By Umesh Kumar Ray
इस साल चमकी बुखार का काफी कम प्रकोप देखने को मिल रहा है। बिहार स्वास्थ्य विभाग की तरफ से हासिल किए गए आंकड़ों के मुताबिक, पहली जनवरी से 22 जून तक बिहार में एईएस के कुल 92 मामले सामने आए, जिनमें से 11 बच्चों की मौत हुई। पिछले साल यह संख्या 130 थी।
इस साल चमकी बुखार का काफी कम प्रकोप देखने को मिल रहा है। बिहार स्वास्थ्य विभाग की तरफ से हासिल किए गए आंकड़ों के मुताबिक, पहली जनवरी से 22 जून तक बिहार में एईएस के कुल 92 मामले सामने आए, जिनमें से 11 बच्चों की मौत हुई। पिछले साल यह संख्या 130 थी।
By Umesh Kumar Ray
मृतकों में ज्यादातर किसान और खेतिहर मजदूर थे और घटना के वक्त खेतों में काम कर रहे थे। हाल के वर्षों में एक दिन में वज्रपात से इतनी मौतें पहली बार हुई हैं।
मृतकों में ज्यादातर किसान और खेतिहर मजदूर थे और घटना के वक्त खेतों में काम कर रहे थे। हाल के वर्षों में एक दिन में वज्रपात से इतनी मौतें पहली बार हुई हैं।
By Umesh Kumar Ray
टापू के लोगों की जिंदगी तमाम तरह की दुश्वारियों से भरी हुई है। वे मेनलैंड तक उन्हीं वक्तों में जा सकते हैं, जब ज्वार आया हुआ हो। शाम ढलने के बाद उन्हें टापू में कैद हो जाना पड़ता है क्योंकि शाम के बाद नावें नहीं चलती हैं। टापुओं में अच्छा अस्पताल नहीं है। रोजगार के साधन नहीं हैं। लोगों के पास पर्याप्त जमीन भी नहीं है, नतीजतन पलायन भी खूब होता है।
टापू के लोगों की जिंदगी तमाम तरह की दुश्वारियों से भरी हुई है। वे मेनलैंड तक उन्हीं वक्तों में जा सकते हैं, जब ज्वार आया हुआ हो। शाम ढलने के बाद उन्हें टापू में कैद हो जाना पड़ता है क्योंकि शाम के बाद नावें नहीं चलती हैं। टापुओं में अच्छा अस्पताल नहीं है। रोजगार के साधन नहीं हैं। लोगों के पास पर्याप्त जमीन भी नहीं है, नतीजतन पलायन भी खूब होता है।
By Umesh Kumar Ray
दुलारी देवी को बिहार की मशहूर लोककला मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया। कर्पूरी देवी और महासुंदरी देवी के यहां बर्तन धोने व झाड़ू-पोंछा करने के दौरान ही उन्होंने पेंटिंग सीखना शुरु किया था। उनका जीवन और इस मुकाम तक पहुंचना किसी कहानी के जैसा ही है।
दुलारी देवी को बिहार की मशहूर लोककला मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया। कर्पूरी देवी और महासुंदरी देवी के यहां बर्तन धोने व झाड़ू-पोंछा करने के दौरान ही उन्होंने पेंटिंग सीखना शुरु किया था। उनका जीवन और इस मुकाम तक पहुंचना किसी कहानी के जैसा ही है।
By Umesh Kumar Ray
पेयजल की समस्या को खत्म करने के लिए बिहार सरकार ने मोकामा के पास से गंगा का पानी 190 किलोमीटर दूर नालंदा और गया ले जाने का निर्णय लिया है, लेकिन इस पर कई सवाल भी उठ रहे हैं। जानकार इस प्रोजेक्ट को अव्यावहारिक मान रहे हैं, तो दूसरी तरफ इससे गंगा की परिस्थितिकी और डॉल्फिन पर भी खतरे की आशंका है।
पेयजल की समस्या को खत्म करने के लिए बिहार सरकार ने मोकामा के पास से गंगा का पानी 190 किलोमीटर दूर नालंदा और गया ले जाने का निर्णय लिया है, लेकिन इस पर कई सवाल भी उठ रहे हैं। जानकार इस प्रोजेक्ट को अव्यावहारिक मान रहे हैं, तो दूसरी तरफ इससे गंगा की परिस्थितिकी और डॉल्फिन पर भी खतरे की आशंका है।
By Umesh Kumar Ray
बिना किसी गारंटी और कागजात के 'तुरंत' देने वाले चाइनीज ऐप के मकड़जाल में फंसकर दिल्ली के एक युवक ने आत्महत्या कर ली, वहीं बिहार के एक युवक को 3500 रूपये के लोन के बदले 5 लाख चुकाने पड़े। तुरंत लोन के चक्कर में हजारों लोग इनके झांसे में आकर बड़ी कीमत चुका रहे हैं।
बिना किसी गारंटी और कागजात के 'तुरंत' देने वाले चाइनीज ऐप के मकड़जाल में फंसकर दिल्ली के एक युवक ने आत्महत्या कर ली, वहीं बिहार के एक युवक को 3500 रूपये के लोन के बदले 5 लाख चुकाने पड़े। तुरंत लोन के चक्कर में हजारों लोग इनके झांसे में आकर बड़ी कीमत चुका रहे हैं।
By Umesh Kumar Ray
बिहार का मोकामा टाल दाल का कटोरा कहा जाता है और यहां पर मसूर, चना, मटर सहित कई किस्म की दालें उगती हैं। लेकिन बीते कुछ सालों में गंगा में बढ़ रहे गाद के कारण यहां के खेतों में अक्टूबर के अंत तक बाढ़ का पानी रूका रहता है, जिससे बुआई में समस्या होती है।
बिहार का मोकामा टाल दाल का कटोरा कहा जाता है और यहां पर मसूर, चना, मटर सहित कई किस्म की दालें उगती हैं। लेकिन बीते कुछ सालों में गंगा में बढ़ रहे गाद के कारण यहां के खेतों में अक्टूबर के अंत तक बाढ़ का पानी रूका रहता है, जिससे बुआई में समस्या होती है।
By Umesh Kumar Ray
बिहार में हर साल लगभग 80 लाख टन धान की पैदावार होती है, लेकिन मुश्किल से 20 प्रतिशत की ही सरकारी खरीद हो पाती है। एजेंट कम मूल्य पर छोटे किसानों से धान खरीदते हैं और इसे पंजाब की मंडियों में बेच देते हैं।
बिहार में हर साल लगभग 80 लाख टन धान की पैदावार होती है, लेकिन मुश्किल से 20 प्रतिशत की ही सरकारी खरीद हो पाती है। एजेंट कम मूल्य पर छोटे किसानों से धान खरीदते हैं और इसे पंजाब की मंडियों में बेच देते हैं।
By Umesh Kumar Ray
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बिहार में बागमती नदी का बहुत कम ही हिस्सा है, जिस पर तटबंध नहीं बना है और मुक्त बहाव है। मुजफ्फरपुर जिले के इस हिस्से के किसान राज्य सरकार के उस प्रस्ताव के खिलाफ हैं, जिसमें सरकार इस मुक्त हिस्से में भी तटबंध बनाना चाहती है। उन्हें डर है कि इससे क्षेत्र में बाढ़ के हालात और बदतर होंगे व उनके खेतों को और नुकसान होगा।
बिहार में बागमती नदी का बहुत कम ही हिस्सा है, जिस पर तटबंध नहीं बना है और मुक्त बहाव है। मुजफ्फरपुर जिले के इस हिस्से के किसान राज्य सरकार के उस प्रस्ताव के खिलाफ हैं, जिसमें सरकार इस मुक्त हिस्से में भी तटबंध बनाना चाहती है। उन्हें डर है कि इससे क्षेत्र में बाढ़ के हालात और बदतर होंगे व उनके खेतों को और नुकसान होगा।