पशुओं की वो बीमारियां जिनसे बचाने के लिए प्रधानमंत्री ने शुरु किया पोलियो जैसा अभियान, जानिए क्या है खुरपका-मुंहपका

पशुओं की बीमारियां बचाने के लिए प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री ने पशुओं को खुरपका मुंहपका जैसी बीमारियों से बचाने के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम की शुरुआत की, जानिए क्या है ये बीमारी और क्या होते हैं पशुओं में इसके लक्षण

Diti BajpaiDiti Bajpai   11 Sep 2019 2:27 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo

लखनऊ/मथुरा। खुरपका-मुंहपका वो बीमारी हैं जो हर साल हजारों पशुओं की जान ले लेती हैं। ये बीमारियों एक पशु से दूसरे में फैलती हैं, इसलिए अगर कहीं ये बीमारी फैली तो आसपास के पशुओं को भी चपेट में ले लेता है। ये बीमारियों पशुओं के लिए कैंसर जैसी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मथुरा से राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत की। इस अभियान के तहत देशभर में पशुओं को टीकाकरण किया जाएगा। मवेशियों के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर केंद्र सरकार के इस कार्यक्रम का उद्देश्य खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) और ब्रुसेलोसिस को 2025 तक नियंत्रित करना और 2030 तक पूरी तरह समाप्‍त करना है।


भारत सरकार द्वारा एफएमडी टीकारण और ब्रुसेलोसिस अभियान के तहत पशुओं का टीकाकरण किया जाता है।

यह भी पढ़ें- पशुओं को अब वर्ष में दो बार ही लगेंगे टीके, सरकार को भी होगा करोड़ों की बचत

इस अभियान में 50 प्रतिशत भारत सरकार और 50 प्रतिशत राज्य सरकार देती रही है लेकिन अब इस अभियान का पूरा खर्चा केंद्र सरकार देगी। इस मद में 2019 से 2024 के लिए 12,652 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इस योजना से करोड़ों किसानों को फायदा तो होगा ही साथ ही मवेशियों की सेहत में सुधार भी होगा।


पशुओं में गंभीर बीमारी है खुरपका-मुंहपका

खुरपका-मुंहपका एक संक्रामक रोग है जो विषाणु द्वारा फैलता है। यह बीमारी गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सूअर आदि को प्रभावित करती है। अगर गाय या भैंस एफएमडी बीमारी से पीड़ित होती हैं तो दूध-उत्पादन कम हो जाता है और यह स्थिति 4 से 6 महीनों तक बनी रह सकती है। इस बीमारी में पशुओं को तो परेशानी होती है इसके साथ-साथ पशुपालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है

रोग के लक्षण-
,

  • रोग ग्रस्त पशु को 104-106 डिग्री तक बुखार हो जाता है।
  • वह खाना-पीना व जुगाली करना बन्द कर देता है।
  • दूध का उत्पादन गिर जाता है।
  • पशु के मुंह के अंदर,गालों,जीभ,होंठ तालू व मसूड़ों के अंदर,खुरों के बीच और कभी-कभी थनों में छाले पड़ जाते हैं।
  • ये छाले फटने के बाद घाव का रूप ले लेते हैं, जिससे पशु को बहुत दर्द होने लगता है।
  • मुंह में घाव व दर्द के कारण पशु कहां-पीना बन्द कर देते हैं जिससे वह बहुत कमज़ोर हो जाता है।
  • खुरों में दर्द के कारण पशु लंगड़ा चलने लगता है।
  • गर्भवती मादा में कई बार गर्भपात भी हो जाता है।

मवेशियों की ब्रुसेलोसिस से इंसानों को खतरा-

ब्रुसेलोसिस मवेशियों की एक गंभीर संक्रमण बीमारी है। इस बीमारी से ग्रसित पशु की देखभाल करने वाले मालिक भी इस बीमारी से संक्रमित हो सकते हैं। इस बीमारी से पशुओं में गर्भपात तीसरे या छठे महीने में होता है। ज्यादातर तीसरे महीने में हुए गर्भपात का पता नहीं चल पाता क्योंकि इस समय तक भ्रूण पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता है। प्रसव से पहले गर्भ नष्ट हो जाने को गर्भपात कहा जाता है। अगर किसी गाय-भैंस का मरा बछड़ा गिरता है अगर वहां की सफाई नहीं की गई तो उस स्थान के संपर्क में आने वाली गायों में भी यह बीमारी फैल जाती है। इतना ही नहीं अगर गाय का चारा भी उस स्थान के संपर्क में आया तो वह भी संक्रमित हो जाता है।

बचाव --

  • केवल मादा पशुओं में 3-12 महीने की आयु पर टीकाकरण (स्ट्रेन-19 वैक्सीन द्वारा)
  • संक्रमित पशु अलग रखें
  • कम जगह पर ज्यादा पशु न रखें

    

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.