ब्रायलर मेमना पालन से किसान कर सकते हैं अधिक कमाई

Diti Bajpai | Jun 25, 2019, 12:08 IST
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लखनऊ। ब्रायलर मेमना उत्पादन के द्वारा मेमनें मांस के लिए कम समय में अधिक से अधिक वजन के तैयार किए जाते हैं, जिस तरह से लगभग दो माह में मुर्गी के चूजे 1.5 से 2.0 किग्रा. तक के ब्रायलर के रूप में तैयार हो जाते हैं। उसी तरह ब्रायलर मेमना उत्पादन में विशेष तकनीक का प्रयोग करके ब्रायलर मेमनें किसी भी उपलब्ध नस्ल की बकरी के मेमनों से तैयार किए जा सकते हैं।

अगर ब्रायलर मेमनों का उत्पादन किया जाय तो ब्रायलर मेमना उत्पादन में बड़े आकार के नस्ल वाली बकरियों के मेमनों का 12 माह की उम्र पर औसत वजन 45 किग्रा. तक, मध्यम आकार के नस्ल वाली बकरियों के मेमनों का 35 किग्रा और छोटे आकार वाली बकरियों के मेमनों का औसत वजन 30 किग्रा. तक का करके बेचा जा सकता है।

ब्रायलर मेमना पालन में स्वास्थ्य प्रबंधन करके मेमनों की मृत्युदर 6 प्रतिशत से कम कर सकते हैं जिससे कम से कम नुकसान के साथ अधिक से अधिक फायदा हो। जिन किसानों के पास गाँव में बकरियों को चरने के लिए पर्याप्त भूमि नहीं है। वो भी ब्रायलर मेमना उत्पादन करके अधिक से अधिक लाभ ले सकते हैं। शहरों में मेमना उत्पादन करने पर मेमना व्यवसायी को दाना, भूसा और हरा चारा आदि सभी खरीद कर खिलाना पड़ेगा जबकि गाँव में बकरी पालक अपने खेतों में दाना, चारा तथा भूसा पैदा कर सकता है और गाँव के पास जंगल अथवा चरागाह में मेमनो को चराकर दाना, चारा, भूसा पर होने वाले खर्च में बचत कर सकता है।

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ब्रायलर मेमना उत्पादन विधि से गाँवो और शहरी क्षेत्र के बेरोजगार नौजवानों, भूमिहीन मजदूरों और छोटे किसानो को न केवल घर पर ही एक अच्छा रोजगार मिल सकता है बल्कि सामान्य बकरी पालन से काफी ज्यादा लाभ भी मिल सकता है।

ब्रायलर मेमना उत्पादन में इन बातों को रखें विशेष ध्यान

  • मेमनों के जन्म के तुरंत बाद उनकी नाल काट कर घाव पर टिन्चर आयोडीन लगाई जाती है और मेमनों को खीस पिलाई जाती है।
  • मेमनों का जन्म के समय का वजन, उनका लिंग, जनन का प्रकार और प्रसव के पहले माँ के वजन लिख लें।
  • मेमनों को एक हफ्ते की उम्र तक दिन में 3-4 बार दूध पिलाया जाता है।
  • मेमनों की उम्र 3 माह की होने पर उनको माँ का दूध पिलाना बंद कर दिया जाता है।
  • तीन माह की उम्र के बाद चरागाह उपलब्ध होने पर मेमनो को प्रतिदिन 4-6 घंटे चराए।
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  • वैज्ञानिक मेमना पालन में मेमनों का जन्म के तुरंत बाद वजन, उसके बाद से 3 महीने की उम्र तक हर पखवाड़े और उसके बाद प्रति माह मेमनों का वजन का लिखना चाहिए।
  • उसके बाद में मेमनों के वजन को उनके जन्म भार, 3, 6, 9 और 12 माह के भार में अलग-अलग कर दे ताकि गैर अनुवांशिकी कारकों का उनके वजन पर प्रभाव का अध्ययन किया जा सके ।
  • अच्छे मेमनों की खरीद के लिए मथुरा जिले के केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान में संपर्क कर लें। किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
  • मेमनों के जीवन के लिए पहला महीना थोड़ा कठिन होता है। इस लिए इन दिनों में अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है।
  • अच्छी देखभाल से मृत्युदर कम की जा सकती है।
  • मेमनों के स्वस्थ विकास के लिए पहली पेट के कीड़े मारने की दवा (डीवर्मिंग) ब्रायलर मेमनें को 45वें दिन की उम्र पर दी जानी चाहिए उसके बाद डी-वर्मिंग आवश्यकता अनुसार दोहराई जानी चाहिए।
  • एक माह बाद मेमनों को छोटे फीडर में पिसा दाना और थोड़ा-थोड़ा हरा चारा देना शुरू करें। मेमनें इसे धीरे-धीरे खाना शुरु कर देंगे। इस राशन को 12 घंटे तक खाने के लिए देना चाहिए।
  • जानवरों का दाना बाजार में उपलब्ध होता है उसको बकरी पालक खरीद कर खिला सकते हैं नहीं तो बकरी पालक स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री का उपयोग करके स्वयं दाना तैयार कर सकते हैं।
  • बाजार में स्टार्टर और फिनिशर दाना उपलब्ध होता है उसको खरीद कर तीसरे माह से 6 माह तक ब्रायलर मेमने को स्टार्टर दाना दें। छह माह से 12 माह तक फिनिशर दाना उसकी इच्छानुसार खिलाएं ।
  • एक माह की उम्र से सामान्य बीमार होने पर मेमनें को कोई एन्टीबायोटिक दवा पशुचिकित्सक से पूछकर आधा ग्रा. प्रति लीटर पानी में मिलाकर दें, ताकि मेमनों को बीमारियों से बचाया जा सके ।
  • शुरु के दिनों में जमीन पर लगाई गई बिछावन को रोजाना साफ करें। पानी का बर्तन रखने की जगह हमेशा बदलते रहें।
  • मरे हुए मेमनें को बाड़े से शीघ्र बाहर निकाल दें। नजदीक के अस्पताल या पशुचिकित्सक से पोस्टमार्टम करा लें।
  • मेमनों के बाड़े के दरवाजे पर एक बर्तन या नाद में फिनाइल का पानी रखें। मेमनें के बाड़े में जाते या आते समय आने-जाने वाले लोग पैर धो लें। यह पानी रोज बदलें।
  • -अच्छे लाभ के लिये ऊंचे आकार, मध्यम आकार और छोटे आकार के नस्ल वाली बकरियों के मेमनों का 12 माह की उम्र तक औसत वजन 45 किग्रा, 35 किग्रा और 30 किग्रा तक का करके बेचा जाना चाहिए।
  • -बारह माह की उम्र पर ब्रायलर मेमना को बेच देना चाहिये क्योंकि इस उम्र पर न केवल ब्रायलर मेमने का मांस स्वादिष्ट होता बल्कि उसमें अधिकतम पोषक तत्व भी होते हैं तथा उसकी कीमत भी अच्छी मिलती है।
(राष्ट्रीय पशु आनुवंशिकी संस्थान ब्यूरो)

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