गिनी फाउल पालन बन सकता है कमाई का बेहतरीन जरिया, कम लागत में होगी बढ़िया कमाई

गिनी फाउल पालन में दूसरी मुर्गियों की तुलना में काफी में काफी कम लागत आती है, क्योंकि सबसे ज्यादा खर्च फीड और दवाइयों पर आता है, जोकि गिनी फाउल पालन में बच जाता है।

Divendra SinghDivendra Singh   22 Sep 2020 1:29 PM GMT

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पिछले कुछ वर्षों में गिनी फाउल पालन का चलन तेजी से बढ़ा है, मांस और अंडे के लिए पाल सकते हैं। इसकी सबसे अच्छी बात ये होती है इसको पालने में बहुत ज्यादा लागत भी नहीं आती है।

केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, बरेली की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सिम्मी तोमर गिनी फाउल पालन, देखरेख से लेकर इनके बाजार के बारे में बता रही हैं। डॉ सिम्मी तोमर बताती हैं, "छोटे किसान जिनके पास जमीन कम है, उन किसानों के लिए ये गिनी फाउल बहुत उपयोगी है। इसलिए इसे लो इन्वेस्टमेंट बर्ड भी बोलते हैं, इसके रहने के लिए घर में कोई खर्च नहीं लगता है और न ही इसके दाने और दवाई पर अलग से खर्च करना होता है।"


इसका जो आवास बनाया जाता है, वो बस इसे रखने के लिए बनाया जाता है। धूप, सर्दी और बारिश का इनपर असर नहीं होता है, अगर इन्हें खुले में भी रखते हैं तो कोई असर नहीं पड़ता है। दूसरी चीज जो फीड के बारे में, किसी भी मुर्गी पालन की अगर बात करें तो 60 से 70 प्रतिशत खर्च उत्पादन लागत फीड पर ही आती है। लेकिन गिनी फाउल पालन में आपका ये खर्च बच जाता है। क्योंकि ये चुगती है, तो जो छोटे किसान हैं और गाँव में बूढ़े और बच्चे इन्हें चराकर (चु्गाकर) ला सकते हैं। इसलिए वहां पर थोड़ा बहुत दाना देने की जरूरत पड़ती है। इससे आपका आहार का खर्च भी बच जाता है।

इसी तरह मुर्गी पालन में दवाइयों और टीकाकरण में काफी खर्च हो जाता है, लेकिन गिनी फाउल को किसी तरह का कोई भी टीका नहीं लगता है और न ही कोई अलग से दवाई दी जाती है। इस तरह से ये ग्रामीण क्षेत्रों के लिए काफी उपयोगी होता है।


इसकी एक और खासियत होती है, इसके अंडे के छिलके दूसरे अंडों के मुकाबले दो से ढाई गुना ज्यादा मोटा होता है, इसलिए ये आसानी से नहीं टूटता है और जहां पर लाइट वगैरह नहीं होती है वहां पर भी मुर्गी के अंडों की तुलना में देर से खराब होते हैं। जैसे कि गर्मियों के दिनों में मुर्गी का अंडा खुले में बिना फ्रिज के सात दिन में सड़ेगा, वहीं इसका अंडा 15 से 20 दिनों तक सुरक्षित रहता है।

बिहार के कई किसान इससे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं, गिनी फाउल पालन से वो आठ से दस लाख रुपए तक कमाई कर रहे हैं। अभी ज्यादा लोगों की इसकी जानकारी नहीं है, इसलिए बड़े शहरों में इसकी मांग ज्यादा है। इसकी सबसे अच्छी बात होती इसे दो-तीन पक्षियों से भी शुरूआत कर सकते हैं।

ये मूल रूप से अफ्रीका गिनिया द्वीप की रहने वाली है, उसी के नाम पर इसका नाम गिनी फाउल रखा गया है। वैसे इसका पूरा नाम हेल्मेटेड गिनी फाउल होता है, इसकी कलगी को हेल्मेट बोलते हैं, जोकि हड्डी का होता है। इसलिए इसका हेल्मेटेड गिनी फाउल नाम मिला है।


इसकी कलगी से मादा और नर की पहचान की जाती है, 13 से 14 हफ्तों में मादा की कलगी नर के आपेक्षा में छोटा होता है। कोई किसान व्यवसायिक तरीके से गिनी फाउल पालन शुरू करना चाहता है तो 50 से 10 बर्ड्स से शुरूआत कर सकता है। इसके चूजे की कीमत 17-18 रुपए तक होती है। अगर इसे अंदर रख कर पालना चाहते हैं तो फीड का खर्च बढ़ जाता है, अगर इसे बार चराने ले जाते हैं तो फीड का खर्च कम हो जाएगा।

गिनी फाउल पालन अंडे और मांस दोनों के लिए किया जाता है, 12 हफ्तों में इसका वजन 10 से 12 सौ ग्राम तक हो जाता है। अप्रैल से अक्टूबर तक इनका प्रोडक्शन होता है, इस दौरान ये 90 से 100 अंडे तक देती हैं, पूरी दुनियां में जहां पर दिन लंबे होते हैं और रात में तापमान अधिक होता है। उसी समय ये अंडे देती हैं। लेकिन पिछले चार-पांच साल में केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान ने कई नए शोध किए हैं, जिससे ये सर्दियों में भी अंडे देती हैं।

अधिक जानकारी के लिए यहां करें संपर्क

अगर आप भी गिनी फाउल पालन का प्रशिक्षण या फिर चूजे लेना चाहते तो, केंद्रीय पक्षी अनुंसधान संस्थान बरेली से संपर्क कर सकते हैं। जहां पर इसका प्रशिक्षण भी दिया जाता है और साथ ही चूजे भी मिल जाते हैं।

केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, बरेली (Central Avian Research Institute)

Phone Numbers: 91-581-2303223; 2300204; 2301220; 2310023

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