0

टीबी का नया उपचार, लेकिन चुनौती अभी भी है बरकरार

Amit Baijnath Garg | Dec 08, 2021, 12:07 IST
Share
डब्ल्यूएचओ के अध्ययन के मुताबिक, दुनिया की लगभग एक चौथाई आबादी के टीबी बैक्टीरिया से संक्रमित होने का अनुमान है, जबकि उन्हें इस बात की खबर तक नहीं होती है। टीबी से पीड़ित सभी लोगों में से लगभग आधे 8 देशों में पाए जा सकते हैं। इन देशों में बांग्लादेश, चीन, भारत, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।
#tuberculosis
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, दुनियाभर में टीबी से बीमार होने वाले ज्यादातर लोग निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं, लेकिन टीबी पूरी दुनिया में मौजूद है। टीबी से पीड़ित सभी लोगों में से लगभग आधे 8 देशों में पाए जा सकते हैं। इनमें बांग्लादेश, चीन, भारत, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।

अब वैज्ञानिकों ने एक नए अध्ययन के द्वारा पता लगाया है कि कैसे तपेदिक (टीबी) आणविक स्तर पर वृद्धि को नियंत्रित या बढ़ाता है। सरे और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की अगुवाई में किए गए अध्ययन में टीबी के खिलाफ एंटीबायोटिक दवाओं की एक नई शृंखला की पहचान की गई है। टीबी संक्रमण और रोग दोनों एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग से ठीक हो सकते हैं। हालांकि एक तथ्य यह भी है कि आजकल अधिकतर एंटीबायोटिक दवाएं टीबी के इलाज में असर नहीं कर रहीं हैं या दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो गए हैं,

नेचर में प्रकाशित किए गए इस अध्ययन में शोध दल ने खुलासा किया कि नई खोजी गई डीएनए संशोधन प्रणाली में दो एंजाइम, डार्ट और डारजी शामिल हैं। बैक्टीरिया के प्रतिकृति के साथ समन्वय करने वाले स्विच बनाने के लिए क्रोमोसोमल डीएनए को विपरीत रूप से संशोधित करते हैं। डार्ट और डारजी प्रणाली में हस्तक्षेप करके यह जीवाणु के लिए भारी रूप से विषाक्त हो जाता है और एंटीबायोटिक दवाओं के एक नए वर्ग से संबंधित है।

356859-tuberculosis-bacteria-developing-country-india-covid-19-world-health-organization
356859-tuberculosis-bacteria-developing-country-india-covid-19-world-health-organization

टीबी और कोविड-19 दोनों संक्रामक रोग हैं, जो मुख्य रूप से फेफड़ों पर हमला करते हैं। दोनों बीमारियों में खांसी, बुखार और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण एक जैसे होते हैं। हालांकि टीबी में बीमारी की अवधि काफी लंबी होती है और रोग की शुरुआत धीमी होती है। टीबी रोगियों में कोविड-19 संक्रमण पर अनुभव सीमित रहता है। यह अनुमान है कि टीबी और कोविड-19 दोनों से बीमार लोगों के उपचार के रिणाम खराब हो सकते हैं, खासकर यदि टीबी का उपचार बाधित हो जाता है।

टीबी रोगियों को स्वास्थ्य अधिकारियों की सलाह के अनुसार, कोविड-19 से बचाव के लिए सावधानी बरतनी चाहिए और निर्धारित नियम के अनुसार टीबी का इलाज जारी रखना चाहिए। दुनियाभर में तपेदिक को एक स्वास्थ्य आपातकाल की तरह देखा जाता है। वर्तमान में तपेदिक के उपचार में उपयोग की जा रहीं एंटीबायोटिक दवाइयां अप्रभावी हो रही हैं। यह अध्ययन डीएनए जीव विज्ञान के एक नए हिस्से का वर्णन करता है, जिसे नई एंटीबायोटिक दवाओं के द्वारा इसका उपचार किया जा सकता है। सरे विश्वविद्यालय में आणविक जीवाणु विज्ञान के प्रोफेसर और प्रमुख अध्ययनकर्ता ग्राहम स्टीवर्ट ने कहा कि कोविड-19 से पहले तपेदिक ने हर साल किसी भी अन्य संक्रामक बीमारी की तुलना में अधिक लोगों की जान ली है और महामारी के कम होने के बाद यह फिर पुरानी स्थिति हासिल कर लेगा।

इधर, वर्ष 2019 की तुलना में 2020 में ज्यादा लोगों की मौत हुई है और अपेक्षाकृत कम लोगों में इस बीमारी का पता चलाया है। इसके अलावा कम मरीजों का इलाज या रोकथाम के लिए उपचार हुआ है और टीबी के लिए अति आवश्यक सेवाओं में कुल व्यय में भी गिरावट आई है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि हाल ही में जारी एक रिपोर्ट महामारी के कारण और अति आवश्यक सेवाओं में आए व्यवधान के प्रति उपजी उन आशंकाओं की पुष्टि करती है, जिनमें टीबी के विरुद्ध प्रगति पर असर होने का भय व्यक्त किया गया था। वर्ष 2020 में कोविड-19 के कारण अन्य कई स्वास्थ्य सेवाओं पर भी असर हुआ है, लेकिन टीबी सेवाओं पर होने वाले असर को विशेष रूप से गंभीर माना गया है। रिपोर्ट के अनुसार, टीबी के कारण पिछले वर्ष करीब 15 लाख लोगों की मौत हुई। इनमें से अधिकतर मौतें मुख्य रूप से उन 30 देशों में हुई हैं, जहां टीबी एक बड़ी समस्या है। यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने अनुमान जताया है कि तपेदिक से पीड़ित लोगों और मृतक संख्या वर्ष 2021 और 2022 में और भी अधिक होने की आशंका है।

रिपोर्ट कहती है कि महामारी के कारण अति आवश्यक सेवाओं में आए व्यवधान की वजह से टीबी के नए मरीजों का रोग निदान नहीं हो पाया। वर्ष 2019 में नए मरीजों की संख्या 71 लाख थी, लेकिन 2020 में 58 लाख नए मरीजों का ही ता चला। संगठन का अनुमान है कि फिलहाल टीबी के 41 लाख मरीज ऐसे हैं, जिन्हें या तो अपनी बीमारी के बारे में जानकारी नहीं है या फिर सरकारी एजेंसियों को इसकी सूचना नहीं है। एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2019 में यह संख्या 29 लाख आंकी गई थी। वर्ष 2019 और 2020 के बीच टीबी के नए मामलों की दर्ज संख्या में गिरावट मुख्यत: कुछ देशों में देखी गई है। इनमें भारत (41 %), इंडोनेशिया (14 %), फिलीपींस (12 %) और चीन (8 %) है। टीबी की रोकथाम के लिए उपचार पाने वाले लोगों की संख्या में भी कमी आई है। वर्ष 2020 में 28 लाख लोगों में बीमारी की रोकथाम के लिए उ चार हुआ, जो कि 2019 से 21 फीसदी कम है।

वहीं रिपोर्ट यह भी बताती है कि टीबी के 98 फीसदी मामलों के लिए जिम्मेदार देशों के लिए निवेश एक चुनौती बना हुआ है। वर्ष 2020 में उपलब्ध कुल धनराशि में से 81 प्रतिशत राशि घरेलू स्रोतों से थी। कुल घरेलू धनराशि में भी भारत, रूस, ब्राजील, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे ब्रिक्स देशों का हिस्सा 65 प्रतिशत है। वहीं वैश्विक स्तर पर टीबी के निदान, उपचार व रोकथाम सेवाओं में वैश्विक व्यय पांच अरब 80 करोड़ रुपए से गिरकर पांच अरब 30 करोड़ रुपए रह गया है। वर्ष 2022 तक टीबी पर जवाबी कार्रवाई के लिए जरूरी वित्त पोषण के वार्षिक 13 अरब डॉलर के लक्ष्य की यह आधी धनराशि है। रिपोर्ट में सभी देशों से अतिआवश्यक टीबी सेवाओं की पुर्नबहाली के लिए तत्काल उपाय किए जाने की पुकार लगाई गई है। इसके समानांतर टीबी शोध और नवाचार में निवेश को दोगुना करना होगा और स्वास्थ्य व अन्य क्षेत्रों में समन्वित कार्रवाई के जरिए टीबी के लिए जिम्मेदार सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक कारणों से निपटना होगा। ऐसा करने के बाद ही हम टीबी की रोकथाम की दिशा में काफी हद तक सफल हो जाएंगे।

(अमित बैजनाथ गर्ग, राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार व लेखक हैं, यह उनके निजी विचार हैं।)

Tags:
  • tuberculosis
  • TB
  • COVID19
  • story

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.