ग्रीस में घोड़े पर बैठकर खेला जाता था जैवलिन थ्रो, जानिए इस खेल से जुड़ी 5 रोचक बातें

Devanshu Mani Tiwari | Jan 16, 2018, 20:14 IST
Sports Authority of India
क्या आपको पता है, अोलंपिक के अलावा कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में खेला जाने वाला जैवलिन थ्रो (भाला फेंक) खेल कहां का है ? आइये जानते हैं इस खेल से जुड़ी पांच रोचक जानकारियां ।

ग्रीस ओलंपिक में हुई थी भाला फेंक खेल की शुरूआत -

भाला फेंकने के खेल की शुरूआत ग्रीस में ओलंपिक खेलों से हुई। यह खेल पेंटाथ्लॉन खेलों की श्रेणी में आयोजित होने वाले खेलों में से एक था। भाला फेंकने के अलावा पेंटाथ्लॉन खेलों में दौड़, कुश्ती, डिस्कस फेंक और लंबी कूद जैसे खेल शामिल थे। पेंटाथ्लॉन खेल सबसे पहले ओलंपिक 708 बीसी में खेले गए थे।

ग्रीस में हुई थी भाला फेंक खेल की शुरूआत।

घोड़े पर बैठकर खेला जाता था जैवलिन थ्रो -

इल खेल में प्रयोग होने वाला भाला लकड़ी का होता है और यह छह फीट लंबा होता है। इसके एक छोर पर धातु की टिप होती है और दूसरे छोर पर चमड़ा लगा होता है। प्राचीनकाल में ग्रीस में इस खेल को खेलते हुए खिलाड़ी घोड़े पर बैठ कर फाला फेंकते थे, लेकिन आज ओलंपिक खेलों में इस खेल में घोड़ों का प्रयोग नहीं किया जाता है।

प्राचीन ग्रीस में घोड़े पर बैठकर खेला जाता था जैवलिन थ्रो।

सबसे पहले यूरोप, अमेरिका और पश्चिमी देशों में शुरू हुई भाला फेंक खेल प्रतियोगिताएं -

वर्ष1880 के दशक के दौरान, यूरोप, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में भाला फेंकने, लंबी कूद और दौड़ की खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। पेंटाथ्लॉन खेलों में भाला फेंक खेल की शुरूआत पहली बार आधुनिक ओलंपिक खेल वर्ष1896 में हुई। इस दौरान भाला-फेंक खेल प्रतियोगिताएं आम तौर पर कई ट्रैक और फील्ड इवेंट के तौर पर खेली जाने लगी।

वर्ष 1986 में आधुनिक ओलंपिक खेलों से जुड़ा भाला फेंक खेल।

ट्रैक व फील्ड इवेंट की श्रेणी में आता है जैवलिन थ्रो खेल -

आज, भाला फेंक खेल अलग-अलग स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में ट्रैक इवेंट श्रेणी का मुख्य खेल माना जाता है, जिसमें समर ओलंपिक खेल भी शामिल हैं।

ट्रैक व फील्ड इवेंट का भाग है जैवलिन थ्रो।

पुराने जमाने के भाले और आधुनिक भालों में हुआ बदलाव-

आधुनिक काल के भाला फेंक खेल में प्रयोग होने वाले भाले धातु या लकड़ी से बने होते हैं। इनमें एक छोर पर धातु से बना नुकीला टिप होता है, लेकिन अब दूसरे छोर पर प्राचीनकाल में ग्रीस में लगाई जाने वाली चमड़े की पेटी की जगह हाई क्वालिटी रबर ने ले ली है।

पुराने ज़माने का भाला नए युग के भाले से बिलकुल अलग ।
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