कोविड मरीजों के लिए इम्युनिटी बूस्टर का काम करता है कड़कनाथ मुर्गा, केवीके झाबुआ ने ICMR को लिखी चिट्ठी
कृषि विज्ञान केंद्र, झाबुआ ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च चिट्ठी लिखकर सलाह दी है कि कड़कनाथ को कोरोना डाइट में शामिल किया जाना चाहिए। साल 2019 में केवीके बीसीसीआई को भी चिट्ठी लिखकर क्रिकेट खिलाड़ियों के डाइट में कड़कनाथ को शामिल करने को कहा था।
Divendra Singh 10 July 2021 8:26 AM GMT

कड़कनाथ में फैट 1 से 2% प्रतिशत तक होता है, जबकि प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है।
कोरोना महामारी में लोगों के खाने के तरीकों में भी बदलाव आए हैं, लोग अब ऐसी चीजे खा रहे हैं जिससे उनकी इम्युनिटी मजबूत हो। ऐसे में मध्य प्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्र, झाबुआ ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) को चिट्ठी लिखी है कि कड़कनाथ मुर्गा के सेवन से इम्युनिटी मजबूत हो सकती है।
मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिले झाबुआ का कड़कनाथ मुर्गा अपनी खूबियों की वजह से दुनिया भर में मशहूर है। कृषि विज्ञान केंद्र, झाबुआ ने आईसीएमआर भेजी गई चिट्ठी में लिखा है कि जैसा कि हम जानते हैं कि कोविड-19 के बाद रोगी के लिए न्यूट्रीशनल थेरेपी जरूरी है और पोषक तत्व इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करते हैं, इसलिए संतुलित आहार पर ध्यान देना चाहिए।
चिट्ठी में आईसीएमआर को सुझाव देते हुए लिखा है, "कृषि विज्ञान केंद्र, झाबुआ एक सुझाव देना चाहता कि अगर कड़कनाथ मीट, कड़कनाथ अंडे और कड़कनाथ मीट से तैयार सूप को पोस्ट कोविड-19 मरीज के खाने में शामिल करते हैं, तो इसमें PUFA (EPA), DHA (22:6), जिंक जैसे पोषक तत्व शामिल हैं। आयरन, विटामिन-सी, जरूरी अमीनो एसिड और दूसरे अन्य विटामिन जो की रोग से लड़ने में मदद करते हैं।"
कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु व्यक्ति की रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के लिए कड़कनाथ मॉस तथा इसके अण्डो एवं इससे बने रसायन (सूप) का आहार में नियमित सेवन हेतु भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद को केवीके झाबुआ द्वारा सुझाव। pic.twitter.com/QJg93Ovjko
— Krishi Vigyan Kendra (@kvkjhabua) July 9, 2021
इस बारे में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ चंदन कुमार बताते हैं, "कड़कनाथ का ब्लैक मीट होता है और इसमें आयरन के साथ ही प्रोटीन ज्यादा होता है और फैट का प्रतिशत कम होता है। जिसे नॉर्मल प्रोटीन जरूरत होती है, कई बार उसे प्रोटीन के साथ फैट भी मिल जाता है, जबकि उसे फैट की जरूरत नहीं होती है। कड़कनाथ में फैट 1 से 2% प्रतिशत तक होता है, जबकि प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है।"
वो आगे कहते हैं, "इसी साल फरवरी में एक रिपोर्ट भी आयी थी, जिसमें देखा गया कि कड़कनाथ के मीट से बने सूप में जिंक, विटामिन सी के साथ आयरन की भी भरपूर मात्रा होती है। ये तीनों चीजें ऐसी हैं जो पोस्ट कोविड के लिए इम्युनिटी बूस्टर का भी काम करते हैं। कोविड-19 मरीजों के लिए कड़कनाथ बहुत फायदेमंद है।"
कृषि विज्ञान केंद्र ने ट्वीट में तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय के फूड क्वालिटी टेस्टिंग लेबोरोटरी, सेंटर फॉर पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी के टेस्ट रिपोर्ट को ऐड किया है, जिसमें कड़कनाथ के मीट से बने सूप मिले पोषक तत्व की जानकारी दी गई है।
साल 2019 में कृषि विज्ञान केंद्र ने बीसीसीआई और भारतीय क्रिकेट कप्तान विराट कोहली को भी चिट्ठी भेजकर अपनी डाइट में कड़कनाथ शामिल करने को कहा था।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी व प्रधान वैज्ञानिक डॉ आईएस तोमर कहते हैं, "कड़कनाथ मुर्गे के बहुत से फायदें हैं, तभी तो कभी झबुआ अकेले में इसे पाला जाता था अब देश ज्यादातर राज्यों में किसान इससे अच्छा फायदा कमा रहे हैं। इसीलिए हमने आईसीएमआर को कड़कनाथ के फायदों के बारे में चिट्ठी लिखी है कि इसे पोस्ट कोविड मरीजों की डाइट में शामिल करें, जिससे लोगों की इम्युनिटी मजबूत हो।"
एक बड़ी आबादी ने कोरोना वायरस से बचने के लिए खूब च्वनप्राश और गिलोय खाया तो कुछ लोगों ने अश्वगंधा, अदरक, तुलसी, दालचीनी, लेमनग्रास का काढ़ा भी पिया। एक बड़ी आबादी ने विटामिन्स की गोलियों का भी खूब इस्तेमाल किया है। कोरोना की पहली लहर के दौरान गांव कनेक्शन के सर्वे में निकलकर आया है कि 49 फीसदी यानि हर दूसरे व्यक्ति ने इम्युनिटी बूस्टर यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर ज्यादा पैसे खर्च किए हैं। कोरोना ने लोगों की खाने की आदतें बदल दी हैं।
कड़कनाथ के निर्यात को बढ़ाने के लिए एपीडा ने कृषि विज्ञान केंद्र के साथ मीटिंग भी की है। डॉ चंदन कुमार कहते हैं, "अभी हमारी एपीडा के साथ मीटिंग भी हुई है, इसमें हमने कड़कनाथ को दूसरे देशों में भी भेजने की बात की है। जल्द ही निर्यात भी शुरू हो जाएगा।"
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