एक एफपीओ की मदद से सूखा प्रभावित सोलापुर में किसान करने लगे हैं गुलाब की खेती
एक एफपीओ की मदद से सूखा प्रभावित सोलापुर में किसान करने लगे हैं गुलाब की खेती

By Shrinivas Deshpande

सूखा प्रभावित सोलापुर जिले के किसानों की जिंदगी में तब बदलाव आया जब उन्होंने 385 सदस्यों वाली खंडोबा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के साथ गुलाब की खेती करने का फैसला किया। एफपीओ गुलाब खरीदने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करता है और रोजाना 1,000 लीटर गुलाब जल का उत्पादन भी करता है।

सूखा प्रभावित सोलापुर जिले के किसानों की जिंदगी में तब बदलाव आया जब उन्होंने 385 सदस्यों वाली खंडोबा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के साथ गुलाब की खेती करने का फैसला किया। एफपीओ गुलाब खरीदने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करता है और रोजाना 1,000 लीटर गुलाब जल का उत्पादन भी करता है।

बस कुछ मिनट में हो जाएगी मिट्टी की जांच, अब नहीं करना होगा लंबा इंतजार
बस कुछ मिनट में हो जाएगी मिट्टी की जांच, अब नहीं करना होगा लंबा इंतजार

By Shrinivas Deshpande

कर्नाटक में कई किसान कृषि तंत्र की मोबाइल मृदा परीक्षण यूनिट का इस्तेमाल कर रहे हैं। 'कृषि रास्ता', एक पोर्टेबल स्वचालित प्रणाली, इनपुट के रूप में मिट्टी का उपयोग करती है जिसके बाद यह 45 मिनट के भीतर सभी सूक्ष्म पोषक तत्वों की रिपोर्ट उपलब्ध करा देती है।

कर्नाटक में कई किसान कृषि तंत्र की मोबाइल मृदा परीक्षण यूनिट का इस्तेमाल कर रहे हैं। 'कृषि रास्ता', एक पोर्टेबल स्वचालित प्रणाली, इनपुट के रूप में मिट्टी का उपयोग करती है जिसके बाद यह 45 मिनट के भीतर सभी सूक्ष्म पोषक तत्वों की रिपोर्ट उपलब्ध करा देती है।

A Bed of Roses in Drought-Prone Solapur
A Bed of Roses in Drought-Prone Solapur

By Shrinivas Deshpande

Khandoba Farmer Producer Company, with 385 members, has empowered farmers to grow roses in semi-arid Solapur district of Maharashtra. The FPO offers a minimum support price to buy roses and also daily produces 1,000 litres of gulab jal.

Khandoba Farmer Producer Company, with 385 members, has empowered farmers to grow roses in semi-arid Solapur district of Maharashtra. The FPO offers a minimum support price to buy roses and also daily produces 1,000 litres of gulab jal.

Back From The Brink: Maharashtra's Handwoven Ghongadi Blanket
Back From The Brink: Maharashtra's Handwoven Ghongadi Blanket

By Shrinivas Deshpande

Ghongadi blankets were once considered the pride of tribal communities in Maharashtra. Rough in texture, the woollen blankets are woven on pit looms and then dyed with organic and natural dyes. An initiative is reviving this traditional craft and enhancing the livelihoods of the weavers.

Ghongadi blankets were once considered the pride of tribal communities in Maharashtra. Rough in texture, the woollen blankets are woven on pit looms and then dyed with organic and natural dyes. An initiative is reviving this traditional craft and enhancing the livelihoods of the weavers.

एक छोटी सी पहल से घोंगडी कंबल को बढ़ावा देने के साथ ही बुनकरों को मिला बेहतर आजीविका का जरिया
एक छोटी सी पहल से घोंगडी कंबल को बढ़ावा देने के साथ ही बुनकरों को मिला बेहतर आजीविका का जरिया

By Shrinivas Deshpande

घोंगडी कंबल को कभी महाराष्ट्र में आदिवासी समुदायों के लिए फख्र की निशानी थी। बनावट में खुरदरे, ऊनी कंबल पिट लूम पर बुने जाते हैं और फिर इन कंबलों को जैविक और प्राकृतिक रंगों से रंगा जाता है। इस पारंपरिक दस्तकारी को जिंदा करने और बुनकरों की आजीविका को बढ़ाने के लिए एक पहल की जा रही है।

घोंगडी कंबल को कभी महाराष्ट्र में आदिवासी समुदायों के लिए फख्र की निशानी थी। बनावट में खुरदरे, ऊनी कंबल पिट लूम पर बुने जाते हैं और फिर इन कंबलों को जैविक और प्राकृतिक रंगों से रंगा जाता है। इस पारंपरिक दस्तकारी को जिंदा करने और बुनकरों की आजीविका को बढ़ाने के लिए एक पहल की जा रही है।

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