ई-सिगरेट मसूड़ों और दांतों के लिए नुकसानदेह
Sanjay Srivastava | Nov 18, 2016, 11:03 IST
न्यूयॉर्क (आईएएनएस)| इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट मसूड़ों और दांतों के लिए पारंपरिक सिगरेट की तरह ही नुकसानदायक हैं, एक नए शोध में यह पाया गया है।
अमेरिका के रोचेस्टर मेडिसिन और दंत चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता इरफान रहमान ने कहा, "हमने पाया कि जब ई-सिगरेट के वाष्प को जलाया जाता है तो यह कोशिकाओं के लिए सूजन वाले प्रोटीन जारी करती है। इससे कोशिकाओं में तनाव बढ़ जाता है, इसके परिणामस्वरूप कई तरह की मुंह की बीमारियां पैदा हो सकती हैं।"
ज्यादातर ई-सिगरेट में एक बैटरी, एक गर्म करने का उपकरण और तरल के लिए एक काट्र्रिज होती है। इसमें खासतौर से निकोटिन और दूसरे रसायन होते हैं। बैटरी संचालित उपकरण से ऐरोसाल में काटिर्र्ज के तरल को गर्म किया जाता है, जिसे उपयोगकर्ता सांस के जरिए खींचते हैं।
इससे पहले, वैज्ञानिकों ने सोचा था कि सिगरेट के धूम्रपान में पाए जाने वाले रसायन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। लेकिन बढ़ते वैज्ञानिक आकड़ों और पत्रिका 'आंकोटारगेट' में प्रकाशित इस अध्ययन से दूसरे सुझाव सामने आए हैं।
रहमान ने कहा, "कितना और कितनी बार कोई ई-सिगरेट से धूम्रपान करता है, इससे ही उसके मसूड़ों और मुंह की गुहा में नुकसान की सीमा तय की जाती है।"
एक दूसरे शोधकर्ता फवाद जावेद ने कहा, "यह ध्यान देने योग्य बात है कि ई-सिगरेट में निकोटिन मौजूद होता है, जो मसूड़ों की बीमारी के लिए जिम्मेदार है।"
अमेरिका के रोचेस्टर मेडिसिन और दंत चिकित्सा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता इरफान रहमान ने कहा, "हमने पाया कि जब ई-सिगरेट के वाष्प को जलाया जाता है तो यह कोशिकाओं के लिए सूजन वाले प्रोटीन जारी करती है। इससे कोशिकाओं में तनाव बढ़ जाता है, इसके परिणामस्वरूप कई तरह की मुंह की बीमारियां पैदा हो सकती हैं।"
ज्यादातर ई-सिगरेट में एक बैटरी, एक गर्म करने का उपकरण और तरल के लिए एक काट्र्रिज होती है। इसमें खासतौर से निकोटिन और दूसरे रसायन होते हैं। बैटरी संचालित उपकरण से ऐरोसाल में काटिर्र्ज के तरल को गर्म किया जाता है, जिसे उपयोगकर्ता सांस के जरिए खींचते हैं।
इससे पहले, वैज्ञानिकों ने सोचा था कि सिगरेट के धूम्रपान में पाए जाने वाले रसायन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। लेकिन बढ़ते वैज्ञानिक आकड़ों और पत्रिका 'आंकोटारगेट' में प्रकाशित इस अध्ययन से दूसरे सुझाव सामने आए हैं।
रहमान ने कहा, "कितना और कितनी बार कोई ई-सिगरेट से धूम्रपान करता है, इससे ही उसके मसूड़ों और मुंह की गुहा में नुकसान की सीमा तय की जाती है।"
एक दूसरे शोधकर्ता फवाद जावेद ने कहा, "यह ध्यान देने योग्य बात है कि ई-सिगरेट में निकोटिन मौजूद होता है, जो मसूड़ों की बीमारी के लिए जिम्मेदार है।"