नार्थ-ईस्ट और केरल के बाद अब उत्तराखंड में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से हुई सुअरों की मौत, पशुपालन विभाग कर रहा है जागरूक
देश की एक बड़ी आबादी पशुपालन से जुड़ी है, आए दिन किसी न परेशानी से उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में अब उत्तराखंड राज्य में सुअरों में फैल रही अफ्रीकन स्वाइन फीवर के संक्रमण ने पशुपालकों की चिंता बढ़ा दी है।
Divendra Singh 30 July 2022 11:28 AM GMT

उत्तराखंड में संक्रमित पशु का इलाज करते पशु चिकित्सक।
नार्थ-ईस्ट के कई राज्यों में तबाही मचाने वाला अफ्रीकन स्वाइन फीवर उत्तराखंड में पहुंच गया है, इस बीमारी के संक्रमण से प्रदेश में अब तक 400 से अधिक सुअरों की मौत भी हो गई। इस बीमारी से बचाने के लिए पशुपालन विभाग जागरूकता अभियान भी चला रहा है।
साल 2020-21 में असम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश जैसे कई राज्यों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने तबाही मचाई थी। लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है जब इस बीमारी को उत्तराखंड में देखा गया है। बरेली स्थित भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान में सुअरों के सैंपल भेजे गए, जहां पर अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि हुई।
पशुपालन विभाग, उत्तराखंड के संयुक्त निदेशक (रोग नियंत्रण) डॉ देवेंद्र शर्मा ने गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "उत्तराखंड में सबसे पहला केस जून में देखा गया था, अब सुअरों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर का संक्रमण पौड़ी, देहरादून, नैनीताल और उधमसिंह नगर जैसे जिलों में पहुंच गया है।"
वो आगे कहते हैं, "अफ्रीकन स्वाइन फीवर का संक्रमण पहली बार उत्तराखंड में देखा गया है, जिस फार्म पर संक्रमण दिखा है, वहां से आवाजाही रोक दी गई है। अभी 514 सुअर संक्रमित हैं, जबकि 491 सुअर की मौत भी हो गई है।"
ऊधमसिंहनगर में अफ्रीकन स्वाइन फीवर (#ASF) की निरीक्षण व निगरानी के दृष्टिगत 165 सूकर पशु Isolation में रखे गए हैं । 8 सैंपल लैब जॉच हेतु प्रेषित किए गए।@cvousn @drsbpandey#PashudhanUK #Uttarakhand #AfricanSwineFever #AnimalHealth pic.twitter.com/qBeoXvB0lR
— Department of Animal Husbandry, Dairy & Fisheries (@pashudhanUK) July 29, 2022
अफ्रीकन स्वाइन फीवर के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए संक्रमित सुअरों को मार दिया जाता है, जिसके बाद पशुपालकों को मुआवजा दिया जाता है।। सुअरों को मारने वाले मुआवजे में 50 प्रतिशत केंद्र और 50 प्रतिशत राज्य सरकार देती है। केंद्र सरकार ने सुअरों के लिए अलग-अलग मुआवजा निर्धारित किया है। छोटे सुअर जिनका वजन 15 किलो तक होगा, उनके लिए 2200 रुपए, 15 से 40 किलो वजन के सुअर के लिए 5800 रुपए, 40 से 70 किलो वजन के सुअर के लिए 8400 रुपए और 70 से 100 किलो तक के सुअर को मारने पर 12000 हजार रुपए दिया जाता है।
"उत्तराखंड में अब 12 पशुओं की कलिंग की गई है, अगर ऐसे ही संक्रमण बढ़ता रहा तो और पशुओं को मार दिया जाएगा, जिसका मुआवजा दिया जाएगा, "डॉ देवेंद्र शर्मा ने आगे कहा।
20वीं पशुगणना के आंकड़े बताते हैं कि ऐसे में जब पूरे देश में सुअरों की संख्या में कमी आयी थी। 19वीं पशुगणना के अनुसार देश में सुअरों की आबादी 103 करोड़ थी, जो 20वीं पशुगणना के दौरान घटकर 91 करोड़ हो गई। पशुगणना के अनुसार, उत्तराखंड में सूकरों की संख्या लगभग 38.785 है।
नार्थ-ईस्ट के असम, नागालैंड जैसों राज्यों में 2020 और 2021 में भी अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने तबाही मचायी थी, कुछ ही महीनों में बहुत से फार्म वीरान हो गए थे। असम में जनवरी-फरवरी, 2020 में अफ्रीकन स्वाइन फीवर का पता चला था। देखते ही देखते अप्रैल तक शिवसागर, धेमाजी, लखीमपुर, बिस्वनाथ चारली, डिब्रुगढ़ और जोरहट जिलों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर संक्रमण बढ़ गया। नॉर्थईस्ट प्रोग्रेसिव पिग फ़ार्मर्स एसोसिएशन के अनुसार ये संख्या कहीं ज़्यादा थी। एसोसिएशन के अनुसार प्रदेश में इस संक्रमण से अब तक 10 लाख से अधिक सुअरों की मौत हुई थी।
जनपद चमोली में पशुचिकित्साधिकारी गोपेश्वर डॉ शीबा हुसैन के द्वारा सुकर प्रजाति के पशुओं में फैलने वाली बीमारी ASF के प्रति सुकर पशु स्वामियों को बीमारी से अवगत कराया गया तथा बीमारी से बचाव के लिए आवश्यक जानकारी दी गई। #PashudhanUK #Uttarakhand #AnimalHealth #africanswinefever pic.twitter.com/P3jDuHUFEH
— Department of Animal Husbandry, Dairy & Fisheries (@pashudhanUK) July 30, 2022
पशुपालकों को जागरूक कर रहा है अफ्रीकन स्वाइन फीवर
अफ्रीकन स्वाइन फीवर के संक्रमण से सुअरों को बचाने के लिए पशुपालन विभाग गाँव-गाँव जाकर पशुपालकों को जागरूक कर रहा है। उन्हें बताया जा रहा है कि किस तरह से अपने पशुओं को इस बीमारी के संक्रमण से बचा सकते हैं।
केरल के वायनाड में भी हुई है अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि
केरल के वायनाड में भी अफ्रीकन स्वाइन फीवर के केस मिले हैं। वायनाड जिले के मनंतवाडी इलाके में मौजूद सूअरों में अफ्रीकी स्वाइन बुखार की पुष्टि हुई है। इस बीमारी की पुष्टि भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (एनआईएचएसएडी) ने की थी। जिले के थविन्हल पंचायत के एक खेत में 43 सुअर और जिले के थविन्हल पंचायत के एक खेत में एक सुअर की मौत हो गई। पंचायत के खेत में 300 सुअर हैं।
दूसरे कई देशों में भी हुई हजारों सुअरों की मौत
भारत के साथ ही पिछले कुछ सालों में दूसरे कई देशों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से सुअरों की मौत हुई थी। खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार, मंगोलिया, चीन, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, फीलीपिंस, इंडोनेसिया, मलेशिया जैसे दूसरे कई देशों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की वजह से सुअरों की मौत हुई।
क्या है अफ्रीकन स्वाइन बुखार
अफ्रीकन स्वाइन फीवर एक अत्यधिक संक्रामक और खतरनाक पशु रोग है, जो घरेलू और जंगली सुअरों को संक्रमित करता है। इसके संक्रमण से सुअर एक प्रकार के तीव्र रक्तस्रावी बुखार से पीड़ित होते हैं। इस बीमारी को पहली बार 1920 के दशक में अफ्रीका में देखा गया था। इस रोग में मृत्यु दर 100 प्रतिशत के करीब होती है और इस बुखार का अभी तक कोई इलाज नहीं है। इसके संक्रमण को फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका जानवरों को मारना है। वहीं, जो लोग इस बीमारी से ग्रसित सुअरों के मांस का सेवन करते हैं उनमें तेज बुखार, अवसाद सहित कई गंभीर समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
Also Read: राजस्थान, गुजरात जैसे कई राज्यों में लम्पी स्किन डिजीज से हो रही पशुओं की मौत, पशुपालकों के सामने आजीविका का संकट
african swine fever #pig farming #Uttarakhad #story
More Stories