बीजेपी विधायक ने कहा-बांसुरी सुन ज्यादा दूध देंगी गाय, जानिए क्या कहता है विज्ञान?

Diti BajpaiDiti Bajpai   28 Aug 2019 5:44 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
बीजेपी विधायक ने कहा-बांसुरी सुन ज्यादा दूध देंगी गाय, जानिए क्या कहता है विज्ञान?

लखनऊ। हाल ही में असम के वरिष्‍ठ बीजेपी नेता दिलीप कुमार पॉल का बयान सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रहा है। दिलीप पॉल ने अपने एक बयान में कहा, "अगर भगवान कृष्ण की स्पेशल ट्यून में बांसुरी सुनाई जाए तो गाय कई गुना ज्यादा दूध दे सकती है, ये बात आधुनिक वैज्ञानिकों द्वारा साबित की जा चुकी है। ये प्राचीन विज्ञान है और इसकी तकनीक हम वापस लाने जा रहे हैं।"

उन्होंने यह भी कहा, ''मैं वैज्ञानिक नहीं हूं लेकिन भारतीय परंपरा के अध्ययन के आधार पर कह सकता हूं कि वैज्ञानिकों ने इस पर विश्वास करना शुरू कर दिया है।''

कृष्ण की बांसुरी तो नहीं लेकिन कई किसानअपनी डेयरियों में संगीत बजाते हैं उनका कहना हैं कि इसका दुधारु पशुओं पर इसका सकारात्मक असर पड़ता है।

इसके साथ विदेशों में भी कई ऐसे अध्ययन हुए है जो संगीत और दुग्ध उत्पादन को जोड़ते हुए दिखाई पड़ते हैं। वर्ष 2001 में इंग्लैंड के लीस्टर विश्वविद्यालय के दो मनोवैज्ञानिकों के अध्ययन के मुताबिक जब गायें धीमा संगीत सुनती हैं तो उनकी दूध देने की क्षमता 3 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।


मध्य प्रदेश के चित्रकूट जिले में पशु वैज्ञानिक डॉ राम गोविंद वर्मा बताते हैं, "कई डेयरियों गाय या भैंस का दूध निकालते समय धीमी धुनों को बजाया जाता है इससे वह शांत महसूस करती हैं उनको किसी भी तरह का तनाव नहीं होता है और ज्यादा दूध देती है।"

डॉ गोविंद चित्रकूट जिले में स्थित पंडित दीनदयाल शोध संस्थान में वैज्ञानिक है। इस संस्थान में देसी नस्ल की गायों का संरक्षण और संर्वधन का काम किया जा रहा है।

यह भी पढ़ें- गाना सुनकर ज्यादा दूध देगी आपकी गाय

डॉ राम गोविंद वर्मा बताते हैं, "हमारे यहां 182 गाय है। जब इनका दूध निकाला जाता है तो धीमी धुन चला दी जाती है। धुन बजते ही वह खुद खड़ी हो जाती है और आसानी से दूध देती है। हमारे संस्थान में सुबह चार बजे से छह बजे तक और शाम को पांच बजे से लेकर सात बजे धीमी धुन चलाई जाती है।"

डॉ गोविंद द्वारा संस्थान में किए गए शोध के मुताबिक अगर रोजाना गाय या भैंस को धुन सुनाई जा रही है तो वह जितना दूध दे रही थी उतना ही देगी लेकिन अगर दूध निकालते समय उस धुन को न चलाया जाए तो दूध उत्पादन में असर पड़ता है अगर एक गाय चार लीटर दूध दे रही है तो वह आधा लीटर कम देगी और तनाव महसूस करेगी।

उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद् में पूर्व मुख्य कार्यकारीअधिकारी डॉ बीबीएस यादव बताते हैं, "जैसे लोगों को संगीत सुनकर काम करना अच्छा लगता है वैसा ही व्यवहार पशुओं का भी होता है। अगर धीमी आवाज में गाने बज रहे हो तो खुश होकर दूध देती है।"

यूपी के वाराणसी जिले से 25 किमी दूर करसड़ा गाँव में करीब साढ़े तीन एकड़ में गोकुल डेयरी फार्म बना हुआ है, जिसमें 200 पशु है। इस डेयरी फार्म में बड़े-बड़े म्यूजिक सिस्टम को लगाया गया है जब पशुओं का दूध दोहन किया जाता है तब धीमी-धीमी धुन मे गाने चलाए जाते है।


फार्म के मैनेजर शशिकांत मिश्रा ने बताते हैं, "अगर पशु तनाव में है तो इसका सीधा असर उसके दूध उत्पादन पर पड़ता है इसलिए पशुओं को स्वस्थ रखनें के लिए डेयरी में धीमी-धीमी धुन चलाई जाती है, जिससे पशुओं बहुत आराम महसूस होता है और वो आसानी से दूध दोहा जाता है इसके साथ ही पशु का रक्त संचार भी अच्छा रहता है।"

यह भी पढ़ें- इन फार्मूलों से डेयरी व्यवसाय को बना सकते हैं मुनाफे का सौदा

यहीं नहीं उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के कुंवरापुर गाँव में रहने वाली सुधा पांडेय की डेयरी और इसलिए अलग है क्योंकि उन्होंने गाय-भैसों को संगीत सुनाने का पूरा इंतजाम किया हुआ है। इनकी डेयरी में रोज सुबह और शाम गायों को सुनाने के लिए संगीत और भजन की धुन बजाई जाती है। सुधा बताती हैं, "काफी समय पहले सुना था कि गायों को संगीत एवं भजन काफी पसंद होते हैं। जब यह विधि को अपनाई तो उसका परिणाम काफी अच्छा निकला है।"


     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.