स्तन कैंसर के खतरे को कम करने की खोजी तकनीक

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दरख्शां कदीर सिद्दीकी

लखनऊ। यदि मेटा स्टेसिस सेपरेसर जीन (वे जीन जो कैंसर को पूरे शरीर में फैलने से रोकते हैं) की निगरानी समय-समय पर विभिन्न जाँचों द्वारा की जाए तो ब्रेस्ट कैंसर को पूरे शरीर में फैलने से रोका जा सकता है और ब्रेस्ट कैंसर से होने वाली मौतों को भी कम किया जा सकता है। केजीएमयू के रेडियोथेरैपी विभाग डॉ. ऋचा सिंह के उत्तर भारतीय ब्रेस्ट कैंसर मरीजों के समूह पर उनकी सहमति से किए गए शोध से यह महत्वपूर्ण तथ्य सामने आया है।

देश में स्तन कैंसर के मामले सर्वाइकल कैंसर से भी अधिक बढ़ गए है। स्तन कैंसर में बढ़ोतरी का होना एक ओर पाश्चात्य सभ्यता को अपनाना और जीवनशैली में बदलाव जैसे देर से शादी करना, बच्चे स्तनपान न कराना, शर्म और लिहाज के डर से अपनी तकलीफ लोगों से छुपाने कई बार मौत का कारण बन जाती है। जल्दी स्क्रीनिंग नहीं होने की वजह से ब्रेस्ट कैंसर का पता काफी देर में चलता है। तब तक कैंसर शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है। कैंसर में कोशिकाओं का विभाजन अनियंत्रित होने लगता है, सामान्य तौर पर कोशिका 40 से 50 विभाजन के बाद टीलोमियर शार्टनिंग की वजह से रुक जाती है, जबकि कैंसर में टीलोमियर शार्टनिंग नहीं हो पाती है, जिसका नतीजा यह होता है कि कोशिकाएं मैलिंगनेंट यानी कैंसर का रूप ले लेती हैं। वहीं अगर कोशिका विभाजन मैलिंगनेंट नहीं होता है तो यह बीनाइन यानि ट्यूमर या फायब्रायड का रूप ले लेती है। केजीएमयू के रेडियोथेरैपी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एमएलबी भट्ट के निर्देशन में डॉ. ऋचा सिंह ने गत चार वर्षों के शोध के अंतर्गत ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों में विभिन्न मेटा स्टेसिस सेपरेसर जीन के स्तर मे होने वाले परिवर्तन और इन परिवर्तनों का ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों के जीवित रहने से सम्बंध का पता लगाया है। इस शोध के परिणामों की सहायता से भविष्य मे एडवांस स्टेज में भी ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं की जान बचाई जा सकेगी।

30 से 40 फीसद मामलों में ब्रेस्ट कैंसर के शरीर में फैलने की संभावना

डॉ. ऋचा ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर में 30 से 40 फीसद मामलों में पूरे शरीर में फैलने की संभावना रहती है। सबसे पहले कैंसर कोशिकाएं, हड्डियों, इसके बाद मस्तिष्क और फेफड़ों को प्रभावित करती हैं। इस स्टेज में महिलाओं की जान बचाना बिल्कुल नामुमकिन हो जाता है। डॉ.ऋचा ने बताया कि मेटा स्टेसिस सेपरेसर जीन यदि कोशिका में उच्च स्तर पर मौजूद है तो यह कैंसर कोशिका को शरीर में फैलने से रोकता है। इसकी जांच समय समय पर करके इसके स्तर मे परिवर्तन के आधार पर कैंसर के इलाज को और अच्छी तरह से किया जा सकता है। कैंसर अगर ब्रेस्ट तक सीमित रहेगा तो उसका इलाज करना संभव रहता है। वहीं कैंसर को चौथी स्टेज में यानी पूरे शरीर में फैलने से भी रोका जा सकता है। भारतीय ब्रेस्ट कैंसर मरीजों में प्रोटीन एवं जीन लेवल पर मेटास्टेसिस सेपरेसर पर यह पहला शोध है। जिन महिलाओं में यह जीन उच्च स्तर पर मौजूद नहीं होगा उनमें कैंसर के पूरे शरीर में फैलने की संभावना ज्यादा होगी। ऐसे में उन्हें जल्द से जल्द इलाज और फॉलोअप के लिए बुलाया जाएगा।

चौथी स्टेज पर पहुंचने पर बचने की संभावना कम

डॉ.ऋचा ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर के तीसरे से चौथी स्टेज में पहुंचने पर बचने की संभावना काफी कम हो जाती है। ऐसे में मार्कर के रूप में इन जीन का प्रयोग कर के कैंसर के इलाज को और अच्छी तरह से किया जा सकेगा। जिसमें उन्हें कीमोथेरेपी, रेडियोथेरैपी की जा सकेगी। किए गए शोध से भविष्य मे ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित 5 से 10 प्रतिशत महिलाओं की जान बचाई जा सकेगी। यह शोध 2016 मे विभिन्न इंटरनेशनल जनरल में प्रकाशित हुआ है “प्रोग्नोस्टिक इंप्लीकेशनस ऑफ मेटास्टेसिस मार्कर इन ब्रेस्ट कैंसर”

वर्ष 2012 से 2016 तक 150 महिलाओं पर यह शोध किया गया, इसमें 50 प्रतिशत महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर था वहीं 50 फीसद महिलाएं सामान्य थीं।

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