बजट 2018 : पशुपालन और मछली पालन के लिए भी मिलेगा किसान क्रेडिट कार्ड

Mithilesh DharMithilesh Dhar   1 Feb 2018 12:45 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
बजट 2018 : पशुपालन और मछली पालन के लिए भी मिलेगा किसान क्रेडिट कार्डमछली और पशुपालकों को मिलेगा लाभ।

वित्त मंत्री अरुण जेटली आम बजट 2018-19 पेश कर रहे हैं। अभी तक हुए ऐलान में वित्त मंत्री का पूरा ध्यान कृषि, रोजगार और गांव पर रहा। कृषि सेक्टर के लिए वित्त मंत्री अभी तक कई घोषणाएं कर चुके हैं। इसी के तहत एक घोषणा पुशपालन और मछली पालन के लिए की गई। वित्त मंत्री ने घोषणा की है कि मछली पालन के लिए 10 हजार करोड़ के 2 फंड बनाएं जाएंगे और पशुपालन, मछली पालन के लिए किसानों को क्रेडिट कार्ड दिया जाएगा।

गौरतलब है कि कृषि प्रधान देश में पशुपालन के प्रति किसानों का रुझान घटता जा रहा है। ऐसे में सरकार की ये घोषणा पशुपालकों को राहत दे सकती है। आजादी के बाद से 1992 तक देश में मवेशियों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है। लेकिन उसके बाद इनकी संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। 2007 में पशुओं की संख्या में मामूली वृद्धि हुई थी लेकिन उसके बाद इनकी संख्या में जो गिरावट का सिलसिला शुरू हुआ, वह थमने का नाम नहीं ले रहा है। 1951 में मवेशियों की संख्या 155.3 लाख थी जो 1956 में बढ़कर 158.7 लाख हो गई थी। साल 1961 में पशुओं की संख्या बढ़ कर 175.6 लाख हो गई।

ये भी पढ़ें- बजट हाईलाइट : कृषि क्षेत्र के लिए हुईं कई बड़ी घोषणाएं, किसानों के लिए खबर

पांच साल बाद यानी 1966 में यह संख्या बढ़कर 176.2 लाख हो गई। इसी तरह 1972 में मवेशियों की संख्या 178.3 लाख, 1977 में 180 लाख, 1982 में 192.45 लाख और 1987 में 199.69 लाख हुई। 1992 में देश में सर्वाधिक 204.58 लाख मवेशी हो गए। 2003 में इनकी संख्या में और गिरावट आई और यह संख्या घट कर 185.18 लाख तक रह गई। 2012 की गणना में यह संख्या में 190.90 लाख रह गई। (2007 में हुई पशुगणना के आधार पर)

जबलपुर के किसान रवि यादव कहते हैं " सरकार ये फैसला हमारे लिए बहुत जरूरी है। मेरे पास 20 दुधारू मवेशी हैं। लेकिन कुछ वर्षों से हमारी आय घटती जा रही है। ऐसे में अगर सरकार इस फैसले को कड़ाई से लागू कराती है तो जरूर हमारा फायदा होगा।"

पशुओं की घटती संख्या का सर्वाधिक प्रतिकूल असर कृषि पर पड़ा है। भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि और पशुपालन का कितना विशेष महत्त्व है, यह इसी से समझा जा सकता है कि सकल घरेलू कृषि उत्पाद में पशुपालन का 28-30 प्रतिशत का सराहनीय योगदान है। इसमें भी दुग्ध एक ऐसा उत्पाद है जिसका योगदान सर्वाधिक है।

भारत में विश्व की कुल संख्या का तकरीबन 15 प्रतिशत गाएं और 55 प्रतिशत भैंसें हैं। देश के कुल दुग्ध उत्पादन का 53 प्रतिशत भैंसों और 43 प्रतिशत गायों से प्राप्त होता है। भारत लगभग 1218 लाख टन दुग्ध उत्पादन करके विश्व में प्रथम स्थान पर है। दुग्ध उत्पादन में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। यह उपलब्धि पशुपालन से जुड़े विभिन्न पहलुओं जैसे मवेशियों की नस्ल, पालन-पोषण, स्वास्थ्य और आवास प्रबंधन आदि में किए गए अनुसंधान और उसके प्रचार-प्रसार का परिणाम है।

ये भी पढ़ें- Budget 2018 Live : अभी तक की 15 बड़ी बातें, बस एक क्लिक में जानिए

पंजाब भटिंडा के किसान भूपिंदर सिंह कहते हैं "किसान क्रेडिट कार्ड से हमे फायदा होगा। घोषणा तो अच्छी है लेकिन ये सफल तभी होगी जब हर किसान को इसका फायदा मिले।"

देश में मात्स्यिकी क्षेत्र में विकास के लिए भारत सरकार द्वारा रु.3000 करोड़ के बजट के साथ एकछत्र योजना ‘नीली क्रांति' की शुरुआत पहले ही की गई है। जिसके फलस्वरूप, समग्र मछली उत्पादन में गत तीन वर्षों में तुलनात्मक रूप में लगभग 18.86% की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि अंतः स्थलीय मात्स्यिकी क्षेत्र में 26% वृद्धि दर्ज की गई है। सभी प्रकार के मत्स्य पालन (कैप्चर एवं कल्चर) के उत्पादन को एक साथ मिलकर, 2016-17 में देश में कुल मछली उत्पादन 11.41 मिलियन टन तक पहुँच गया है जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।

ये भी पढ़ें- Budget 2018 : टीबी के मरीजों को सरकार हर महीने देगी 500 रुपए

   

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.