पढ़िए भारतीय डेयरियों से कितनी अलग हैं विदेशी डेयरियां

नीदरलैण्ड में लगभग 18 हज़ार डेयरियां हैं। एवरेज प्रति डेयरी में 85 गाय के आसपास हैं, इन डेयरियों से 14.5 बिलियन लीटर दूध उत्पादन होता है प्रति गाय से सालाना दूध उत्पादन 305 दिनों में 9 हज़ार लीटर से ज़्यादा होता है।

Diti BajpaiDiti Bajpai   23 May 2018 5:36 AM GMT

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पढ़िए भारतीय डेयरियों से कितनी अलग हैं विदेशी डेयरियां

लखनऊ। अभी तक हमने आपको भारत की डेयरियों के बारे में पढ़ाया और दिखाया लेकिन आज आपको विदेशों की डेयरियों के बारे में बताने जा रहे है।
पशुपालन और खेती की नई-नई तकनीकों को जानने के लिए मध्य प्रदेश के सतना जिले के पन्ना में रहने वाले लक्ष्मण दास सुखरमानी पिछले कुछ महीनों से एशिया और यूरोप में दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने नीदलैंड की पांच डेयरियों का निरीक्षण किया और डेयरियों में प्रयोग हो रही नई-नई तकनीकों के बारे में जाना ताकि अपने देश में भी उन तकनीकों को इस्तेमाल कर सके।
अपने अनुभवों को साझा करते हुए लक्ष्मण बताते हैं, "इस दौरे में मैंने पांच डेयरियों को देखा। खास बात यह थी लगभग सभी डेयरियों में 100 पशुओं पर एक ही आदमी होता है। विदेशी डेयरियों में ज्यादातर काम मशीनों की मदद से किया जाता है क्योंकि भारत की अपेक्षा विदेशों में मशीनों को खरीदने पर ब्याज दर एक प्रतिशत है, जबकि भारत में यही ब्याज दर 13 प्रतिशत है।"
नीदरलैण्ड में लगभग 18 हज़ार डेयरी है। एवरेज प्रति डेयरी में 85 गाय के आसपास हैं, जिससे 14.5 बिलीयन लीटर दूध उत्पादन होता है प्रति गाय से सालाना दूध उत्पादन 305 दिनों में 9 हज़ार लीटर से ज़्यादा होता है।


डेयरियों की बनी संरचना के बारे में लक्ष्मण ने 'गाँव कनेक्शन' को बताया, "साफ़-सफ़ाई के लिए डेयरी के नीचे लम्बी टैंक बना रखी है, जिसके ऊपर लकड़ी के मोटे पटरे लगे हैं, इससे गोबर व गौ मूत्र सेंसर रोबोट द्वारा नीचे चला जाता है। इससे डेयरी में सफाई रहती है। इतना ही नहीं, डेयरी में ऐसे पटरों का इस्तेमाल किया जाता है जो खराब नहीं होते हैं।"
ज्यादातर भारतीय पशुपालक पशुओं को संतुलित आहार नहीं देते है लेकिन विदेशों में पशुओं को तीन समय संतुलित आहार दिया जाता है ताकि दूध उत्पादन में कोई असर न पड़े। "उनकी डेयरियों में जमीन का 80 प्रतिशत हिस्सा पशुओं के हरे चारे के लिए प्रयोग किया जाता है और यह किसी एक डेयरी की बात नहीं है। सभी डेयरियों में पशुओं के खान-पान की व्यवस्था अच्छी है। गाय अपने आप समय-समय पर मशीन के पास आकर खड़ी होती है और मशीन लेज़र का इस्तेमाल कर दूध निकालता है।" लक्ष्मण ने बताया।
लक्ष्मण के पास तीन एकड़ जमीन है, जिसमें कई फसलों के साथ वे सब्जियों की खेती भी करते है। इनके पास इनके पास 11 भैंस और एक गाय है, जिनसे रोजाना 78 लीटर दूध का उत्पादन होता है। लक्ष्मण को भारत में बेस्ट आर्गेनिक फार्मर अवार्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है।
एक अध्यनन के अनुसार, ए 1 और ए2 दूध को लेकर पूरी दुनिया में बहस छिड़ी है। भारत में यह बात बड़ी जोर-शोर से प्रचारित किया जा रहा है कि विदेशी गाय केवल ए1 दूध देती है, जो नुकसानदेह है और देसी गाय ए1 दूध देती है, जो लाभदायक है। हकीकत में ऐसा नहीं है।
"भारत में ए1 और ए2 दूध का हमेशा चर्चा का विषय बना रहता है। अभी तक जितनी भी डेयरियों को मैंने विजिट किया है, सभी में होल्सटीन फ्रीजियन गाय है, जिसके दूध में ए1 होता है, वहां के लोग दशकों से इस गाय के दूध का सेवन भी कर रहे हैं, पर मैंने नहीं देखा कि इनका दूध लोगों को नुकसान पहुंचा रहा है या इनके दूध के सेवन से लोग बीमारियों से ग्रसित हैं।"
लक्ष्मण बताते हैं, "डेयरियों में बिजली की व्यवस्था के लिए छत पर सौर ऊर्जा की प्लेट लगा रखी है। जिससे डेयरी की सभी मशीनों को इससे चलाया जाता है। हर डेयरी में एक अलग से रूम है, जहां पर गायों के खाने-पीने, उनके चलने-फिरने से लेकर उनके स्वास्थ्य संबंधी पूरी जानकारी और गतिविधि मशीनों और सॉफ्टवेयर द्वारा कम्प्यूटर में फीड रहती है, जिसको परिवार का ही कोई व्यक्ति देखता है।"


भारत के कई राज्यों में लोग अब विदेशी डेयरियों की संरचना अपना रहे है। हरियाणा के हिसार जिले के स्याहड़वा गाँव के दलबीर सिंह की डेयरी 400 हॉलेस्टाइन फिशियन गाय है, जिनसे करीब 3700 लीटर दूध का उत्पादन होता है। छह एकड़ जमीन पर बनी इस डेयरी का पूरा का पूरा काम मशीनों द्वारा किया जाता है। डेयरी प्रबंधक सतीश सिंह बताते हैं, ''हमारी डेयरी में लगी मशीनें जर्मन तकनीक पर आधारित हैं, सभी गायों के पैर में लगी माइक्रो चिप से हर गाय की स्थिति के बारे में पता चलता है। कम्प्यूटर के माध्यम से पशुओं का डाटा अपडेट करने के लिए एक इंजीनियर रहता है। अगर कोई पशु बीमार पड़ता है तो उसका तुंरत इलाज़ किया जाता है। और लोगों की भी जरूरत कम होती है।''



    

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