कैंसर नियंत्रण में कारगर हो सकते हैं सेब और अमरूद

Deepak Acharya | Feb 04, 2019, 10:43 IST
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सेब एक ऐसा फल है जिसे ब्रिटिशर्स हमारे देश में लेकर आए थे और अमरूद हमारा अपना देसी फल है। इन दोनों फलों की खासियत ये है कि आज विश्व की अनेक अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं में इनके कैंसररोधि गुणों पर शोध चल रही है। सेब और अमरूद दोनो फलों को रोगियों के फल कहा जाता है यानी इनमें रोगों को खत्म कर देनी की अपार क्षमता होती है। सेब और अमरूद के औषधीय गुणों का बखान करने वाला सिर्फ मैं नहीं, अब तो सारा बायोमेडिकल विज्ञान इस पर भरोसा जता रहा है। कैंसर जैसे भयावह रोग के नियंत्रण को लेकर दुनिया भर में शोध कार्यक्रम किए जा रहे हैं और सैकड़ों प्रयोगशालाओं में इन फलों के उपयोग से कैंसर नियंत्रण पर भी जबरदस्त शोध जारी हैं।

पारंपरिक हर्बल जानकारों का मानना है कि कैंसर रोगोपचार के लिए इन दोनों फलों को उपयोग में लाया जाना चाहिए और ठीक इसी तरह के दिशा निर्देशों को आधार मानकर कई अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं में कैंसर उपचार के लिए इन फलों को प्रयोग में लाया जा रहा है।

कई प्री-क्लिनिकल शोधों के परिणामों को देखा जाए तो जानकारी मिलती है कि सेब से लिवर कैंसर को खत्म करने में जबरदस्त फायदा होता है। वैज्ञानिक केली वोल्फ और साथियों की शोध रपट जो जर्नल ऑफ फूड केमेस्ट्री में प्रकाशित हुयी थी, इसके अनुसार इन वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि सेव के छिलकों में लिवर कैंसर से निपटने के बेहद रोचक गुण हैं, सेब में पाया जाने वाले प्रमुख रसायनों में से एक फ्लोरेटिन, लिवर कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। इसी तरह मोलेक्युलर न्युट्रिशन एंड फूड रिसर्च नामक जर्नल में प्रकाशित एक शोध के परिणामों पर गौर किया जाए तो जानकारी मिलती है कि सेब की मदद से महिलाओं के स्तन कैंसर को काबू करने में भी काफी उत्साहित करने वाले परिणाम प्राप्त हुए हैं। जर्नल ऑफ कॉम्प्लेमेंट्री एंड इंटीग्रेटिव मेडिसिन (२०१०) में प्रकाशित वैज्ञानिक रयान साटो और उनके साथियों द्वारा एक क्लीनिकल रिसर्च परिणाम के आधार पर बताया गया है कि अमरूद की पत्तियों, छाल और फलों का सत्व बी १६ मेलानोमा कोशिकाओं की वृद्धि रोकने में सहायक होते हैं।

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सन २०१० में फायटोथेरापी नामक वैज्ञानिक पत्रिका में सेब पर किए गए एक शोध कार्यक्रम के परिणामों को प्रकाशित किया गया और रपट के अनुसार सेब में पाया जाने वाले एक अन्य महत्वपूर्ण रसायन समूह केरेटेनोईड्स की वजह से पेट के कैंसर में जबरदस्त फायदा होता है। इस शोध के जरिये बताया गया कि सेव के ये रसायन हेलिकोबैक्टर पायलोरी नामक सूक्ष्मजीव को मार गिराते हैं। दरअसल हेलिकोबैक्टर पायलोरी की उपस्थिती और सक्रियता की वजह से मनुष्यों को पेट में अल्सर और बाद में कैंसर होता है। इस प्रयोग के दौरान पेट के अल्सर और कैंसर से ग्रस्त मरीजों को लगातार कई दिनों तक सेव खिलाया गया और परिणाम एकदम चौकाने वाले थे।

सेब कैंसर नियंत्रण के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय साबित हो सकता है, कम से कम दुनियाभर में चल रही शोधों और उनके परिणामों को देखकर यह तो माना जा सकता है। कई शोध परिणामों के अंत में वैज्ञानिकों ने यह तक लिखा है कि सेब को हर तरह के कैंसर नियंत्रण के लिए आजमाकर देखा जाना चाहिए, किसे पता कि सालों से चल रही कैंसर शोध की प्रक्रिया के लिए सेब एक सुखद परिणाम लेकर आए। पारंपरिक ज्ञान का आदर्श मानकर इस तरह की शोधों को होते हुए देखना मेरे लिए भी बेहद सुखदायी है क्योंकि यहाँ पारंपरिक हर्बल ज्ञान को सम्मान मिलने जैसी बात है।

वैज्ञानिक वून मो यांग और उनके साथियों ने सन २०१२ में कैंसर प्रिवेशन रिसर्च जर्नल में एक शोध रपट प्रकाशित करी, रिपोर्ट के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया कि अमरूद प्रोस्टेट कैंसर कोशिकाओं को ठिकाने लगाने में काफी मददगार हो सकता है। साथ ही इसी रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि अमरूद ट्यूमर बनने की प्रक्रिया को लगातार बाधित करता है और तो और कई बार इन्हें बनने से पूरी तरह रोक भी देता है।

जब कैंसर और इन फलों को लेकर बात चल रही है तो चेर्नोबिल की घटना का जिक्र आना जरूरी है। चेर्नोबिल न्युक्लियर प्लांट युक्रेन में है, सन १९८६ में यहाँ एक दुर्घटना घटी और एक जबरदस्त विस्फोट हुआ जिसके चलते सारे शहर में रेडियो एक्टिव तत्वों का फैलाव हो गया, कई मौतें हुयी और अचानक हुए इस हादसे की वजह से पूरी दुनिया में रेडियो एक्टिव तत्वों की भयावहता को लेकर चिंता होने लगी। ये माना जाता रहा है कि रेडियो एक्टिव तत्वों की वजह से कैंसर होने का पूरा खतरा होता है। चेर्नोबिल में जो बच्चे रेडियोएक्टिव तत्वों के संपर्क में आए उन्हें एक प्रायोगिक शोध के जरिये एप्पल पेक्टिन (सेबमें पाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण रसायन) का सेवन कराया गया।

बच्चों को एप्पल पेक्टिन से बने भोज्य पदार्थो को भी खिलाया गया। एक अंतराल के बाद बच्चों में काफी सकारात्मक असर दिखायी देने लगा। हर पंद्रह दिनों में बच्चों के शरीर पर रेडियो एक्टिव तत्वों की मार का असर ३०-४०% प्रतिशत तक कम दिखायी देने लगा। ये परिणाम काफी प्रोत्साहित करने वाले थे क्योंकि जहां एक तरफ बच्चों की सेहत बेहतर हुयी वहीं दूसरी तरफ बच्चों को प्राकृतिक उपायो के जरिये उपचार दिया गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि ना सिर्फ साधारण रेडियो एक्टिव बल्कि प्लुटोनियम जैसे तत्वों की वजह से होने वाले घातक शारीरिक परिणामों के लिए सेब एक बेहतरीन उपाय है और हम सेब को एक सुपर फूड कह सकते हैं। मजे की बात ये भी है कि अमरूद में भी पेक्टिन पाया जाता है और शायद इसी वजह से हिन्दुस्तानी ग्रामीण इलाकों में अमरूद को सेव से बेहतर भी माना जाता है।

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कैंसर जैसे भयावह रोगों के नियंत्रण के अलावा कई अन्य सामान्य से जटिल शारीरिक समस्याएं हैं जिन्हें काबू में लाने के लिए सेब और अमरूद से बेहतर कुछ नहीं और इन उपायों को आधुनिक विज्ञान भी भलिभांति मान रहा है। दोनों ही फलों में कुछ ऐसे रसायन होते हैं जो हृदय की धमनियों के बीच किसी भी तरह के जमाव को रोकने में मदद करते हैं। एक शोध परिणाम तो यह तक बताती है कि दिन में ३-४ सेब खाने वाली महिलाओं में २०-२५ दिनों के भीतर वजन कम होते दिखायी देने लगता है। एंटी एजिंग और मस्तिष्क के बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी सेव को काफी मददगार माना गया है। अमरूद को लेकर भी कुछ इसी तरह की सलाह दी जाती है। इसके अलावा मसूडों से खून आना, दांतों का पीलापन दूर करना और मुंह से आने वाली बदबू को दूर करने के लिए भी कई वैज्ञानिक सेव और अमरूद चबाने की सलाह देते हैं। कई तरह के सूक्ष्मजीवी संक्रमणों को दूर करने के लिए भी सेव काफी सक्रिय भूमिका अदा करता है। सेब में पाया जाने वाला एक रसायन प्रोस्यानिडिन हमारे बालों के असमय झडने को रोकने में मददगार साबित हुआ है।

दुनिया भर में कई रोगों के रोकथाम, नियंत्रण और उपचार के नाम पर फलों के महत्व को काफी बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है और इन सारी शोध परिणामों पर गौर किया जाए तो हम पाते हैं कि वाकई सेव और अमरूद प्रकृति के जबरदस्त वरदान है, ये फल औषधियों को दूर रखने का एक सटीक उपाय भी हैं। अगली बार जब भी आप अमरूद या सेब को चबाएंगे तो जरूर इसके विलक्षण गुणों को याद करियेगा। मेरी सलाह तो यह तक है कि घर में हमेशा अमरूद के फलों को रखें और जब जब भूख सी लगे, इसे चबा लिया जाए। ये आपकी भूख शांत करेगा और सेहत भी दुरुस्त करेगा।

(लेखक गाँव कनेक्शन के कंसल्टिंग एडिटर हैं और हर्बल जानकार व वैज्ञानिक भी।)

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