राजनीति ने बिगाड़ा बिहार का ‘खेल’

Mithilesh Dhar | Dec 09, 2017, 18:32 IST
cricket
बिहार और क्रिकेट। इन दोनों शब्दों को आपने एक साथ पिछली बार पता नहीं कब सुना हो। और ये सच भी है, बिहार में क्रिकेट की मौजूदा स्थिति क्या है, ये किसी भी क्रिकेटप्रेमी से छिपा नहीं है। लेकिन बिहार कई सालों बाद क्रिकेट को लेकर एक बार फिर चर्चा में है। विजय मर्चेंट ट्रॉफी अंडर-16 क्रिकेट टूर्नामेंट में 870 रनों से जीत दर्ज करने के बाद बिहार में एक बार फिर क्रिकेट को चर्चाएं तेज हो गई हैं।

बिहार में पहली बार विजय मर्चेंट ट्रॉफी अंडर-16 क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन हुआ। पटना के ऊर्जा मैदान में ये मैच हुए. लेकिन जो पिछले शनिवार यानी दो दिसंबर को हुआ उससे एक अरसे के बाद बिहार क्रिकेट की चर्चा पूरे देश में होने लगी। इस दिन बिहार की अंडर-16 टीम ने बीसीसीआई के किसी भी स्तर के टूर्नामेंट में सबसे बड़ी जीत हासिल की। वहीं आज खत्म हुए दूसरे मैच में बिहार ने मणिपुर को इनिंग और 270 रनों से हरा दिया।



सबा करीम बलजीत सिंह के 358 रन की मैराथन पारी और स्पिनर रेशू राज के मैच में लिए गए 13 विकेट की बदौलत बिहार ने अरुणाचल प्रदेश को पारी और 870 से हरा दिया। बिहार ने अपनी पहली पारी सात विकेट पर 1007 रन बनाकर घोषित की जो कि एक नया रिकॉर्ड है। इस मैच ने पूरे देश के क्रिकेट प्रेमियों का ध्यान बिहार की तरफ खिंचा है।

क्रिकेट में पीछे क्यों छूटा बिहार

ऐसे में जब भारत में क्रिकेट एक धर्म बन चुका हो उसी देश के एक प्रदेश इसमें पीछे क्यों छूटा। सवाल ये भी लाजिमी है क्योंकि अगर बिहार क्रिकेट में आगे नहीं बढ़ा तो ऐसा भी नहीं है वो किसी अन्य खेल भी आगे बढ़ा हो। किसी भी खेल में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले अगर खिलाड़ियों की बात करेंग तो आपको इतिहास के पन्ने पलटने पड़ेंगे।

बलजीत सिंह, दाएं साइड। देश में कई और राज्य भी हैं जो क्रिकेट में पीछे हैं, लेकिन उन राज्यों ने दूसरे खेलों में देश के लिए प्रतिनिधित्व किया। बिहार से अलग हुआ झारखंड आज तीरंदरजी, हॉकी सहित कई अन्य खेलों में देश का नाम रोशन कर रहा है। अब दोबरा से क्रिकेट पर लौटते हैं।

राजनीति में उलझा खेल

1936 में स्थापित बिहार क्रिकेट एसोशिएशनन अपने आपसी राजनीति में उलझकर क्रिकेट जगत से अलग-थलग पड़ गया। 2003-04 में के बाद बिहार क्रिकेट टीम ने रणजी ट्रॉफी में भाग नहीं लिया है। इस बारे में पटना में रहने वाले खेल पत्रकार शशांक मुकुट शेखर कहते हैं “इसका मुख्य कारण बिहार में क्रिकेट गवर्निंग बॉडी की उदाशीनता। 2001 में लालू यादव के बीसीए प्रसीडेंट बनने के बाद बिहार के क्रिकेट में पॉलिटिक्स हावी हो गई जिसने क्रिकेट में बिहारी प्रतिभा की लोटिया डुबो कर रख दिया।

सबसे जरूरी है क्रिकेट में पॉलिटिक्स और पॉलिटिशियन के हस्तक्षेप को सीमित किया जाए। साथ ही बीसीए में चल रहे आंतरिक मतभेद को खेल हित में समाप्त हो जाना चाहिए। आज भारतीय क्रिकेट टीम में हर राज्य के प्रतिभाशाली खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर देश का नाम रोशन कर रहे हैं। मगर बिहार के क्रिकेटर मैनेजमेंट के आतंरिक कलह की वजह से घरेलू टूर्नामेंट में भाग लेने से भी वंचित रह जाते हैं।”

मि कुमारी, कैरम खिला इस बारे में रेलवे और गुजरात से जोनल क्रिकेट खेलने वाले मुजफ्फरपुर में टिकट कलेक्टर के पद पर तैनात 22 वर्षीय कृष्ण कांत कहते हैं "राजनीति हमें खेलने ही नहीं देती। मैं कई बार ट्रायल के लिए पटना गया। लेकिन चूंकि मेरी पहुंच नहीं थी। इसलिए मैं हर बार खाली हाथ ही लौटा। ऐसे में मुझे दूसरे राज्य से खेलने पर मजबूर होना पड़ा। मेरे जैसे बहुत से खिलाड़ी हैं। उन्हें मौका ही नहीं मिलता। ऐसे में प्रदेश खेल में भला कैसे आगे बढ़ेगा।"

विजय मर्चेंट ट्रॉफी अंडर-16 क्रिकेट टूर्नामेंट में बिहार की जीत शायद हवा का रुख कुछ मोड़ पाए। यह जीत क्रिकेट में बिहार के लगभग डेढ़ दशक के सूखे के समाप्त होने की शुरुआत है। ऐसा नहीं है कि बिहार में खेल प्रतिभाओं की कमी है। अगर हालिया कुछ नेशनल खिलाड़ियों की बात करें तो झारखंड की ओर से खेलने वाले विस्फोटक विकेटकीपर बल्लेबाज ईशान किशन हैं। इनका जन्म पटना में हुआ है। ये बिहार के हैं, लेकिन खेलते झारखंड से हैं।

शाहबाज नदीम इनके अलावा शाहबाज नदीम क्रिकेट, शरद कुमार हाई जंपर, अरुणा मिश्रा बॉक्सर, राजेश चौहान क्रिकेट, रश्मि कुमारी कैरम, जफर इकबाल हॉकी, सुब्रोतो बनर्जी क्रिकेट, किर्ति आजाद क्रिकेट, सबा करीम, इन खिलाड़ियों को देश-दुनिया अलग-अलग खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। लेकिन इसमें गौर करने वाली बात ये भी है इनमें से ज्यादातर खिलाड़ियों ने देश की ओर से तब खेला जब बिहार बंटा नहीं था। जब बिहार से झारखंड बना तो बहुत से खिलाड़ी झारखंड की ओर से खेलने लगे, जैसा की आज भी हो रहा है।

बिहार क्रिकेट संघ के संयोजक (बिहार डोमेस्टिक क्रिकेट) सुबीर चंद्र मिश्रा कहते हैं “ बिहार में क्रिकेट पीछे नहीं है। राजनीतिक कारणों के कारण हम पीछे हो गए हैं। इसे पीेछे किया गया। लेकिन लोढ़ा समिति के आने के बाद जो उनकी शर्तें हैं, उसके अनुसार बिहार भी अब फुलमेंबरशिप के लिए योग्य है। आर्थिक कमजोरी के कारण भी हमारे बच्चे आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। हमारे अंदर क्षमता है, आवश्यकता है तो उसकी उचित देखरेख की।”

Tags:
  • cricket
  • खेल
  • राजनीति
  • sports
  • क्रिकेट
  • बिहार
  • Bihar‬
  • cricket in bihar
  • baljeet bihari
  • vijay marchent trophy
  • special reports bihar sports

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.