बात बात पर हुलस के हँस देने वाली कोसी की लड़की – शारदा सिन्हा
बात बात पर हुलस के हँस देने वाली कोसी की लड़की – शारदा सिन्हा

By Anulata Raj Nair

बिहार में छठ पूजा हो या फिर किसी शादी का उत्सव, पद्मश्री शारदा सिन्हा के गीतों के बिना पूरा नहीं हो सकता है, एक छोटे से गाँव से निकलकर दुनिया भर में पहचान बनाने वाली शारदा_सिन्हा ने अपनी ज़िन्दगी के कई किस्से इस बातचीत में साझा किए हैं।

बिहार में छठ पूजा हो या फिर किसी शादी का उत्सव, पद्मश्री शारदा सिन्हा के गीतों के बिना पूरा नहीं हो सकता है, एक छोटे से गाँव से निकलकर दुनिया भर में पहचान बनाने वाली शारदा_सिन्हा ने अपनी ज़िन्दगी के कई किस्से इस बातचीत में साझा किए हैं।

रामधारी सिंह दिनकर: विद्रोही कवि से लेकर राष्ट्रकवि बनने की यात्रा
रामधारी सिंह दिनकर: विद्रोही कवि से लेकर राष्ट्रकवि बनने की यात्रा

By Anulata Raj Nair

आज़ादी के पहले दिनकर को जहाँ विद्रोही कवि माना गया वहीं बाद में वे राष्ट्रकवि के नाम से जाने गए। एक तरफ दिनकर की कवितायें वीर रस से भरी याने ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रांति का आव्हान करने वाली थीं तो दूसरी ओर उन्होंने कोमल और श्रृंगार रस से भरी रचनाएं भी लिखीं।

आज़ादी के पहले दिनकर को जहाँ विद्रोही कवि माना गया वहीं बाद में वे राष्ट्रकवि के नाम से जाने गए। एक तरफ दिनकर की कवितायें वीर रस से भरी याने ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रांति का आव्हान करने वाली थीं तो दूसरी ओर उन्होंने कोमल और श्रृंगार रस से भरी रचनाएं भी लिखीं।

रंगाई छपाई की रेशमी कहानी; गोंड आदिवासियों की छीपा कला
रंगाई छपाई की रेशमी कहानी; गोंड आदिवासियों की छीपा कला

By Anulata Raj Nair

"छीपा" शब्द उतना ही पुराना है, जितना रंगाई और छपाई का इतिहास। रंगाई और छपाई की कला का जन्म भारत से होकर दुनिया के तमाम देशों तक प्रचलित हुआ। पुरातन समय में सामाजिक और आर्थिक प्रतिष्ठा के साथ छीपा शिल्पी न केवल अपनी कला में निखार ला रहे थे बल्कि अच्छा व्यवसाय भी कर रहे थे।

"छीपा" शब्द उतना ही पुराना है, जितना रंगाई और छपाई का इतिहास। रंगाई और छपाई की कला का जन्म भारत से होकर दुनिया के तमाम देशों तक प्रचलित हुआ। पुरातन समय में सामाजिक और आर्थिक प्रतिष्ठा के साथ छीपा शिल्पी न केवल अपनी कला में निखार ला रहे थे बल्कि अच्छा व्यवसाय भी कर रहे थे।

ताल-तलैया वाला शहर - भोपाल
ताल-तलैया वाला शहर - भोपाल

By Anulata Raj Nair

हर शहर का अपना नॉस्टैल्जिया होता है। लोग जब उस शहर की बात करते हैं तो वहां की भाषा वहां के लहजे की बात होती हैं, वहां के खानपान, गालियों, इमारतों का ज़िक्र छिड़ता है। पर अगर भोपाल की बात हो तो यहाँ के ताल की बात होती है।

हर शहर का अपना नॉस्टैल्जिया होता है। लोग जब उस शहर की बात करते हैं तो वहां की भाषा वहां के लहजे की बात होती हैं, वहां के खानपान, गालियों, इमारतों का ज़िक्र छिड़ता है। पर अगर भोपाल की बात हो तो यहाँ के ताल की बात होती है।

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