उत्तर प्रदेश: पशुओं को लंपी वायरस से बचाने के लिए टीकाकरण अभियान चलाएगी प्रदेश सरकार
लम्पी स्किन डिजीज के संक्रमण को रोकने के लिए पशु मेलों पर रोक लगा दी गई है और अंतरराज्यीय पशु परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
गाँव कनेक्शन 23 Aug 2022 1:38 PM GMT

उत्तर प्रदेश में लंपी स्किन डिजीज के संक्रमण से पशुओं को बचाने के लिए सरकार टीकाकरण अभियान चलाएगी, साथ ही पशु सुरक्षा के लिए पशु मेलों पर रोक लगा दी गई है और अंतरराज्यीय पशु परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
गुजरात, राजस्थान जैसे कई राज्यों में गोवंश में लंपी वायरस का दुष्प्रभाव देखने को मिला है। इस संक्रमण के कारण कई राज्यों में गोवंश की मौत भी हुई है। उत्तर प्रदेश में लंपी स्किन डिजी के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने आज एक विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि प्रदेश में इसके प्रसार को रोकने के लिए हमें मिशन मोड में काम करना होगा। स्थिति सामान्य होने तक प्रदेश में पशुमेलों का आयोजन स्थगित रखा जाए। अंतरराज्यीय पशु परिवहन पर रोक लगाई जाए। पशुपालकों को संक्रमण के लक्षण और उपचार के बारे में पूरी जानकारी दी जाए। गोआश्रय स्थलों में अनावश्यक लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया जाए।
लंपी वायरस से सुरक्षा के लिए पशु टीकाकरण का विशेष अभियान चलाया जाना जरूरी है।
— CM Office, GoUP (@CMOfficeUP) August 23, 2022
यह मक्खी और मच्छर से फैलने वाला वायरस है, ऐसे में ग्राम्य विकास, नगर विकास और पशुपालन विभाग परस्पर समन्वय से गांव व शहरों में विशेष स्वच्छता अभियान चलाया जाए: #UPCM @myogiadityanath
लंपी वायरस से सुरक्षा के लिए पशु टीकाकरण का विशेष अभियान चलाया जाना जरूरी है। टीके की उपलब्धता के लिए भारत सरकार से भी सहयोग प्राप्त होगा। यह मक्खी और मच्छर से फैलने वाला वायरस है, ऐसे में ग्राम्य विकास, नगर विकास और पशुपालन विभाग परस्पर समन्वय से गाँव व शहरों में विशेष स्वच्छता अभियान चलाया जाए। संक्रमित पशु की मृत्यु की दशा में अंतिम क्रिया पूरे मेडिकल प्रोटोकॉल का साथ कराया जाए। किसी भी दशा में संक्रमण का प्रसार न हो।
लंपी स्किन डिजीज एक वायरल बीमारी होती है, जो गाय-भैंसों में होती है। लम्पी स्किन डिज़ीज़ में शरीर पर गांठें बनने लगती हैं, खासकर सिर, गर्दन, और जननांगों के आसपास। धीरे-धीरे ये गांठे बड़ी होने लगती हैं और घाव बन जाता है। पशुओं को तेज बुखार आ जाता है और दुधारु पशु दूध देना कम कर देते हैं, मादा पशुओं का गर्भपात हो जाता है, कई बार तो पशुओं की मौत भी हो जाती है। एलएसडी वायरस मच्छरों और मक्खियों जैसे खून चूसने वाले कीड़ों से आसानी से फैलता है। साथ ही ये दूषित पानी, लार और चारे के माध्यम से भी फैलता है।
20वीं पशुगणना के अनुसार देश में गोधन (गाय-बैल) की आबादी 18.25 करोड़ है, जबकि भैंसों की आबादी 10.98 करोड़ है। जो कि दुनिया में पहले नंबर पर है। देश की एक बड़ी आबादी पशुपालन से जुड़ी है, ऐसी बीमारी से पशुपालकों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
यह बीमारी सबसे पहले 1929 में अफ्रीका में पाई गई थी। पिछले कुछ सालों में ये बीमारी कई देशों के पशुओं में फैल गई, साल 2015 में तुर्की और ग्रीस और 2016 में रूस जैसे देश में इसने तबाही मचाई। जुलाई 2019 में इसे बांग्लादेश में देखा गया, जहां से ये कई एशियाई देशों में फैल रहा है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार, लम्पी स्किन डिज़ीज़ साल 2019 से अब तक सात एशियाई देशों में फैल चुकी है, साल 2019 में भारत और चीन, जून 2020 में नेपाल, जुलाई 2020 में ताइवान, भूटान, अक्टूबर 2020 वियतनाम में और नंवबर 2020 में हांगकांग में यह बीमारी पहली बार सामने आई।
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