बेवक़्त बारिश से बुंदेलखंड का किसान फिर तबाह
Suvigya Jain | Sep 27, 2019, 12:38 IST
एक हफ्ता और बाकी है यानी कुछ पता नहीं है कि देश में बारिश का आखिरी आंकड़ा क्या निकल कर आता है। बहरहाल, इस समय बुंदेलखंड के किसान बेवक्त मौसम की मार से बर्बाद हुई फसल के मारे परेशान हैं। वे जल्द ही नुकसान का आकलन और मुआवजा मांग रहे हैं।
बुंदेलखंड में इस बार बारिश की कमी नहीं रही तो बेवक्त बारिश ने तबाही मचा दी। और ऐसी बर्बादी हो गई कि दलहन और तिलहन के किसान सूखे जैसे हालात में ही पहुंच गए। बुंदेलखंड के किसानों की समस्या को नए सिरे से समझना पड़ रहा है।
इस बार कुछ ऐसा ही हुआ था लेकिन जिन किसानों ने तिल, मूंगफली, उड़द, मूंग बो कर ज्यादा दांव लगाया था वे अब बुरी तरह हार रहे हैं। बैमौसम बारिश ने इन फसलों को तबाह कर दिया है। इतना ही नहीं कई फसलों को पीला मोजेक यानी पीला चितेरी रोग ने अपनी चपेट में ले लिया।
अपनी व्यथा कहे भी तो किससे?
हालत ये है कि बुंदेलखंड का बदहाल किसान अपनी ये व्यथा कहे भी तो किससे? हालांकि ये किसान अपनी व्यथा अपने किसान नेताओं को बुला कर उनसे कह रहे हैं। मसलन बुंदेलखंड के किसान नेता शिव नारायण सिंह परिहार उन इलाकों की हालत मीडिया को बता रहे हैं कि इस वक्त किसान किस मुश्किल में हैं।
यह भी पढ़ें : सरकार, गाँव को कब मिलेगा राहत पैकेज?
इन किसानों ने 24 सिंतबर को उत्तर प्रदेश के ब्लाक बंगरा के कुआं गाँव सियावनी में मिल बैठ कर चौपाल लगाई और प्रदेश सरकार से मांग की कि जल्द से जल्द खेत दर खेत सर्वेक्षण कराया जाए और नुकसान का आंकलन कराया जाए। उन्होंने मांग की है कि उन्हें समय से वाजिब मुआवजा दिलाया जाए वरना ये किसान आगे खेती का कोई भी काम करने लायक नहीं बचेंगे।
चौपाल में शामिल हुए दस गाँव के किसान
340651-dsc0275-scaled
इसी बीच आज 25 सितंबर को झांसी जिले के ही सुहागी बम्हौरी गाँव में किसानों ने एक सभा की। इस चौपाल में भी आसपास के दस गाँव के किसान जमा हुए। लगभग सभी ने बारिश के कहर से हुए नुकसान का ब्योरा दिया।
यह भी पढ़ें : सिंचाई के लिए पानी की चिंता के मायने, अब तक अच्छी बारिश लेकिन गर्मियों के पानी सुरक्षित है क्या?
पहले छुट्टा जानवर, फिर बारिश से परेशान
इस बार बुंदेलखंड के किसानों ने पहले छुट्टा जानवरों की समस्या झेली और रात भर जाग-जाग कर किसी तरह अपनी फसल बचाई तो उसके बाद बेवक्त बारिश से तबाह हो गए।
उनका कहना है कि इस समस्या के चलते खेती करना लगभग नामुमकिन हो गया है। जानवरों से फसल के बचाव के लिए किसानों को ज्यादा ही खर्च करना पड़ रहा है। ऊपर से बुंदेलखंड में कभी सूखा और कभी बेवक़्त बारिश खेती नहीं करने दे रही। किसान कर्ज से लदते ही चले जा रहे हैं।
अभी दो महीने पहले ही जुलाई में यह क्षेत्र सूखे की चपेट में था और विपत्ति के उन्हीं दिनों में बांदा, महोबा और हमीरपुर जिले में किसान आत्महत्याओं की घटनाएं बढ़ रही थीं। यह वह समय था जब किसानों से कर्ज वसूली के लिए बैंकों के नोटिस आ रहे थे।
नोटिस का दबाव किसान झेल नहीं पाए
340652-dsc9034-scaled
किसान नेता बताते हैं ये इन नोटिस का दबाब किसान झेल नहीं पाए। इसी दौरान बिजली के बिलों को देखकर भी किसानों में हौका बैठा हुआ है।
इस क्षेत्र में मौजूदा हालात के अलावा एक और बात इस समय दर्ज की जानी चाहिए। वह ये कि बुंदेलखंड में इस बार बेवक्त बारिश के कहर ने मौसम विभाग की भविष्यवाणियों पर सवालिया निशान लगा दिया है।
सरकारी विभाग ज्यादा बारिश से खुश
इस बार मौसम विभाग और दूसरे सरकारी विभाग देश में औसत से ज्यादा बारिश होने से खुश हैं। ये अलग बात है कि अनुमान औसत से कुछ कम बारिश का था। बीती 25 दिसंबर तक का हिसाब देखें तो देश में औसत से पांच फीसदी ज्यादा पानी बरस चुका है।
एक हफ्ता और बाकी है यानी कुछ पता नहीं है कि देश में बारिश का आखिरी आंकड़ा क्या निकल कर आता है। बहरहाल, इस समय बुंदेलखंड के किसान बेवक्त मौसम की मार से बर्बाद हुई फसल के मारे परेशान हैं। वे जल्द ही नुकसान का आकलन और मुआवजा मांग रहे हैं।
(लेखिका प्रबंधन प्रौद्योगिकी की विशेषज्ञ और सोशल ऑन्त्रेप्रनोर हैं। ये उनके अपने विचार हैं।)