By Gaon Connection
मेहसाणा के लुनासन गाँव में एक किसान ने खेती को जंगल में बदल दिया और जंगल की तरह खेती को। अमोल खडसरे ने पर्माकल्चर मॉडल अपनाते हुए 1000 से अधिक पेड़-पौधों, औषधियों, सब्जियों और जंगली घासों को एक साथ उगाया, बिना केमिकल, बिना तनाव और बिना अत्यधिक पानी के। आज उनका खेत सिर्फ कृषि उत्पादन नहीं, बल्कि एक जीवित इकोसिस्टम है
मेहसाणा के लुनासन गाँव में एक किसान ने खेती को जंगल में बदल दिया और जंगल की तरह खेती को। अमोल खडसरे ने पर्माकल्चर मॉडल अपनाते हुए 1000 से अधिक पेड़-पौधों, औषधियों, सब्जियों और जंगली घासों को एक साथ उगाया, बिना केमिकल, बिना तनाव और बिना अत्यधिक पानी के। आज उनका खेत सिर्फ कृषि उत्पादन नहीं, बल्कि एक जीवित इकोसिस्टम है
By Divendra Singh
By Gaon Connection
बुंदेलखंड की सूखी ज़मीन से उगी है एक ऐसी कहानी जिसने हजारों महिलाओं की ज़िंदगी बदल दी। 2019 में शुरू हुई बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी आज 63,000 से ज़्यादा महिलाओं को रोज़गार, आत्मनिर्भरता और सम्मान दे रही है और पूरे क्षेत्र की आर्थिक तस्वीर बदल रही है।
बुंदेलखंड की सूखी ज़मीन से उगी है एक ऐसी कहानी जिसने हजारों महिलाओं की ज़िंदगी बदल दी। 2019 में शुरू हुई बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी आज 63,000 से ज़्यादा महिलाओं को रोज़गार, आत्मनिर्भरता और सम्मान दे रही है और पूरे क्षेत्र की आर्थिक तस्वीर बदल रही है।
By Gaon Connection
गोवा की पहाड़ियों में एक किसान पिछले 38 सालों से नंगे पाँव प्राकृतिक खेती कर रहा है- बिना जुताई, बिना केमिकल, बिना पेड़ काटे। संजय पाटिल ने 10 एकड़ जंगल को खेती में बदल दिया और साबित किया कि प्रकृति को न छेड़ें, तो वह दोगुना लौटाती है।
गोवा की पहाड़ियों में एक किसान पिछले 38 सालों से नंगे पाँव प्राकृतिक खेती कर रहा है- बिना जुताई, बिना केमिकल, बिना पेड़ काटे। संजय पाटिल ने 10 एकड़ जंगल को खेती में बदल दिया और साबित किया कि प्रकृति को न छेड़ें, तो वह दोगुना लौटाती है।
By Divendra Singh
छत्तीसगढ़ की जनजातीय वैद्य सरोजिनी पनिका पारंपरिक औषधीय ज्ञान को न सिर्फ़ जिंदा रख रही हैं, बल्कि उसे आधुनिक वैज्ञानिक समझ से जोड़कर ग्रामीण महिलाओं के लिए आजीविका के नए रास्ते खोल रही हैं। लुप्तप्राय औषधीय पौधों की खेती से लेकर 200 महिलाओं के हर्बल यूनिट तक, उनकी कहानी परंपरा, जंगल और आत्मनिर्भरता की अनोखी मिसाल है।
छत्तीसगढ़ की जनजातीय वैद्य सरोजिनी पनिका पारंपरिक औषधीय ज्ञान को न सिर्फ़ जिंदा रख रही हैं, बल्कि उसे आधुनिक वैज्ञानिक समझ से जोड़कर ग्रामीण महिलाओं के लिए आजीविका के नए रास्ते खोल रही हैं। लुप्तप्राय औषधीय पौधों की खेती से लेकर 200 महिलाओं के हर्बल यूनिट तक, उनकी कहानी परंपरा, जंगल और आत्मनिर्भरता की अनोखी मिसाल है।
By Gaon Connection
राजस्थान–हरियाणा बॉर्डर के एक छोटे-से गाँव में एक सरपंच ने हॉकी स्टिक उठाई और पूरी पीढ़ी की ज़िंदगी बदल दी। नीरू यादव-हॉकी वाली सरपंच ने उन लड़कियों के सपनों को नई उड़ान दी, जो कभी घर की चारदीवारी में कैद थीं। बिना ग्राउंड, बिना किट और बिना सपोर्ट के शुरू हुआ यह सफ़र आज हज़ारों बेटियों को हिम्मत, उम्मीद और ड्रिबलिंग की असली शक्ति सिखा रहा है।
राजस्थान–हरियाणा बॉर्डर के एक छोटे-से गाँव में एक सरपंच ने हॉकी स्टिक उठाई और पूरी पीढ़ी की ज़िंदगी बदल दी। नीरू यादव-हॉकी वाली सरपंच ने उन लड़कियों के सपनों को नई उड़ान दी, जो कभी घर की चारदीवारी में कैद थीं। बिना ग्राउंड, बिना किट और बिना सपोर्ट के शुरू हुआ यह सफ़र आज हज़ारों बेटियों को हिम्मत, उम्मीद और ड्रिबलिंग की असली शक्ति सिखा रहा है।
By Madhu Sudan Chatterjee
बंगाल के जंगलमहल में आदिवासी लड़कियों ने आत्मरक्षा को हथियार बना लिया है। एक घटना ने जहां पूरे इलाके को झकझोरा, वहीं लड़कियों ने डर के बजाय लड़ने का रास्ता चुना। जानिए कैसे ये लड़कियां अपने हौसलों से उदाहरण बन रही हैं।
बंगाल के जंगलमहल में आदिवासी लड़कियों ने आत्मरक्षा को हथियार बना लिया है। एक घटना ने जहां पूरे इलाके को झकझोरा, वहीं लड़कियों ने डर के बजाय लड़ने का रास्ता चुना। जानिए कैसे ये लड़कियां अपने हौसलों से उदाहरण बन रही हैं।
By Divendra Singh
लखनऊ की इस बाग 352 से अधिक किस्मों के आम उगाते हैं एस.सी. शुक्ला, जिन्हें लोग ‘मैंगो मैन’ कहते हैं। आम उनके लिए सिर्फ फल नहीं, बल्कि संस्कृति, विज्ञान और भावनाओं का संगम हैं। हर साल उनकी आम प्रदर्शनी बिना किसी टिकट के लोगों को स्वाद, विरासत और विविधता का अनुभव देती है। जानिए उनके इस जुनून की कहानी।
लखनऊ की इस बाग 352 से अधिक किस्मों के आम उगाते हैं एस.सी. शुक्ला, जिन्हें लोग ‘मैंगो मैन’ कहते हैं। आम उनके लिए सिर्फ फल नहीं, बल्कि संस्कृति, विज्ञान और भावनाओं का संगम हैं। हर साल उनकी आम प्रदर्शनी बिना किसी टिकट के लोगों को स्वाद, विरासत और विविधता का अनुभव देती है। जानिए उनके इस जुनून की कहानी।
By Manvendra Singh
प्रदूषित खेती और बढ़ती बीमारियों के इस दौर में उत्तर प्रदेश के किसान प्रदीप दीक्षित ने एक अनोखा रास्ता चुना - प्राकृतिक खेती। पिछले 16 सालों से न उन्होंने कोई दवा खाई, न अपने खेतों में कोई रसायन डाला। उनके खेत अब ज़हरमुक्त हैं, मिट्टी फिर से ज़िंदा हो गई है और परिवार पूरी तरह स्वस्थ है। यह कहानी बताती है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो मिट्टी और जीवन दोनों को स्वस्थ बनाया जा सकता है- बिना ज़हर, बिना दवाई।
प्रदूषित खेती और बढ़ती बीमारियों के इस दौर में उत्तर प्रदेश के किसान प्रदीप दीक्षित ने एक अनोखा रास्ता चुना - प्राकृतिक खेती। पिछले 16 सालों से न उन्होंने कोई दवा खाई, न अपने खेतों में कोई रसायन डाला। उनके खेत अब ज़हरमुक्त हैं, मिट्टी फिर से ज़िंदा हो गई है और परिवार पूरी तरह स्वस्थ है। यह कहानी बताती है कि अगर इरादा मजबूत हो, तो मिट्टी और जीवन दोनों को स्वस्थ बनाया जा सकता है- बिना ज़हर, बिना दवाई।
By Gaon Connection
खुशबू ने सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि अपनी बहनों के सपनों के लिए भी एक लंबी लड़ाई लड़ी। पितृसत्तात्मक सोच, तानों और बंदिशों के खिलाफ डटकर खड़ी हुई, ताकि उसकी बहनें बिना डर अपने भविष्य की ओर बढ़ सकें। यह कहानी है एक ग्रामीण लड़की की, जिसने हिम्मत और जागरूकता से न सिर्फ अपने घर की सोच बदली, बल्कि पूरे समाज के लिए मिसाल बन गई।
खुशबू ने सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि अपनी बहनों के सपनों के लिए भी एक लंबी लड़ाई लड़ी। पितृसत्तात्मक सोच, तानों और बंदिशों के खिलाफ डटकर खड़ी हुई, ताकि उसकी बहनें बिना डर अपने भविष्य की ओर बढ़ सकें। यह कहानी है एक ग्रामीण लड़की की, जिसने हिम्मत और जागरूकता से न सिर्फ अपने घर की सोच बदली, बल्कि पूरे समाज के लिए मिसाल बन गई।
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By Manvendra Singh
By Gaon Connection
By Manish Mishra
By Manish Mishra
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By Gaon Connection