मानसून में रहना हो फिट तो रखें इन बातों का खास ख्याल
Shrinkhala Pandey | Aug 09, 2017, 15:49 IST
लखनऊ। लगातार बारिश के कारण कई तरह की बीमारियों का कहर बढ़ जाता है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या में इजाफा में भी होने लगता है। इस मौसम में खान-पान का भी विशेष खयाल रखने की जरूरत होती है। थोड़ी सी सावधानी बरतकर आप इन परेशानियों से बच सकते हैं।
जनरल फिजीशियन, डॉ. रूपेंद्र
तापमान के घटने और बढ़ने के कारण इस मौसम में यह सबसे आम बीमारी है। खासतौर पर बच्चे इससे जल्द प्रभावित होते हैं।
एक कप अदरक, तुलसी और कालीमिर्च वाली गर्म चाय, सर्दी से राहत दिलाने में असरदार है। जुकाम के इलाज में हल्दी काफी फायदेमंद है। बहती नाक को रोकने के लिए हल्दी को जलाकर इसका धुआं लें, इससे नाक से पानी बहना तेज हो जाएगा और तत्काल आराम मिलेगा। लहसुन की कलियों को उबालकर बनाए जाने वाले लहसुन के सूप के सेवन से सर्दी-जुकाम से शीघ्र लाभ मिलता है।
यह मादा मच्छर के द्वारा काटने से होने वाली बहुत ही आम बीमारी है। बारिश के मौसम में जल भराव व ठहराव के कारण मच्छरों को आसानी से पनपने का मौका मिलता है। डेंगू भी मच्छर के काटने से शरीर होता है। बदन व जोड़ों में दर्द, बुखार एवं शरीर पर लाल चिकत्ते पड़ना आदि डेंगू के सामान्य लक्षण होते हैं।
मलेरिया को जल्द ठीक करने के लिए 10 ग्राम पानी उबालें और उसमें 2 ग्राम हींग डालकर उसका लेप बनाएं। अब इस लेप को हाथ और पैरों के नाखूनों पर लगाएं। 4 दिनों तक एैसा करने से रोगी जल्दी ठीक हो जाता है। नींबू भी मलेरिया में कारगर है, नींबू पानी या नींबू की शिकंजी का सेवन करने से मलेरिया का बुखार उतर जाता है। डेंगू में गिलोय फायदेमंद होता है। इनके तनों को उबालकर हर्बल ड्रिंक की तरह सर्व किया जा सकता है। इसमें तुलसी के पत्ते भी डाले जा सकते हैं। पपीते के पत्तेः यह प्लेटलेट्स की गिनती बढ़ाने में मदद करता है।
बरसात में मलेरिया भी तेजी से फैलता है।यह एक वायरल रोग है, जिस कारण लीवर ठीक ढंग से काम नहीं करता है। आंखों, नाखूनों व पेशाब का रंग पीला होना व अधिक कमजोरी इसके मुख्य लक्षण है। इस आवस्था में पानी को उबालकर अधिक से अधिक मात्रा में पीना चाहिए।
चुकंदर का रस भी पित्त प्रकोप को शांत करता है, इसमें एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर प्रयोग करते रहने से शीघ्र लाभ होता है। चुकंदर के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से भी पीलिया रोग शांत होता है। सहजन के पत्तों के रस में शहद मिलाकर दिन मेँ दो-तीन बार देने से रोगी को लाभ होता है। पीलिया के रोगी को मूली के पत्तो से बहुत अधिक लाभ होता है, पत्तों को अच्छी तरह से रगड़कर उसका रस छानें और उसमेँ छोटी मात्रा में चीनी या गुड़ मिला लें। पीलिया के रोगी को प्रतिदिन कम से कम आधा किलो यह रस देना चाहिए।
यह वायरस सांस के द्वारा शरीर में प्रवेश करता है और हमारी श्वसन प्रणाली के प्राथमिक अंगों जैसे नाक, गला पर हमला करता है जिस के कारण गले में खराश, जुकाम आदि होते हैं। हमारे शरीर की प्रतिरोधक शक्ति उस वायरस को नष्ट करने की कोशिश करती है जिस कारण हमारे शरीर का तापमान बढ़ता है। इसे ही वायरल बुखार कहा जाता है। वायरल बुखार संक्रमित व्यक्ति के छींकने और खांसने से हवा में फैलने वाले वायरस के संपर्क में आने से दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाता है। इस के अलावा मौसम में आए बदलाव के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है जिस के चलते लोग आसानी से इस की चपेट में आ जाते हैं। इन्फ्लुएंजा के वायरस खांसने व छींकने के जरिए 2 से 3 मीटर की दूरी तक के व्यक्ति को प्रभावित कर सकते हैं।
शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के अनुकूल 3-4 दिनों में खुद ही ठीक हो जाता है, परंतु बुखार तेज हो तो उसे कम करने की दवाएं जैसा पैरासिटामोल, कालपोल दी जाती हैं। बुखार से राहत पाने के लिए रोगी को ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए और अनावश्यक दवाओं, विशेषरूप से एंटीबायोटिक दवाएं नहीं लेनी चाहिए। रोगी को अधिक मात्रा में तरल पदार्थ पीने के साथ भाप लेना और नमक के गरम पानी के गरारे करने की हिदायत दी जाती है।
जनरल फिजीशियन, डॉ. रूपेंद्र
मानसून में होने वाली बीमारियों के कारण्ब व बचाव के बारे में लखनऊ के डॉ एमए खान
सर्दी-जुकाम
उपचार
मलेरिया/डेंगू
उपचार
बरसात में मलेरिया भी तेजी से फैलता है।