आपदा में गरीबों को अंतिम संस्कार के लिए मिलने वाली सहायता राशि का फायदा कितनों को मिला?

Ajay MishraAjay Mishra   29 May 2021 8:42 AM GMT

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आपदा में गरीबों को अंतिम संस्कार के लिए मिलने वाली सहायता राशि का फायदा कितनों को मिला?

फोटो: अरेंजमेंट

कन्नौज (उत्तर प्रदेश)। देश में कोविड की दूसरी लहर में यूपी से लेकर बिहार तक नदियों में शव उतराने और घाटों के किनारे दफनाने का मामला सुर्खियां बना। इन शवों ने तरफ जहां कोविड की महामारी का विभीषिका दिखाई तो कई जगह ये भी नजर आया कि लोग कितने लाचार हैं को कि वो शवों का विधिवत अंतिम संस्कार तक नहीं कर सके। गरीब लोगों के अंतिम संस्कार के लिए यूपी सरकार ने 5000 रुपए पिछले साल की तय किए थे।

पिछले साल (2020) दो जून को तत्कालीन प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह ने एक शासनादेश जारी किया था, जिसके तहत कहा गया था कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को अपने परिजनों के शवों के अंतिम संस्कार के लिए पांच हजार रुपये की मदद की जाएगी। इत्र नगरी के नाम से मशहूर यूपी के कन्नौज जिले में इस आदेश के आने के बाद अब तक मात्र 4 पात्र लोगों के नाम सामने आए हैं, इनमें से भी सिर्फ एक पात्र परिवार को पिछले दिनों 5 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी गई।

दिनों पहले यूपी के कई जिलों में शवों को नदियों में बहाने की खबरें चर्चा में आईं और कई जगह नदी के किनारों पर बड़ी संख्या में शवों को दफनाया भी गया।

उत्तर प्रदेश के उन्नाव का बक्सर घाट। फोटो: गाँव कनेक्शन

उत्तर प्रदेश के उन्नाव में बक्सर के गंगा घाट पर पिछले दिनों काफी संख्या में शवों का अंतिम संस्कार किया गया। इतना ही नहीं, जो लोग दाह संस्कार का खर्च (15,000 रुपये) नहीं उठा सकते थे, उन्होंने 700 रुपये में दफनाने का विकल्प चुना, जिससे घाट पर कई अस्थायी कब्रें बना दी गईं। हालांकि अब वहां प्रशासन ने घाट पर दफनाने की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।

13 मई को उन्नाव के भगवंतनगर के चंद्रमा अपने पड़ोस के बुजुर्ग के लिए उन्नाव के बक्सर घाट पहुंचे थे। उस दौरान उन्होंने गांव कनेक्शन को बताया था कि "एक शव का अंतिम संस्कार करने में 12 से 15 हजार रुपये तक खर्च हो सकते हैं। इसका खर्च नहीं उठा सकते हैं, 600 से 7 00 रुपये में दफनाया जा सकता है।"

उन्नाव जिले में जिला पंचायती राज अधिकारी राजेंद्र यादव ने बताया, "आर्थिक सहायता देने का शासनादेश आने के बाद जिले में अब तक (24 मई) तक 42 लोगों को सहायता प्रदान की गई है।" उन्नाव में रोज आने वाले कोविड बुलेटिन के मुताबिक जिले में कोविड की दूसरी लहर 201 लोगों की मौत हुई।

वहीं सीतापुर के डीपीआरओ इंद्र कुमार सिंह के मुताबिक 3 लोगों को अंतिम संस्कार सहायता राशि के 5000-5000 रुपए दिए गए हैं। 24 तक के आंकड़ों के अनुसार सीतापुर में 171 लोगों की मौत कोविड से हुई थी।

पिछले दिनों (24 मई) को कन्नौज पहुंचे यूपी के पंचायती राज मंत्री और कन्नौज जिले के प्रभारी भूपेंद्र सिंह चौधरी ने बताया था कि, "ग्राम पंचायतों को राज्य वित्त आयोग की ओर से बजट दिया गया है। जिसके तहत गरीब परिवारों को धार्मिक रीति रिवाज के जरिए अंतिम संस्कार के लिए पांच-पांच हजार रुपये दिए गए हैं।"


18 मई को जब अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह व पंचायती राज विभाग की निदेशक किंजल सिंह ने गंगा और यमुना किनारे के जिलों को लेकर वर्चुअल मिटिंग की थी। इस मीटिंग में शामिल हुए एक शख्स ने गांव कनेक्शन को नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मीटिंग ग्राम पंचायत सचिव संघ के गाजीपुर अध्यक्ष सूर्यभान राय ने बताया, "यहां मान्यता है कि कुछ शवों का जल में भी प्रवाहित किया जाता है। कई लोग शवों को जलाने में विश्वास रखते हैं। शव जिले के बाहर से भी बहकर आए हैं।"

यूपी के दोनों ही अधिकारियों ने मीडिया में आ रहीं कोविड-19 से मरने वालों की संख्या हजारों में बताए जाने पर भी हकीकत पूछी। इस पर सूर्यभान ने कहा कि "यह सच है कि शव मिले हैं और उनका पोस्टमार्टम कराने के बाद कोविड-19 की पुष्टि भी हुई है, लेकिन मीडिया में संख्या अधिक बताई जा रही है।"

प्रमुख सचिव से अपर मुख्य सचिव बने मनोज कुमार सिंह ने 14 मई 2021 को फिर से आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को शवों के अंतिम संस्कार के लिए पांच-पांच हजार रुपये देने का आदेश जारी किया। उन्होंने डीपीआरओ व सचिवों को निर्देश दिया था कि पात्रों को खोजकर लाभ दिलाया जाए।

कन्नौज की बात करें तो यहां गन्ना के किनारे 08 घाट हैं। गंगा के किनारे मेहंदीघाट पर सबसे अधिक अंतिम संस्कार होते हैं। यहां के पंजीकरण करने वाले राजनरायन पांडेय बताते हैं, "अब तो कम संख्या में शव आ रहे हैं। कुछ दिनों पहले तक तीन से चार गुना संख्या पहुंच गई थी। आमतौर पर पहले 20 से 30 शव आते हैं, लेकिन दूसरी लहर के शुरू होने पर रोजाना का आंकड़ा 80 के करीब तक पहुंचा।"

उत्तर प्रदेश में 28 मई तक उत्तर प्रदेश में 19,899 लोगों की मौत कोविड से हो चुकी है। कोविड की दूसरी लहर में देश के गांवों में भी कोरोना से हजारों लोगों की जान गई है।

16 मई को पंचायती राज विभाग ने उत्तर प्रदेश में 10 हजार मृतकों की सूची जारी की है। यह सूची कोविड-19 की शुरुआत (मार्च 2020) से लेकर अब तक (16 मई 2021) की है। निदेशक किंजल सिंह ने मीटिंग के दौरान कहा था कि ग्राम पंचायत सचिव इसका सत्यापन (वे परिवार, जो आर्थिक रूप कमजोर थे) कर पात्रों को पांच-पांच हजार रुपये का लाभ दें।

कन्नौज में 76 की मौत, 4 लोग मिले पात्र, एक को मिला फायदा

इस सूची में कन्नौज के पूरे कोरोना काल (मार्च 2020 से अब तक) में मरने वाले 76 लोगों के नाम शामिल हैं। वहीं जिला स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, 14 मई को यह आंकड़ा 101 था, जो 24 मई को 108 हो चुका था।

जिला पंचायत राज अधिकारी जितेंद्र कुमार मिश्र बताते हैं "सत्यापन के लिए मृतकों की सूची आई है, लेकिन उसका काम डीपीएम देख रहे हैं।"

डीपीएम शलभ त्रिपाठी बताते हैं, "77 लोगों की जो सूची उनके पास निदेशालय से आई है, उसका सत्यापन सचिव कर रहे हैं। जो गरीब हैं या शव का अंतिम संस्कार नहीं कर सकते हैं, उनको सहायता राशि देनी है। अब तक जिले में चार लोग पात्र मिले हैं। इसमें छिबरामऊ के दो और उमर्दा व जलालाबाद के एक-एक नाम शामिल हैं। जिनमें से एक परिवार को मौके पर पहुंचकर पांच हजार रुपये की आर्थिक सहायता दे दी गई है।"

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