं।
कैंची में धार लगवाने आए नाई काम करने वाले गिरिवर सिंह कहते हैं, "मैं नाई का काम करता हूं और कैंची में धार लगाने के लिए महीने में एक बार जरूर आता हूं।" पहले ज्यादातर औजार लोहे के हुआ करते थे, इसलिए उसमें कुछ समय बाद धार लगवाना जरूरी होता था। लेकिन अब ज्यादातर स्टील के औजार आ गए हैं।
विनोद विश्वकर्मा आगे बताते हैं, "आधुनिकीकरण के युग में हमारा धंधा मंदा पड़ा है। मजदूर भी अब नहीं मिलते। आय भी अब उतनी नहीं है, साग सब्जी का पैसा निकल जाता है। हफ्ते दो हफ्ते में हजार बारह सौ की ही कमाई हो पाती है।
साइकिल से और पत्थर से धार करने के साहन में अंतर बताते हुए विनोद विश्वकर्मा बताते कहते हैं, "साइकिल से धार करने में धार कुछ दिनों में मंद पड़ जाता है, वहीं पत्थर से जिस औजार पर धार लगाते हैं उसका धार काफी साल भर तक तक एकदम वैसा ही रहता है।"
छत्तीसगढ़ के धमतरी में हर हफ्ते लगने वाले इतवारी बाजार में आसपास के कई गाँवों के कारीगर आते हैं और औजारों में धार लगाते हैं। इसके साथ ही औजार भी बेचते हैं।
कैंची में धार लगवाने आए नाई काम करने वाले गिरिवर सिंह कहते हैं, "मैं नाई का काम करता हूं और कैंची में धार लगाने के लिए महीने में एक बार जरूर आता हूं।" पहले ज्यादातर औजार लोहे के हुआ करते थे, इसलिए उसमें कुछ समय बाद धार लगवाना जरूरी होता था। लेकिन अब ज्यादातर स्टील के औजार आ गए हैं।
विनोद विश्वकर्मा आगे बताते हैं, "आधुनिकीकरण के युग में हमारा धंधा मंदा पड़ा है। मजदूर भी अब नहीं मिलते। आय भी अब उतनी नहीं है, साग सब्जी का पैसा निकल जाता है। हफ्ते दो हफ्ते में हजार बारह सौ की ही कमाई हो पाती है।
साइकिल से और पत्थर से धार करने के साहन में अंतर बताते हुए विनोद विश्वकर्मा बताते कहते हैं, "साइकिल से धार करने में धार कुछ दिनों में मंद पड़ जाता है, वहीं पत्थर से जिस औजार पर धार लगाते हैं उसका धार काफी साल भर तक तक एकदम वैसा ही रहता है।"