डिस्टोकिया- जरा सी लापरवाही से गाभिन पशु के साथ बच्चे की भी हो सकती है मौत, जानिए कैसे कर सकते हैं बचाव?

कई बार पशुपालक छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि वही आगे चलकर एक बड़ी समस्या बन सकती है। ऐसी ही एक बीमारी होती है-डिस्टोकिया, जिसमें अगर जरा सी भी लापरवाही करने पर गाभिन गाय-भैंस और उसके बच्चे, दोनों की जान जा सकती है। जानिए क्या हैं इस बीमारी के लक्षण और कैसे पशुओं को इससे बचाया जा सकता है।

Divendra SinghDivendra Singh   28 Jun 2022 11:49 AM GMT

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डिस्टोकिया- जरा सी लापरवाही से गाभिन पशु के साथ बच्चे की भी हो सकती है मौत, जानिए कैसे कर सकते हैं बचाव?

अगर ऐसे में पशुओं के साथ जरा भी लापरवाही बरती जाए या उन्हें सावधानी से हैंडल नहीं किया जाता है, तो इससे बछड़े या गाय या दोनों की मौत तक हो सकती है। इसके साथ ही गाय प्रजनन अंगों को चोट लग सकती है और वह कमजोर हो जाती है। फोटो: गाँव कनेक्शन

25 जून, रात 11:30 बजे गोकुल गाँव के पशुपालक हरि घबराए हुए उत्तरकाशी के मुख्य पशु चिकित्साधिेकारी के पास पहुंचे और बताया कि उनकी गाभिन गाय शाम चार बजे से दर्द से तड़प रही है, लेकिन अभी तक बच्चा नहीं हो पाया है। करीब 26 किमी दूर गाँव तक पशु चिकित्सकों की टीम देर रात तक पहुंची, गाय की जान तो बचा ली गई, लेकिन बच्चे को नहीं बचा पाए।

गर्भवती गाय की जान बचाने वाले उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. भरत दत्त ढौंडियाल बताते हैं, "शाम के करीब चार बजे मेरे पास एक व्यक्ति आया और बताया कि उनकी गाय डिस्टोकिया से पीड़ित है, शाम 4 बजे पेट में दर्द हो रहा है और वो लेटी हुई है।"

गायों का इलाज करती पशु चिकित्सकों की टीम। फोटो: अरेंजमेंट

वो आगे कहते हैं, "उसके बाद मैं और मेरी टीम, जिसमें डॉ मनोज, डॉ नमित और एक पशुधन सहायक गाँव के लिए निकल लिए, रात के करीब डेढ़ बजे हम गाँव में पहुंचे, जोक यहां से लगभग 26 किमी दूर है, जहां पहुंचने के लिए पहले गाड़ी और फिर डेढ़ किमी पैदल चलकर गाँव पहुंचे, जहां गाय दर्द से तड़प रही थी, टीम ने मिलकर गाय का मृत बच्चा निकाला, तब जाकर गाय की जान बच पायी।"

गाय-भैंस जैसे पशुओं में बच्चे देने में आने वाली इस समस्या को डिस्टोकिया कहा जाता है, जिसमें गर्भवती पशु के बच्चे का प्रसव तब कराना होता है जब उसने गर्भावस्था का पूरा कार्यकाल पूरा कर लिया हो। लेकिन पशु बिना सहायता के बछड़े को जन्म देने में सक्षम नहीं हो सकता है।

देश में कुल पशुधन आबादी 535.78 मिलियन है, जिसमें गोवंशीय पशुओं की संख्या 192.49 मिलियन है, जिनमें गायों की संख्या 145.12 मिलियन है। जबकि देश में भैंसों की कुल संख्‍या 109.85 मिलियन है।

असामान्य या कठिन प्रसव यानी डिस्टोकिया के कई कारण हो सकते हैं; जैसे कि

गर्भाशय ग्रीवा का शिथिल होकर चौड़ा होना

गर्भाशय का संकुचित होना व बच्चे का बाहर आना

जेर का बाहर आना

अगर ऐसे में पशुओं के साथ जरा भी लापरवाही बरती जाए या उन्हें सावधानी से हैंडल नहीं किया जाता है, तो इससे बछड़े या गाय या दोनों की मौत तक हो सकती है। इसके साथ ही गाय प्रजनन अंगों को चोट लग सकती है और वह कमजोर हो जाती है।


डिस्टोकिया के नुकसान

नवजात बच्चे की मौत हो सकती है।

अगर बच्चा किसी तरह से बच्चा भी लिया गया तो काफी समय तक सामान्य नहीं रह पाता है।

गर्भवती पशु के मरने की संभावना ज्यादा हो जाती है।

अगर माँ को बचा भी लिया जाए तो दूध की मात्रा कम रहती है।

गर्भाशय में संक्रमण होने और प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ता है।

डिस्टोकिया के कारण

डिस्टोकिया के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि आनुवांशिक, पोषण व रखरखाव, संक्रमण और या फिर चोट लगने से भी।

डिस्टोकिया के लक्षण

अगर पानी की थैली दो घंटे तक दिखाई देती है और गाय कोशिश नहीं कर रही है।

गाय 30 मिनट से अधिक समय से प्रयास कर रही है और कोई प्रगति नहीं कर रही है।

प्रगति की अवधि के बाद गाय ने 15-20 मिनट की अवधि के लिए प्रयास करना छोड़ दिया है।

गाय या बछड़ा थकान और तनाव के लक्षण दिखा रहा है जैसे कि बछड़े की सूजी हुई जीभ या गाय के मलाशय से गंभीर रक्तस्राव।

गाय झुंड के बाकी जानवरों से दूर रहती है

संकुचन के कारण शारीरिक कष्ट के लक्षण, बार-बार उठना-बेठना और चक्कर काटना, लात मारना और पूंछ को घूमाना।

जन्म देने से ठीक पहले, गाय अपनी पूंछ को उठाए हुए और आधार से चिपकाए हुई रखती है।

ब्याने से पहले एक पीले रंग का पानी का थैला निकलेगा।

अगर गाय में एक पिछड़ा हुआ बछड़ा, केवल एक पैर, दिखाई दे तो समझिए डिलीवरी असामान्य है।

अगर इनमें से कोई भी स्थिति हो तो आपको पशुचिकित्सक की सहायता से बच्चे को बहार निकलने का शीघ्र प्रयास करनी चाहिए।


डिस्टोकिया से बचाने के लिए गाभिन पशु की देखभाल

बछड़े के विकास के लिए गर्भवती गाय को खनिज मिश्रण दिया जाना चाहिए।

चारे की आवश्यक मात्रा भी गाय को खिलानी चाहिए।

गर्भावस्था के 7 से 8 महीनों में दूध दूहना बंद कर देना चाहिए और गाय को कम से कम 2 महीने की सूखी अवधि देनी चाहिए।

प्रसव से पहले 10 दिनों के दौरान गाय को अलग से बांध दिया जाना चाहिए और जगह को साफ रखा जाना चाहिए।

गर्भवती पशुओं को पर्याप्त पोषण युक्त आहार दें।

गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त व्यायाम दें।

गर्भावस्था के दौरान लंबी दूरी के परिवहन से बचें ।

गर्भवती जानवरों को संघर्ष, गिरने और कूदने से बचाएं।

भ्रूण केसामान्य निष्कासन तक आंशिक जानवरों की देखभाल और ध्यान ।

अगर अस्पताल ले जाना पड़ जाए तो क्या करें

जिस वाहन में गाय को ले जाया जाता है, वहां उचित बिस्तर सामग्री बिछाई जानी चाहिए।

गाय को ट्रक पर धीरे से चढ़ाना चाहिए।

चालक को धीरे गति से गाड़ी चलाना चाहिए ताकि गाय को चोट न लगे।

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