पांच पशुओं से भी शुरू कर सकते हैं डेयरी व्यवसाय, देखें वीडियाे

Diti BajpaiDiti Bajpai   29 March 2019 12:27 PM GMT

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बरेली। कई बार किसान और युवा डेयरी व्यवसाय की शुरूआत तो कर देते है लेकिन सही जानकारी न होने से आगे चलकर उनको इस व्यवसाय से काफी घाटा होता है। अगर कोई व्यक्ति इस व्यवसाय को शुरू करना चाहता है तो वह पांच पशुओं से शुरूआत कर सकता है।

डेयरी व्यवसाय को शुरू के बारे में जानकारी देते हुए बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान में प्रधान वैज्ञानिक डॉ बी.पी. सिंह बताते हैं, "अगर कोई डेयरी शुरू कर रहा है तो वह पांच पशुओं से शुरू करे साथ इस बात का ध्यान रखें कि डेयरी ऐसी जगह खोले जहां से दूध की बिक्री आसानी से हो सके।"

डेयरी व्यवसाय छोटे व बड़े स्तर पर सबसे ज्यादा विस्तार में फैला हुआ व्यवसाय है। इस व्यवसाय में लोगों का रूझान भी काफी तेजी से बढ़ रहा है। पिछले 20 वर्षों से भारत विश्व में सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन करने वाला देश बना हुआ है। इससे करीब सात करोड़ ऐसे ग्रामीण किसान परिवार डेयरी से जुड़े हुए हैं।


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"अगर कोई व्यक्ति डेयरी शुरू कर रहा है तो वह सर्दी, गर्मी या बरसात इन तीनों को ध्यान में पशुशाला को बनवाए। पशुशाला में प्रकाश और हवा के आवागमन की उचित व्यवस्था हो साथ ही फर्श में इतना ढाल हो कि उनका मल-मूत्र बहकर नाली में चला जाए और गोबर को साफ करने में कोई दिक्कत भी न आए।" डॉ सिंह ने पशुशाला की जानकारी देते हुए बताया।

पशुपालक को डेयरी व्यवसाय से तभी लाभ होगा जब वह अपने पशु का आहार प्रबधंन उचित ढ़ग से करेगा। डॉ बी.पी सिंह पशुओं के आहार प्रबंधन के बारे में जानकारी देते हुए आगे बताते हैं, "डेयरी में प्रतिदिन 60 प्रतिशत खर्च आहार प्रबंधन पर जाता है। इस खर्च को कम भी किया जा सकता है। अगर कोई पांच पशु पाल रहा है तो एक एकड़ में हरे चारे की बुवाई कर सकता है जिससे खर्चा 60 प्रतिशत से घटकर 40 प्रतिशत हो सकता है।" दूध देने वाले, ग्याभिन पशु और नवजात पशुओं का आहार अलग-अलग होता है इसलिए पशुपालक को इस बात का विशेष ध्यान रखना जरुरी है।

अपनी बात को जारी रखते हुए डॉ सिंह बताते हैं, "हरे चारे का ऐसा एक क्रम बनाए जिसमें विभिन्न प्रकार के हरे चारे को उगाया जा सके। जैसे रबी के मौसम में बरसीम, जई, सरसो, खरीफ के मौसम में ज्वार, बाजरा, रिजका, लोबिया और दूसरा कम लागत में हरा चारा उत्पादन के लिए नेपियर भी लगा सकते हैं जिससे वर्ष भर हरा चारा मिलता रहेगा।"


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पशुपालक डेयरी व्यवसाय से तभी लाभ कमा सकता है जब उसके पास पूरी जानकारी हो इसके लिए शुरू में ही पशुपालक को प्रशिक्षण ले लेना चाहिए। डॉ सिंह प्रशिक्षण के बारे में बताते हैं, "प्रशिक्षण में पशुपालकों को डेयरी व्यवसाय शुरू करने से लेकर दूध को रखने और उसको बेचने की पूरी जानकारी दी जाती है अगर पशुपालक ने प्रशिक्षण लिया है तो उसको घाटा नहीं होगा। इसके साथ पशुओं के उत्तम स्वास्थ्य प्रबंधन और साफ-सफाई के बारे में भी बताया जाता है।"

डेयरी में स्वास्थ्य प्रबंधन की जानकारी पशुपालकों के लिए बहुत जरुरी है। पशुओं को खुरपका-मुंहपका, गलाघोटू जैसी कई बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण जरुर लगवाना चाहिए ताकि पशुओं को संक्रामक बीमारियों से बचाया जा सके।

"जो आज पड्डा-पड़िया है वो कल का एक पशु होगा और तीन साल बाद किसान को उससे आय मिल रही होती है। इसलिए नवजात पशओं को खीस जरूर पिलाएं। ज्यादातर किसान पशु के जेर डालने का इंतजार करते है और खीस नहीं पिलाते हैं। जितना देरी से नवजात पशु को खीस पिलाया जाता है उतना ही रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और अगर रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाएगी और उनमें रोग पकड़ लेंगे और फिर उसकी मृत्यु होना स्वाभाविक है।" डॉ बी.पी. सिंह ने बताया।

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