इस साल क्या पूरा हो पाएगा सामान्य मानसून का अनुमान?
इस साल क्या पूरा हो पाएगा सामान्य मानसून का अनुमान?

By Suvigya Jain

सिंचाई के लिए पानी की चिंता के मायने, अब तक अच्छी बारिश लेकिन गर्मियों के पानी सुरक्षित है क्या?
सिंचाई के लिए पानी की चिंता के मायने, अब तक अच्छी बारिश लेकिन गर्मियों के पानी सुरक्षित है क्या?

By Suvigya Jain

पानी की समस्या: पिछले साल ठीक-ठीक मानसून के बाद भी कुछ ही महीनों में आधा देश सूखे की चपेट में आ गया था। शायद इस बात को भारतीय नीतिकार भी अब समझने लगे हैं। उन्हें समझ में आने लगा है कि अच्छी बारिश पानी को लेकर निश्चिन्तता नहीं ला पा रही है।

पानी की समस्या: पिछले साल ठीक-ठीक मानसून के बाद भी कुछ ही महीनों में आधा देश सूखे की चपेट में आ गया था। शायद इस बात को भारतीय नीतिकार भी अब समझने लगे हैं। उन्हें समझ में आने लगा है कि अच्छी बारिश पानी को लेकर निश्चिन्तता नहीं ला पा रही है।

जरूरत है एक और हरित क्रांति की, जो बढ़ाए खाद्यान्नों की गुणवत्ता
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By Suvigya Jain

दिल्ली के बहाने नए सिरे से प्रदूषण की चिंता और सरकारी उपाय
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By Suvigya Jain

शोधकार्यों को लोग और सरकारें इतना खर्चीला समझती है कि वे इसे जान कर भी अनदेखा करती रहती हैं। लेकिन अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग बढाया जाए तो जिस तरह से ओज़ोन लेयर को नुकसान पहुँचाने वाले क्लोरोफ्लोरो कार्बन के एमिशन (उत्सर्जन) को कम करने में सभी देशों ने भूमिका निभाई थी वैसे ही पर्यावरण की दूसरी समस्याओं से भी सही नीतियों के ज़रिए निपटा जा सकता है।

शोधकार्यों को लोग और सरकारें इतना खर्चीला समझती है कि वे इसे जान कर भी अनदेखा करती रहती हैं। लेकिन अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग बढाया जाए तो जिस तरह से ओज़ोन लेयर को नुकसान पहुँचाने वाले क्लोरोफ्लोरो कार्बन के एमिशन (उत्सर्जन) को कम करने में सभी देशों ने भूमिका निभाई थी वैसे ही पर्यावरण की दूसरी समस्याओं से भी सही नीतियों के ज़रिए निपटा जा सकता है।

किसान पर किसी बड़ी हस्ती की नज़र का इंतज़ार
किसान पर किसी बड़ी हस्ती की नज़र का इंतज़ार

By Suvigya Jain

किसान की बदहाली का एक अप्रत्यक्ष कारण यह कुप्रचार भी है कि किसान के उत्पाद का दाम बढ़ाए जाने से महंगाई बढ़ती है। यानी महंगाई रोकने का बोझ भी मरणासन्न किसान पर लदा है। बहरहाल किसान से जुड़े ये मुद्दे न तो हाल ही में होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव प्रचार में सुनाई दे रहे हैं ना ही किसी दूसरे मंच से इन्हें उठाया जा रहा है। इसीलिए मीडिया का भी इस तरफ ध्यान नहीं है।

किसान की बदहाली का एक अप्रत्यक्ष कारण यह कुप्रचार भी है कि किसान के उत्पाद का दाम बढ़ाए जाने से महंगाई बढ़ती है। यानी महंगाई रोकने का बोझ भी मरणासन्न किसान पर लदा है। बहरहाल किसान से जुड़े ये मुद्दे न तो हाल ही में होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव प्रचार में सुनाई दे रहे हैं ना ही किसी दूसरे मंच से इन्हें उठाया जा रहा है। इसीलिए मीडिया का भी इस तरफ ध्यान नहीं है।

बजट से कुछ भी नया नहीं चाह रहे किसान
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By Suvigya Jain

इस समय भारतीय कृषि के कई उत्पाद अपने बाज़ार ढूंढ पाने में असमर्थ दिख रहे हैं, कई ऐसे उत्पाद हैं जो अधिशेष होने की वजह से अब देश के अंदर नहीं बेचे जा सकते

इस समय भारतीय कृषि के कई उत्पाद अपने बाज़ार ढूंढ पाने में असमर्थ दिख रहे हैं, कई ऐसे उत्पाद हैं जो अधिशेष होने की वजह से अब देश के अंदर नहीं बेचे जा सकते

घोषणापत्रों में ऊपर आते किसानों के मुद्दों का विश्लेषण भी होना चाहिए
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By Suvigya Jain

नई सरकार पर टकटकी लगाये बैठा किसान
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By Suvigya Jain

जैविक उत्पादों की बढती मांग को देखते हुए 20 लाख हेक्टेयर ज़मीन पर जैविक खेती को बढ़ावा देने का वायदा उतना बड़ा भले न हो, लेकिन इस तरह की खेती की जटिलता का मसला आड़े जरूर आएगा

जैविक उत्पादों की बढती मांग को देखते हुए 20 लाख हेक्टेयर ज़मीन पर जैविक खेती को बढ़ावा देने का वायदा उतना बड़ा भले न हो, लेकिन इस तरह की खेती की जटिलता का मसला आड़े जरूर आएगा

अभिजीत बनर्जी को क्यों मिला अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार
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By Suvigya Jain

बजट से पहले चर्चा में कृषि का आना शुभ संकेत
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By Suvigya Jain

देश की मौजूदा माली हालत के नजरिए से भी कृषि क्षेत्र की अहमियत को समझा जाना चाहिए। यह भी देखा जा सकता है कि देश की आर्थिकी में कृषि का योगदान कम नहीं होता।

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