कोरोना काल में लाखों छात्रों ने की NEET-JEE टालने की मांग, लेकिन सरकार परीक्षा कराने पर अड़ी
कोरोना काल में लाखों छात्रों ने की NEET-JEE टालने की मांग, लेकिन सरकार परीक्षा कराने पर अड़ी

By shivangi saxena

देशभर में 13 सितंबर को नीट और 1 से 6 सितंबर के बीच जेईई की परीक्षाओं का आयोजन किया जाना है। इस सन्दर्भ में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने एक जरूरी नोटिस जारी कर दिया है जिसके अनुसार अब तिथियों में किसी भी तरह के फेर-बदल की उम्मीद नहीं है। इस साल जेईई के लिए 8 लाख और नीट के लिए 16 लाख से ज़्यादा छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।

देशभर में 13 सितंबर को नीट और 1 से 6 सितंबर के बीच जेईई की परीक्षाओं का आयोजन किया जाना है। इस सन्दर्भ में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने एक जरूरी नोटिस जारी कर दिया है जिसके अनुसार अब तिथियों में किसी भी तरह के फेर-बदल की उम्मीद नहीं है। इस साल जेईई के लिए 8 लाख और नीट के लिए 16 लाख से ज़्यादा छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।

किसान आंदोलन: किसान नेताओं और सरकार के बीच पांचवें दौर की बैठक भी नतीजा, 9 दिसंबर को अगली मीटिंग
किसान आंदोलन: किसान नेताओं और सरकार के बीच पांचवें दौर की बैठक भी नतीजा, 9 दिसंबर को अगली मीटिंग

By shivangi saxena

मीटिंग के दौरान जहां सरकार कानूनों में संशोधन की बात कर रही थी, वहीं किसान नेता कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहें। बैठक के दौरान किसानों ने 'Yes' या 'No' का प्लाकार्ड भी दिखाया।

मीटिंग के दौरान जहां सरकार कानूनों में संशोधन की बात कर रही थी, वहीं किसान नेता कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहें। बैठक के दौरान किसानों ने 'Yes' या 'No' का प्लाकार्ड भी दिखाया।

क्यों कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं पंजाब से जुड़े खेतिहर मजदूर और उनके बच्चे?
क्यों कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं पंजाब से जुड़े खेतिहर मजदूर और उनके बच्चे?

By shivangi saxena

खेतिहर मजदूरों और उनके बच्चों को कहना है कि कृषि कानून लागू होने के बाद किसानों के हाथ में इतना पैसा नहीं बचेगा कि वे मज़दूर किराए पर रख सकें। ऐसे मे लाखों खेतिहर मजदूर बेरोज़गार हो जाएंगे।

खेतिहर मजदूरों और उनके बच्चों को कहना है कि कृषि कानून लागू होने के बाद किसानों के हाथ में इतना पैसा नहीं बचेगा कि वे मज़दूर किराए पर रख सकें। ऐसे मे लाखों खेतिहर मजदूर बेरोज़गार हो जाएंगे।

बिहार में बाढ़ से बर्बाद हुए मछली पालक किसानों की अनकही कहानियां
बिहार में बाढ़ से बर्बाद हुए मछली पालक किसानों की अनकही कहानियां

By shivangi saxena

बिहार में आई बाढ़ से लाखों लोग परेशान हैं, लेकिन मछली पालक किसानों की अपनी ही परेशानियां हैं। तालाब में मछली पालने वाले किसानों की मछलियां बाढ़ के पानी में बह गईं और उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचा है।

बिहार में आई बाढ़ से लाखों लोग परेशान हैं, लेकिन मछली पालक किसानों की अपनी ही परेशानियां हैं। तालाब में मछली पालने वाले किसानों की मछलियां बाढ़ के पानी में बह गईं और उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचा है।

दिल्लीः बेरोजगार हुए रावण का पुतला बनाने वाले कारीगर, दो जून की रोटी का संकट
दिल्लीः बेरोजगार हुए रावण का पुतला बनाने वाले कारीगर, दो जून की रोटी का संकट

By shivangi saxena

देश में जारी कोरोना महामारी के बीच तमाम उद्योग-धंधों पर असर पड़ा है। दशहरे के समय में राजधानी दिल्ली में रावण का पुतला बनाने का व्यवसाय हर साल काफी चलता है, लेकिन कोरोना संकट के कारण इस साल यह व्यवसाय भी संकट में है। पुतला बनाने वाले कारीगर दो जून की रोजी-रोटी के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।

देश में जारी कोरोना महामारी के बीच तमाम उद्योग-धंधों पर असर पड़ा है। दशहरे के समय में राजधानी दिल्ली में रावण का पुतला बनाने का व्यवसाय हर साल काफी चलता है, लेकिन कोरोना संकट के कारण इस साल यह व्यवसाय भी संकट में है। पुतला बनाने वाले कारीगर दो जून की रोजी-रोटी के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।

मिलिए अब्दुल क़ादिर की अनोखी कैब से, जिसमे हैं सैनिटाइज़र, मास्क, डस्टबिन और साबुन जैसी सहूलियत की सभी चीजें
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By shivangi saxena

कोरोना ने जीने के तरीकों में बदलाव किया है, इसके साथ ही लोगों के यातायात और अन्य तरीकों में भी बदलाव हुए हैं। दिल्ली के कैब ड्राइवर अब्दुल कादिर ने इन जरूरतों को महसूस किया और अपने कैब में मास्क, सैनिटाइजर, साबुन, डस्टबिन जैसी सभी सुविधाओं को उपलब्ध कराया है। अब सोशल मीडिया पर उनकी खूब तारीफ की जा रही है।

कोरोना ने जीने के तरीकों में बदलाव किया है, इसके साथ ही लोगों के यातायात और अन्य तरीकों में भी बदलाव हुए हैं। दिल्ली के कैब ड्राइवर अब्दुल कादिर ने इन जरूरतों को महसूस किया और अपने कैब में मास्क, सैनिटाइजर, साबुन, डस्टबिन जैसी सभी सुविधाओं को उपलब्ध कराया है। अब सोशल मीडिया पर उनकी खूब तारीफ की जा रही है।

दिन का सौ रुपये भी नहीं कमा पा रहे हैं रिक्शा चालक, वायरस के डर से नहीं मिल रही सवारी
दिन का सौ रुपये भी नहीं कमा पा रहे हैं रिक्शा चालक, वायरस के डर से नहीं मिल रही सवारी

By shivangi saxena

कोरोना के प्रकोप ने दिहाड़ी मजदूरों और रिक्शा चालकों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। इस वायरस ने उनकी रोज़ी-रोटी पर गहरा असर डाला है। अनलॉक होने के बावजूद लोग वायरस के डर से रिक्शों पर बैठने से कतरा रहे हैं, जिससे उनकी आय प्रभावित हो रही है।

कोरोना के प्रकोप ने दिहाड़ी मजदूरों और रिक्शा चालकों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। इस वायरस ने उनकी रोज़ी-रोटी पर गहरा असर डाला है। अनलॉक होने के बावजूद लोग वायरस के डर से रिक्शों पर बैठने से कतरा रहे हैं, जिससे उनकी आय प्रभावित हो रही है।

कड़ाके की ठंड, खुला आसमान और कोहरा, किसी के पास कम्बल तो किसी के पास रजाई, कैसे कट रही हैं किसानों की रातें
कड़ाके की ठंड, खुला आसमान और कोहरा, किसी के पास कम्बल तो किसी के पास रजाई, कैसे कट रही हैं किसानों की रातें

By shivangi saxena

खुले आसमान और सरसराती हवा, ओस के बीच हजारों किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए पिछले एक पखवाड़े से दिल्ली के सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। उनका कहना है कि उन्हें ठंड के कारण भले ही कई दिक्कतें आ रही हैं लेकिन वे बिना कानून वापस कराये अपने घरों को नहीं लौटने वाले हैं।

खुले आसमान और सरसराती हवा, ओस के बीच हजारों किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए पिछले एक पखवाड़े से दिल्ली के सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। उनका कहना है कि उन्हें ठंड के कारण भले ही कई दिक्कतें आ रही हैं लेकिन वे बिना कानून वापस कराये अपने घरों को नहीं लौटने वाले हैं।

यूपी: लॉकडाउन में तंगी झेल रहे परिवारों पर बढ़ा एक और आर्थिक बोझ, 40 आईटीआई कॉलेजों की फीस 50 गुना तक बढ़ी
यूपी: लॉकडाउन में तंगी झेल रहे परिवारों पर बढ़ा एक और आर्थिक बोझ, 40 आईटीआई कॉलेजों की फीस 50 गुना तक बढ़ी

By shivangi saxena

निजीकरण होने के बाद आईटीआई कॉलेजों की वार्षिक फीस 480 रुपये से बढ़कर 18000 रुपये से अधिक हो जाएगी, जिसका भार सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों पर पड़ेगा, जो लॉकडाउन की वजह से पहले ही आर्थिक तंगी के हालात में हैं।

निजीकरण होने के बाद आईटीआई कॉलेजों की वार्षिक फीस 480 रुपये से बढ़कर 18000 रुपये से अधिक हो जाएगी, जिसका भार सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों पर पड़ेगा, जो लॉकडाउन की वजह से पहले ही आर्थिक तंगी के हालात में हैं।

हर पल एक नई चुनौती का सामना करती हैं किसान आंदोलन में शामिल महिलाएं
हर पल एक नई चुनौती का सामना करती हैं किसान आंदोलन में शामिल महिलाएं

By shivangi saxena

दिल्ली की सीमाओं पर ढाई महीने से चल रहे आंदोलन में शामिल किसानों के सामने बिजली-पानी जैसी समस्याएं हैं। लेकिन इस आंदोलन का अहम हिस्सा बनी महिलाओं की चुनौतियां पुरुषों की तुलना में कहीं ज़्यादा हैं। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक उन्हें हर पल एक नई चुनौती का सामना करना पड़ता है।

दिल्ली की सीमाओं पर ढाई महीने से चल रहे आंदोलन में शामिल किसानों के सामने बिजली-पानी जैसी समस्याएं हैं। लेकिन इस आंदोलन का अहम हिस्सा बनी महिलाओं की चुनौतियां पुरुषों की तुलना में कहीं ज़्यादा हैं। सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक उन्हें हर पल एक नई चुनौती का सामना करना पड़ता है।

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