बकरियों में गलाघोंटू रोग का सही तरीके से करें बचाव

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बकरियों में गलाघोंटू रोग का सही तरीके से करें बचावफोटो: प्रतीकात्मक

यह रोग पाश्चुरेल्ला मल्टोसिडा नामक जीवाणु के संक्रमण से होता हैं। यह जून से अक्टूबर और कभी दिसंबर-जनवरी में अचानक बरसात होने पर भी हो सकता हैं। शरीर में बुखार, आंख-नाक से पानी बहना, चारा पानी छोड़ देना सुस्त होना आदि प्रारंभिक लक्षण होते हैं।

आंखें लाल होना, सांसों की गति बढ़ना ज्यादा लार टपकना, जीभ लाल होकर बाहर आना, छह से आठ घंटों के पश्चात गले तथा गर्दन के नीचे सूजन आना, जिससे बकरी को सांस लेने में दिक्कत पेश आती हैं और घर्र-घर्र आवाज आती हैं। उसे पेचिश भी हो सकती है और खून भरे दस्त भी हो सकते हैं। ज्यादा संक्रमण होने पर 12 घंटे में तथा कम होने पर 2-3 दिन में बकरी मर जाती हैं।

इलाज– रोग-विरोधी टीका लगवाना यही उपाय हैं। रोग होने के बाद इलाज मुश्किल हैं।

ओपिनियन पीस: डॉ. गोविन्द कुमार वर्मा, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र, गनीवां, (चित्रकूट)

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