इस छह दिन की बच्ची को किसी ने नहीं जलाया

Darakhshan Quadir Siddiqui | Jan 01, 2017, 13:56 IST
lucknow
लखनऊ। फूलों सी नाजुक एक बच्ची वार्मर में झुलस जाती है मगर शहर की सेहत का ख्याल रखने वाले विभाग के अफसरों के माथे पर शिकन तक नहीं आई। किसकी लापरवाही से यह छह दिन की बच्ची झुलसी उस पर अस्पताल प्रशासन ने न तो कार्रवाई की, न ही उसका नाम सामने आया।

हादसे के एक सप्ताह बाद बच्ची की हालत बिगड़ती जा रही है। उसके प्लेटलेट्स काउंट घट रहे हैं। दो यूनिट प्लेटलेट्स चढ़ाने के बाद भी अभी उसकी प्लेटलेट्स संख्या केवल सात हजार बची है। मामले की न जांच हुई न किसी अफसर पर कोई आंच आई। एक नर्स को नौकरी से निकालने की घोषणा की गई मगर उसका नाम तक नहीं बताया गया। ये केवल अकेला मामला नहीं है, आए दिन सरकारी अस्पतालों में लापरवाही के कारण मरीजों की जान पर बन आती है।

सूत्रों के अनुसार सरकारी जच्चा-बच्चा अस्पतालों में पिछले करीब एक साल में 100 जच्चा और बच्चा की मौत पर परिवारीजनों ने आरोप नर्सों और चिकित्सकों पर लगाया मगर इनमें से किसी भी मामले में एक भी बड़ी कार्रवाई नहीं की गई। झलकारी बाई अस्पताल में आग लगी, सैकड़ों माताओं और बच्चों की जान आफत में आई, एक्शन कोई नहीं। क्वीन मेरी के बच्चा वार्ड में छत का एक हिस्सा गिरा। एक बच्चे के सिर में चोट आई, मगर कार्रवाई कोई नहीं।

क्वीन मेरी अस्पताल के एक सूत्र ने बताया कि मशीन की कमी होने के कारण एक मशीन पर दो बच्चों को रख दिया जाता है। बीती शनिवार की घटना में भी एक वार्मर पर दो बच्चे रखकर डाक्टर बेफिक्री की नींद सो गए थे जिस वजह से बच्ची के जलने की घटना हुयी। राजधानी के अस्पतालों के साथ-साथ सुदूर गाँवों की सीएचसी-पीएचसी का भी कमोवेश ये ही हाल है। मलिहाबाद के गाँव गोड़वा रहने वाले रामआधार पांडेय की बहू पिछले साल अगस्त में सीएचसी में लापरवाही से मौत का शिकार हुई। रामआधार बताते हैं, “यहां न डॉक्टर थे, न नर्स जब बहू की हालत गंभीर थी। आखिरकार डॉक्टर ने आकर हमको मौत की खबर दी।”

हर साल सात से आठ लाख रुपए एसएनसीयू की मेंटीनेस के लिए दिये जाते हैं। मशीन का समय-समय पर चेक करना बहुत जरूरी है।
आलोक कुमार, निदेशक, एनआरएचएम

क्यों पड़ती एसएनसीयू की जरूरत

ठंड के मौसम में बच्चे अधिकांशत: निमोनिया और विंटर डायरिया के शिकार हो जात हैं। डफरिन अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान ने बताया, “कभी-कभी प्री-मैच्योर बेबी और पीलिया से ग्रसित नवजात जन्म के बाद रोते नहीं हैं। इन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है या फिर किसी इंफेक्शन की चपेट में होते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें एनआईसीयू में इलाज की जरूरत होती है, ताकि उसे फोटोथैरेपी, वार्मर और वेंटीलेटर की सुविधा मिल सके।”

मेरी बच्ची गंभीर है, नर्स कौन थी ये तो बता दिया जाए: पिता

बच्ची के पिता रितेश तिवारी ने बताया कि “मेरी बच्ची की हालत बिगड़ रही है। उसके प्लेटलेट्स काउंट घट रहे हैं। बड़ी मिन्नतों के बाद तो हमको बच्ची को देखने दिया जा रहा है। उसको दो यूनिट प्लेटलेट्स चढ़ाई जा चुकी है। केवल सात हजार संख्या बची है। हमको तो लापरवाही के आरोप में जिस नर्स को बर्खास्त किया गया है, उसका नाम तक नहीं बताया जा रहा है।”

कहां कितने इंक्यूबेलेटर

(बच्चों को गर्मी देने की मशीन)

लोहिया- 12

लोकबंधु- 12

झलकारी बाई- 8

डफरिन- 8

क्वीन मेरी -8

Tags:
  • lucknow
  • Jhalkaribai hospital
  • QueenMary Hospital
  • NRHM

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.