बिगड़ती जीवनशैली बन रही ब्रेन स्ट्रोक का कारण, जानें लक्षण और बचाव

गाँव कनेक्शन | Nov 19, 2016, 21:05 IST
cause of stroke
लखनऊ। बिगड़ती जीवनशैली, अनियमित खानपान, हाइपरटेंशन और धूम्रपान की वजह से ब्रेन स्ट्रोक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन अटैक की स्थिति में मरीज को तुरंत इमरजेंसी केयर की जरूरत होती है। बेहतर यही है कि स्वस्थ रहते ही इससे बचे रहने के लिए सही जीवनशैली अपनाई जाए और लक्षण दिखने पर चिकित्सकीय सहायता लेने में देर न की जाए।

क्या होता है ब्रेन स्ट्रोक

ब्रेन स्ट्रोक के बारे में लखनऊ के विवेकानंद पॉलीक्लीनिक के न्यूरो विभाग के डॉ एके पाण्डेय बताते हैं, “यदि मस्तिष्क के किसी भाग में खून का संचार बाधित हो जाए, तो मस्तिष्क के सामान्य कार्यों में बाधा आ जाती है। इस स्थिति को स्ट्रोक या ब्रेन अटैक कहा जाता है। इसमें अर्जेंट मेडिकल अटेंशन की जरूरत होती है। यह स्ट्रोक मस्तिष्क में रक्त का संचार करने वाली किसी रक्तवाहिका में ब्लॉकेज होने से या रक्त का रिसाव होने से हो सकता है।”

ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण

  • शरीर में अचानक बेहद कमजोरी और शरीर का एक तरफ का हिस्सा अशक्त महसूस होना
  • बेजान-सा एहसास (नम्बनेस)
  • कंपकंपी, ढीलापन, हाथ-पैर हिलाने में नियंत्रण का अभाव
  • नजर का धुंधलाना, एक आंख की दृष्टि जाना
  • जुबान का अचानक तुतलाने, लड़खड़ाने लगना
  • दूसरे क्या कह रहे हैं, यह सहसा समझ न पाना
  • जी मितलाना, उल्टी, चक्कर आना
  • अचानक गंभीर सिरदर्द
  • यदि स्ट्रोक गंभीर है, तो व्यक्ति बेहोश भी हो सकता है।

यूं करें बचाव

  • सिगरेट न पीना
  • ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखना। समय-समय पर रक्तचाप की जांच कराना व डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयों को नियमित रूप से लेना
  • वजन बढ़ने न देना
  • नमक कम खाना
  • संतुलित आहार और नियमित व्यायाम
  • ब्लड शुगर पर ध्यान देना
  • कोलेस्ट्रॉल को न बढ़ने देना।


प्रतीकात्मक फोटो

अलग-अलग प्रकार के स्ट्रोक

जब मस्तिष्क की किसी रक्तवाहिका में खून का थक्का जमने से स्ट्रोक होता है, तो उसे सेरेब्रल थ्रॉम्बोसिस कहते हैं। एक होता है सेरेब्रल हैमरेज यानी जब मस्तिष्क की कोई रक्तवाहिका फट जाती है और आसपास के ऊतकों में खून का रिसाव होने लगता है। इससे एक तो मस्तिष्क के विभिन्ना भागों में खून का प्रवाह कट जाता है। दूसरे, लीक हुआ खून मस्तिष्क पर दबाव डालता है। सेरेब्रल एम्बोलिज्म से भी ब्रेन अटैक आता है।

इस अवस्था में शरीर के किसी अन्य भाग में खून का थक्का बनता है और फिर वह रक्त के बहाव के साथ मस्तिष्क में पहुंच जाता है। इन सभी अवस्थाओं वाले स्ट्रोक का परिणाम एक ही है कि रक्त संचरण बाधित होने से मस्तिष्क को ऑक्सीजन और पोषण मिलना बंद हो जाता है तथा उसमें फैले न्यूरॉन्स तेजी से मरने लगते हैं।

मस्तिष्क के जिस भाग में क्षति हुई है, उससे संबंधित शरीर का अन्य भाग नाकाम हो जाता है, जैसे कि पक्षाघात (पैरालिसिस) हो जाना। इसलिए ब्रेन स्ट्रोक आते ही तुरंत मरीज को चिकित्सकीय सहायता मिलना चाहिए ताकि क्षति कम हो।

लक्षण दिखते ही क्या करें

मरीज को तुरंत चिकित्सकीय सहायता दें। अच्छी नर्सिंग केयर से मरीज की हालत ज्यादा बिगड़ने से बच सकती है। इमरजेंसी ट्रीटमेंट के बाद भी रीहैबिलिटेटिव थैरापीज जैसे फिजियोथैरापी, स्पीच थैरापी आदि की जरूरत होती है। ये सब जान बचाने के बाद की बातें हैं। सडन स्ट्रोक से व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। स्ट्रोक के कारण हुआ नर्व डैमेज स्थाई भी हो सकता है। इसलिए स्वस्थ रहते ही सावधानी रखना, स्वस्थ जीवनशैली अपनाना और लक्षण दिखते ही तुरंत चिकित्सकीय सहायता के लिए पहुंचना जरूरी है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

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